स्वामी विवेकानंद की गोवा यात्रा

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स्वामीजी ने अपनी गोवा यात्रा के दौरान, वहां के धार्मिक स्थलों, पुराने गिरजाघरों, फोंडा के प्राचीन मंदिरों तथा प्राचीन जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के अवशेषों आदि का दौरा किया। स्वामीजी ने हरिपद मित्र को लिखे एक पत्र में, पणजी शहर के सुंदर एवं स्वच्छ होने का उल्लेख किया है।

छ. शिवाजी महाराज की सजगता

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फोंडा को हर संभव सहायता करने का नियोजन कर, अनाज से भरे हुए 10 पात्रों तथा कुछ लोगों को फोंडा की ओर भेजा किंतु मराठाओं ने उन्हें राह में ही पकड़ लिया। फोंडा के किले की घेराबंदी में शिवाजी महाराज ने 2,000 घुड़सवारों तथा 7,000 पैदल सैनिकों को सम्मिलित किया था।

मुचकुंद की काल यात्रा

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पुराणों का रचनाकाल अट्ठारह सौ से दो हज़ार वर्ष पूर्व का रहा होगा ऐसा अनुमान लगाया जाता है। प्रस्तुत राजा मुचकुंद की कथा का उल्लेख विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईसवें अध्याय व श्रीमद्भागवत के दशम स्कंद के इक्यावनवें अध्याय में है। टाइम डाइलेशन जैसी जटिल विज्ञान अवधारणा पर आधारित इस विज्ञान कथा को पढ़कर हम अपने पूर्वजों की प्रखर मेधा से चमत्कृत हो उठते हैं।

नई हिन्दी कविता के विविध रंग

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तुकांत-अतुकांत, छंदयुक्त-छंदमुक्त, हायकू इत्यादि कविता के कई रूप हैं। कम शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति ही कविता की पहचान रही है। समय के साथ इसमें कई धाराएं बनीं और कई धाराएं मिली परंतु कविता रूपी भागिरथी निरंतर प्रवाहमान है।

काव्य वैविध्य

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कम शब्दों में अपनी भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम है कविता। कविता ने जहां युद्ध में साहस बढ़ाने का काम किया, वहीं दर्द में राहत देने का भी काम किया। वेदों से लेकर आज की नई कविता तक ने हमें काव्य से सराबोर कर रखा है।

पोथी तुम कितनी गुणवती हो

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साहित्य में अब पाठकों की रुचि नहीं रही यह मानकर अच्छा साहित्य लिखा जाना बंद नहीं हो जाना चाहिए। पाठकों की रुचि और उनके दिशादर्शन का ध्यान रखकर साहित्य का निर्माण करना साहित्यकारों का दायित्व है और साहित्यकारों की रचनाओं को उचित प्रतिसाद देना पाठकों का।

मंदिर आस्था से समृद्धि की ओर

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मंदिर हमारी सामाजिक-धार्मिक आस्था के केंद्र रहे हैं। सनातन संस्कृति में मंदिर से कई क्रिया-कलाप संपादित होते रहे हैं। बीते दशक में मंदिरों का विश्लेषण किया जाए, तो यह कहने में दिक्कत नहीं है कि मंदिर से हमारी अर्थव्यवस्था को भी बहुत लाभ मिल रहा है।

चांद छूती महिलाएं

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महिलाएं आसमान छू रही हैं यह बात भी अब बहुत फीकी लगने लगी हैं क्योंकि आसमान को पार कर महिलाओं ने चांद को भी छू लिया है। महिलाएं दूज को जिस चांद की आरती उतारती थीं आज उन्होंने उस पर यान भेजकर यह सिद्ध कर दिया है कि वे केवल घर-गृहस्थी, धरती या आकाश ही नहीं चांद को भी नापने को तैयार हैं।

धागों से जुड़ता भारत

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भारतीय कला विविध रूपों में प्रतिबिम्बित होती है। कभी चित्रों के रूप में कैनवास पर, कभी शिल्पों के रूप में दीवारों पर तो कभी कढ़ाई के रूप में कपड़ों पर। जितने राज्य उससे भी अधिक कढ़ाई के तरीके। परंतु इतनी विविधता में एकता यह झलकती है कि कश्मीर की कशीदाकारी दक्षिण के लोग पसंद करते हैं और उत्तर प्रदेश की बनारसी महाराष्ट्र की दुल्हनों को लुभाती है। ये धागे भारत को जोड़ते हैं।

भारत की मनमोहक लोक चित्रकलाएं

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घर के आंगन में रोज बनाई जाने वाली रंगोली से लेकर दीवारों पर आयोजन विशेष के आधार पर बनाए जाने वाले चित्रों तक, सब कुछ भारतीय लोककला का जीवंत प्रमाण है। आज भारत की ये लोककलाएं पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान के लिए जानी जाती हैं। मधुबनी हो, वार्ली हो या ईसर-गवरी के चित्र हों, सभी देखने वालों का मन मोह लेती हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति के चिन्ह

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विश्वभर में जहां-जहां खनन का कार्य होता है, वहां-वहां भारतीय सभ्यता के प्रसार और विस्तार के चिन्ह मिलते हैं। भारतीय सभ्यता की प्राचीनता को जब वर्तमान से जोड़कर देखा जाता है तो हमें ज्ञात होता है कि विश्व के समस्त मानवों का उद्भव भारत से ही हुआ है।

उल्लू की राजनीति

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उ- काहे का मार्गदर्शक मंडल! जिस मंडल में हम हैं उसके आभा मंडल में सब हैं। वो मंडल टूट गया तो समझो कि फिर मेरे आसपास कोई एक कौवा तक न फटकेगा। इसलिए बजुर्गियत की तो बात ही मत करो। अभी तो मैं जवान हूं। लीडर कभी बुजुर्ग नहीं होता। वो बुर्जुआ होता है।

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