उद्योग केंद्रित नीतियों की आवश्यकता

Continue Readingउद्योग केंद्रित नीतियों की आवश्यकता

आर्थिक सुधारों की दृष्टि से नोटबंदी, जीएसटी, करवंचना रोकने और कैशलेस लेनदेन बढ़ाने जैसे कठोर उपाय एक ही कालखंड में आए और इससे समाज में हड़बड़ी का माहौल निर्माण हो गया। नए प्रश्न निर्माण हुए। इससे पार पाने के लिए उद्योग केंद्रित नीतियों की आवश्यकता है। औद्योगिक क्षेत्र में स्वस्थ स्पर्धा, विश्वास का माहौल और प्रशासनिक संस्कृति का निर्माण हो तो इन समस्याओं से निपटा जा सकेगा।   किसी भी समाज की सम्पन्नता में उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्यवसायी समाज की आवश्यकता को पहचान कर उसे पूरा करने के लि

कैसा होगा भविष्य का बैंकिंग?

Continue Readingकैसा होगा भविष्य का बैंकिंग?

भविष्य का बैंकिंग पूरी तरह बदल चुका होगा। ग्राहकों के लिए विशिष्ट बैंकिंग अनुभव, जोखिमों और नियमों दोनों का बेहतर प्रबंधन, अत्याधुनिक तकनीक की मदद से गैर-बैंकिंग असंगठित संस्थाओं से प्रतिस्पर्धा करना, यही बैंकों का भविष्य है और तभी बैंक जीवित रह सकेंगे। हमारे बच्चे शायद किसी अलग तरह की बैंकिंग का अनुभव लेंगे। एक बात तो पक्की है कि बैंक शाखाओं का महत्व निकट भविष्य तक ही सीमित रहेगा। उसके बाद उनका महत्व बहुत हद तक कम हो जाएगा। भविष्य में बैंक शाखाएं बहुत अलग तरह की भूमिका अदा करेंगी। जैसे किसी पेचीदा माम

वस्तु एवं सेवा कर

Continue Readingवस्तु एवं सेवा कर

वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली १ जुलाई से क्रांतिकारी परिवर्तन है और पूरे देश को एक बाजार बना रही है। लेकिन इसके लागू होने से पहले तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे और अब भी इसमें दरों तथा कीमतों को लेकर जबरदस्त संशय बरकरार है। तमाम वस्तुओं और सेवाओं के लिए कर क

कृषि विकास दर ४.१% रहने का अनुमान- राधामोहन सिंह

Continue Readingकृषि विकास दर ४.१% रहने का अनुमान- राधामोहन सिंह

२०१६ में अच्छे मानसून और सरकार की नीतिगत पहल के कारण देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। वर्ष २०१६-१७ के लिए दूसरे अग्रिम आकलन के अनुसार देश में कुल २७१.९८ मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। केंद्र की भाजपानीत राजग सरकार पांच

कृषि क्षेत्र वृद्धि की ओर

Continue Readingकृषि क्षेत्र वृद्धि की ओर

बेहतर सड़क निर्माण, २००० किलोमीटर की तटीय संपर्क सड़क और भारत नेट के अंतर्गत १३०,००० पंचायतों को उच्च गति के ब्राडबैंड प्राप्त होने से निश्चित रूप से कृषि उत्पादों की मार्केटिंग में सुधार और बेहतर कीमतें मिलेंगी।   राज्य सरकार का कृषि क्षेत्र पर नए

राष्ट्र और विकास की अवधारणा

Continue Readingराष्ट्र और विकास की अवधारणा

संवेदना हमारे तत्व दर्शन में है और शक्ति समाज के संगठन और जन-जन के सशक्तिकरण में है। उच्च आध्यात्मिक मूल्यों से प्रेरित यही धर्म की अवधारणा है। यह हमारा विकास का सनातन मॉडल है। यह हमारी चिर परिभाषित राष्ट्रीयता है। भारत में राष्ट्र की अवधारणा मूलतः सर्व

टीजेएसबी बैंक डिजिटल बैंकिंग की ओर अग्रसर

Continue Readingटीजेएसबी बैंक डिजिटल बैंकिंग की ओर अग्रसर

टीजेएसबी सहकारी बैंक भारत की प्रमुख सहकारी बैंको में से एक है। बैंक विगत ४६ वर्षों से अपने ग्राहकों का विश्वास जीत कर उनकी सेवा के लिए हमेशा तत्पर रही है। बैंक के पास अपने ग्राहकों को देने लिए लगभग सभी प्रकार के डिजिटल प्रोडक्ट जैसे ई-बैंकिंग, आएमपीएस,

नोटबंदी का एक्स-रे

Continue Readingनोटबंदी का एक्स-रे

ओशो और नोटबंदी की बात करना बड़ा अटपटा लगेगा। लेकिन ओशो के चिंतन की गहराई में उतरे तो इसमें सिद्धांत पकड़ में आ जाएगा। ओशो ने कहा है, जब बदलाव या नवनिर्माण होता है तब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हुआ लगता है। अराजकता का माहौल बन जाता है। पुरानी इमारत ध्वस्त हो जाती

काले धन का कुचला फन

Continue Readingकाले धन का कुचला फन

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ८ नवम्बर की रात को ५०० और १,००० रुपये के नोट बंद करने का जो ऐलान किया, वह पी. वी. नरसिंह राव के समय भारत की अर्थव्यवस्था को खोलने के निर्णय के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक निर्णय था। जिस देश में आधी से अधिक अर्थव्यवस्था अब भी नकदी

आर्थिक सुनामी, जनता, और मीडिया

Continue Readingआर्थिक सुनामी, जनता, और मीडिया

पिछले माह देश ने एक भयंकर सुनामी का सामना किया। यह सुनामी प्राकृतिक नहीं वरन् मानव निर्मित थी। काला धन रखने वालों के होश उड़ाने वाली थी। जी हां! यह सुनामी आर्थिक सुनामी थी। ८ नवम्बर की रात प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पत्रकार परिषद में कड़े शब्दों में

आर्थिक क्रांति का प्रारंभ

Continue Readingआर्थिक क्रांति का प्रारंभ

ऐसा लग रहा है कि स्वाधीनता के ६९ वर्ष बाद भारत के इतिहास में वास्तविक अर्थ में आर्थिक सुधारों और क्रांति का पर्व आरंभ हो चुका है। इसकी साक्ष्य है मोदी सरकार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम। ५०० और १००० रु. के नोटों का निर्मौद्रिकरण कर के उन्हें रद्द कर देना।

क्या यह सिर्फ सहकारी बैंकों की ही जरुरत है ?

Continue Readingक्या यह सिर्फ सहकारी बैंकों की ही जरुरत है ?

 पलाई सेन्ट्रल बैंक लि. तथा लक्ष्मी बैंक लि. के विफल होने से जमाराशियों के लिए बीमा कराने के सम्बंध में गंभीर विचार हुआ और उसके उपरांत २१ अगस्त को संसद में निक्षेप बीमा निगम (डीआईसी) विधेयक लाया गया। संसद में पारित होने के बाद वह दिसम्बर १९६३ से प्रभावी हुआ।

End of content

No more pages to load