उत्सवों के रंग में रंगा गोवा
गोवा की विभिन्न जातियों, जनजातियों और धर्म की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति ही गोवा की कुल कला और संस्कृति का प्रतीक है। यहां के उत्सव, संगीत, नाटक, शिल्पकला, चित्रकला, हस्तकला इनका ग्राफ लेने कि यह एक कोशिश है।
गोवा की विभिन्न जातियों, जनजातियों और धर्म की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति ही गोवा की कुल कला और संस्कृति का प्रतीक है। यहां के उत्सव, संगीत, नाटक, शिल्पकला, चित्रकला, हस्तकला इनका ग्राफ लेने कि यह एक कोशिश है।
1946 में डॉक्टर लोहिया ने गोवा में क्रांतिकारी काल की नींव रखी। उस समय महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि एक बार भारत स्वतंत्र हो गया तो गोवा भी विदेशियों की गुलामी से मुक्त हुए बिना नहीं रहेगा। गोवा में पुर्तगालियों को हटाने के लिए सन 1787 में पहला प्रयास किया गया। जो पिंटू का विद्रोह के नाम से प्रसिद्ध है।
भक्ति की ज्ञानमय चेतना मानव के जीवन को प्रकाशमान करती है। इसके साथ-साथ उसके पाप भी जला कर राख करती है। इसी भक्ति की दिव्य ज्योति से सद्गुरु जीवनमुक्त महाराज ने पुर्तगालियों के विरुद्ध धर्मक्रांति का मानो होमकुंड जगाया।
स्वामीजी ने अपनी गोवा यात्रा के दौरान, वहां के धार्मिक स्थलों, पुराने गिरजाघरों, फोंडा के प्राचीन मंदिरों तथा प्राचीन जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के अवशेषों आदि का दौरा किया। स्वामीजी ने हरिपद मित्र को लिखे एक पत्र में, पणजी शहर के सुंदर एवं स्वच्छ होने का उल्लेख किया है।
फोंडा को हर संभव सहायता करने का नियोजन कर, अनाज से भरे हुए 10 पात्रों तथा कुछ लोगों को फोंडा की ओर भेजा किंतु मराठाओं ने उन्हें राह में ही पकड़ लिया। फोंडा के किले की घेराबंदी में शिवाजी महाराज ने 2,000 घुड़सवारों तथा 7,000 पैदल सैनिकों को सम्मिलित किया था।
गोवा में पुर्तगालियों ने हिंसा, क्रूरता कन्वर्जन के लिए अमानुष कृत्यों की पराकाष्ठा कर दी थी। परंतु उन्हें ग्रामवासियों का भी प्रतिकार सहन करना पड़ा था। कुंकल्ली का युद्ध इन दोनों ही बातों का उत्कृष्ठ उदाहरण है।
राष्ट्रीय एवं सामाजिक प्रेरणा से जागृत होकर गोवा के विभिन्न क्षेत्रों में रा. स्व. संघ द्वारा सेवा कार्यों का जाल विस्तार से बुना गया, जिसका सकारात्मक परिणाम समाज के विभिन्न क्षेत्र में महसूस हो रहा है।
स्कंद पुराण के अंतर्गत सहयाद्री खंड में गोवा के लिए गोराष्ट्र तथा गोमांत शब्द का उल्लेख किया गया है, वहीं नए पाषाण युग की मानव बस्तियों के अवशेष भी गोवा में मिले हैं। गोवा का इतिहास बहुत विस्तृत है। डालते है उसपर एक नजर।
कुल मिलाकर मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत का यह लक्ष्य साफ दिखाई देता है कि वे गोवा को उसके सम्पन्न इतिहास के साथ विकास के उच्च पायदान पर ले जाना चाहते हैं और अपनी तीव्र इच्छाशक्ति, कर्तव्यपरायणता तथा गति के कारण उसमें सफल भी हो रहे हैं। केंद्र की सरकार का भी उनको पूर्ण समर्थन मिल रहा है। वे स्वयं कई बार यह कह चुके हैं कि डबल इंजन सरकार होने के कारण गोवा प्रगति पथ दौड रहा है।