असंगठित को संगठीत करो
भारतीय मजदूर संघ का अखिल भारतीय अधिवेशन फरवरी माह 2011 को जलगांव में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन के दो घोष वाक्य (थीम) थे। एक असंगठित को सगंठित करो और दूसरा चलो गांव की ओर।
भारतीय मजदूर संघ का अखिल भारतीय अधिवेशन फरवरी माह 2011 को जलगांव में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन के दो घोष वाक्य (थीम) थे। एक असंगठित को सगंठित करो और दूसरा चलो गांव की ओर।
भारतीय मजदूर संघ महाराष्ट्र प्रदेशका त्रै-वार्षिक अधिवेशन फरवरी माह मे सातारा मे संपन्न हुआ। इस अधिवेशन मे व्हीजन डाक्युमेंट (प्रदेश का संकल्प) 2012-2015 प्रस्तुत किया गया। अगले तीन वर्ष में प्रदेश का कार्य कैसा रहेगा, कौन कौन से उद्योग में कार्य बढाने के लिए प्राधान्य दिया जायेगा इसका ब्योरा व्हिजन डाक्युमेंट में है।
भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उदयराव पटवर्धन अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन- आई.एस.ओ.की वार्षिक महासभा में भाग लेकर जेनेवा से लौटे हैं। भारतीय मजदूरों के प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने विश्वमंच पर देश के मजदूरों के विभिन्न मुद्दों को उठाया हैं। देश के मजदूरों की समस्याओं, सरकारी नीतियों और भारतीय मजदूर संघ के कार्यों पर उनसे विस्तार से की गयी दिनेश प्रताप सिंह की बातचीत
मजदूर क्षेत्रों में भारतीय मजदूर संघ के आने के बाद भारत की जय का नारा स्थाफित किया गया, भारतीय मजदूर संघ के फूर्व मजदूर दिवस के रूफ में मई दिवस की मान्यता थी, वर्तमान में विश्वकर्मा जयंती की राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूफ में मान्यता मिली।
भारतीय मजदूर संघ के पूर्व अखिल भारतीय अध्यक्ष तथा मेरे लिए ज्येष्ठ बंधुवत थे मनहरभाई, जो स्वयं एक स्वयंसेवक थे। संघ को ही जीवन गाथा समझकर उसी के अनुसार जीवन की आखिरी साँस तक अपना काम करने वाले मनहरभाई मेहता जैसे सैकड़ों कार्यकर्ता गत 80 वर्षों में हुए हैं।
यह उस समय का प्रसंग है जब संघ पर पहली बार प्रतिबन्ध लगाया गया था। संघ ने सभी प्रचारकों को अपने-अपने घर वापस जाने के लिए कह दिया था। यह सूचना जब बड़े भाई-राम नरेश सिंह को मिली तो उन्होंने घर वापस जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘घर-परिवार त्याग करके मैं प्रचारक बना हूँ। अब वापस नहीं जाऊंगा।
पवित्र कुरान की छपाई करने वाला माझगांव का महंमदी प्रिटिंग प्रेस अधिकांश कामगार मुसलमान धार्मिकता का आवाहन और सतत शोषण से तंग हुए कामगार व्यवस्थापन के विरोध में खड़े रहने के लिए अनेक यूनियनों के पास पहुँचे, परंतु निराश होकर आखिर परेल में पोयबावड़ी के नाके पर भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में आ गए।
हम सभी इस वास्तविकता से भली-भांति परिचित हैं कि उन्नीसवीं सदी के प्रथम व द्वितीय दशक तक अंग्रेजों ने भारत वर्ष को पूर्ण रूप से अपने कब्जे में ले लिया था।
दत्तोपंत ठेंगडी की क्या पहचान है, ऐसा प्रश्न किसी ने किया, तो तुरन्त उत्तर आयेगा ‘‘वे भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक हैं।’
प्लवंग माने एत्दै थ्दग्े (र्ल्म्ूग्मंल्े ण्दहम्दहु) हिंदी में उसे ‘शर्मिली बिल्ली’ कहा जाता है। यही लाजवंती वानर कहलाता है। प्लवंग का रामायण में उल्लेख हुआ हैं। मृग पक्षीशास्त्र में प्लवंग का वर्णन हुआ है
भारतीय फिल्मों का सौंवा वर्ष चल रहा है। भारतीय फिल्म के जनक दादासाहेब फाल्के ने सिनेमा के उत्कर्ष के लिए अनेक परिश्रम भी किए। इस परिश्रम फल के रुप में राजा हरिश्चंद्र का निर्माण किया गया।
स्नानगृह के लिए सब से बढिया स्थान माने पूर्व दिशा, क्यों कि सबेरे स्नान करते समय सूर्यकिरणें बदनपर फैलना माने उनमें से अतिनील किरणें बदनपर तथा बाथरूम पर फैलना लाभदायक होता है।