विश्व बाजार में उभरता भारतीय वस्त्र उद्योग

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सकारात्मक संकेत यह है कि मौजूदा सरकार वस्त्रोद्योग क्षेत्र में ढांचागत सुधार कर इसे फिर से पटरी पर लाकर तेज गति देने की दिशा में प्रयास कर रही है। ’मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के माध्यम से भारत को निर्माण तथा निर्यात का हब बनाने का अभियान चल ही रहा है।

वस्त्र कामगारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं

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वस्त्र मंत्रालय समय-समय पर वस्त्र कामगारों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं की निगरानी करता रहता है। कामगार और उनके लिए बनाई गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की लगातार बेहतरी मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। केंद्र सरकार ने वस्त्र उद्योग से हर क्षेत्र में ऐसी योजनाएं शुरू की हैं। 

भारतीय वस्त्र परंपरा में औद्योगिक हस्तक्षेप

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यह हमारा अज्ञान एवं भ्रम है कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में पश्चिम अग्रणी देशों में आते हैं, जबकि हकीकत यह थी कि हम पश्चिम में खासतौर से ब्रिटेन से बहुत आगे थे। जब ब्रिटेन हमारे कपड़ा उद्योग पर अतिक्रमण कर रहा था, तब हमारे यहां 2400 और 2500 काउंट के महीन धागे बनाने में जुलाहे निपुण थे, केवल एक ग्रेन में 29 गज लंबे धागे हमारे कारीगर बना लिया करते थे।

खादी: ग्रामोद्योग से वैश्विक उद्योग

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आज खादी देश से निकलकर दुनिया के बाजार में छाने को तैयार है। खादी को वैश्विक स्तर पर उभारने को लेकर सरकार प्रयासरत है। भारत सरकार ने खादी कपड़ों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिये ‘जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट योजना’ को शुरू किया है। इससे खादी उत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने में मदद मिलेगी। सरकार खादी को एक नए रूप में पेश करने की योजना बना रही है।

खादी : वस्त्र और विचार

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मनुष्य की जरूरत पूरी करने में खादी सक्षम है। आवश्यकता से अधिक अर्जन करने से आदमी की प्रकृति और प्रवृत्ति बदल जाती है। धीरे-धीरे शोषक बनने की श्रेणी में आ जाता है। जबकि चरखे में तो ईश्वर का वास है। यह गरीब से गरीब आदमी की क्षुधा तृप्त कर सकता है। उसको सम्मान दिला सकता है।

इमिटेशन ज्वेलरी पार्क बनाया जाए

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भारतीय इमिटेशन ज्वेलरी उद्योग चीन से आयातित माल व अंडरइनवायसिंग से संकट में पड़ गया है। इसलिए इसकी रोकथाम की जाए तथा इमिटेशन ज्वेलरी पार्क बनाया जाए तो 20 लाख से अधिक नए रोजगारों का सृजन हो सकता है।

कपड़ा उद्योग में संघर्ष की नौबत

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लॉकडाउन ने कपड़ा उद्योग को बेहाल कर दिया। मजदूरों को दो माह का वेतन तो दे दिया, लेकिन अब आगे ऐसा करना संभव नहीं है। इसलिए व्यापारियों और मजदूरों में संघर्ष की नौबत आ गई है। सरकार के किसी पैकेज की न एसोसिएशन के पास अधिकृत जानकारी है, न बैंकों के पास। इससे इस उद्योग को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

कंस्ट्रक्शन उद्योग सबसे बुरी हालत में

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कंस्ट्रक्शन उद्योग नोटबंदी, जीएसटी, रेरा और आर्थिक मंदी के कारण सबसे बुरे वक्त से गुजर ही रहा था कि कोरोना ने उसकी कमर तोड़ दी। इस उद्योग को उबारने के लिए सरकार को फौरन कदम उठाने चाहिए।

उद्योगों को सीधा लाभ पहुंचाए सरकार

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राहत पैकेज में बैंकों से भारी ब्याज पर ॠण मुहैया करने के बजाय सरकार यदि उद्योगों को सीधे लाभ देती तो वह अधिक उपयोगी होता और अर्थव्यवस्था के उठने में सहयोग मिलता। उद्योगों पर पहले से कई तरह के ॠण होते हैं, वे और ॠण लेकर संकट में क्यों पड़ना चाहेंगे।

कारोबारी जगत को सीधी मदद समय का तकाजा

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सरकार को तत्काल ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे कारोबारी को ‘तरल’ धन सीधे व आसानी से उपलब्ध हो, ताकि वह देश को वर्तमान संकट से उबारने में जी-जान लगा दे। इससे सरकार को करों के रूप में राजस्व बढ़कर मिलेगा ही, रोजगार मिलने से लोगों में हताशा भी नहीं आएगी।

सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखकर उद्योग शुरू हों

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सरकार ने छोटे मध्यम उद्योगों के लिये रियायत जाहीर की है, लेकिन अगर उसकी प्रक्रिया सही समय पर नहीं होगी तो 100% रिजल्ट नहीं आएगा। दूसरी बात आज अगर पैसा लेकर उसपर बैंकों में ब्याज भी भरना है तो वो मार्केट में कॉम्पिटेटिव कैसे होगा। सरकार ने ऐसा तो नहीं कहा है कि जिसको सहायता दी है उनका व्याज बैंक माफ़ करेगी।

जब करना हो नौकरी के साथ अपने बिज़नेस की शुरुआत

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कई बार ऐसा होता है कि आपकी सैलरी से महीने का ख़र्चा नहीं निकल पाता और यही वजह है कि आप काम में पूरी तरह से मन नहीं लगा पाते। लेकिन ज़्यादा पैसे कमाने का एक तरीका आज हम आपको बताने जा रहे हैं

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