मुस्लिम महिलाओं से ही बदलाव की अपेक्षा

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ को मुस्लिम व्यक्ति कानून को मजहबी कानून करार देकर उसके संशोधन में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए। इससे भारतीय संविधान के अनुरूप सब के लिए समान नागरी कानून बनाने में सहायता होगी। फलस्वरूप, मुस्लिम कानून में तीन तलाक और बहुपत्नीत्व जैसी महिलाओं के प्रति अन्यायपूर्ण प्रथाएं समाप्त होंगी और मुल्ला-मौलवियों के हाथ में खिलौना बना मुस्लिम समाज प्रगति की ओर उन्मुख होगा।

ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण

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ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के मंत्रालयों में से एक है। यह मंत्रालय व्यापक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करके ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक उत्प्रेरक मंत्रालय का कार्य करता आ रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य गरीबी उन्मू्लन, रोज

मजबूत इरादों से बनी पहचान

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नलिनी हावरे महिलाओं के आर्थिक रूप से सक्षम होने पर विश्वास रखती हैं। उनके द्वारा संचालित डेली बजार में कर्मचारी वर्ग से लेकर मैनेजर, सीए स्तर पर भी महिलाएं हैं। इनमें कई महिलाएं उनके साथ तब सेे हैं जब से डेली बजार की नींव रखी गई। उनकी सुविधा की दृष्टि से डेली बजार में दो शिफ्ट में काम होता है।

भारत की वीरांगनाएं-

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भारत की विरांगनाओं को भी समय-समय पर अपनी प्रजारूपी संतानों की रक्षा हेतु हमने चण्डिका रूप धारण करते देखा है। किसी ने अपनी कायर पुरुष संतानों को वाक्बाणों से प्रताड़ित कर युध्द के लिए प्रेरित किया तो किसी ने सीधे खड्ग धारण कर युध्दभूमि पर अपना रणकौशल दिखा कर अमृतमय मृत्यु का वरण किया है।

फिर दूसरा रोहित न हो!

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रोहित वेमुला सरीखे समाज के निम्म वर्ग के तरुणों को गलत राह दिखाने का काम जिन लोगों ने किया वे ही वास्तव में उसकी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हैं। तथाकथित प्रगतिशील वामपंथी एवं सेक्यूलर लोग अब उसकी आत्महत्या पर राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं। ....वास्तव में किसी भी विद्यार्थी को विश्वविद्यालय में आत्महत्या करनी पड़े यह राष्ट्रीय पाप समझना चाहिए। हमें बच्चों को पुरुषार्थी बनाना है और उस तरह के परिवर्तन हमारी शिक्षा व्यवस्था में करने पड़ेंगे ताकि और कोई रोहित न बने।

कमजोर होतीमहिला आंदोलन की धार

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स्वतंत्रता आंदोलन की तरह ही अपने अधिकारों के लिए महिलाओं ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किए हैं। ‘इंसान’ के रूप में जीने का अधिकार पाने के लिए शुरू हुई यह ल़ड़ाई घर की दहलीज पार गई थी। अस्तित्व के संघर्ष ने आगे अस्मिता का रूप ले लिया। साक्षर होने के बाद महिलाओं ने समान हक प्राप्त करने की ल़ड़ाई भी जीती। सावित्रीबाई ङ्गुले, रमाबाई रानड़े आदि ने महिला आंदोलन के बीज बोए।

देह धरे को दण्ड

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इसका नाम कुछ भी हो सकता है, वह किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय की हो सकती है, यहां तक कि उसकी उम्र कुछ भी हो सकती है; पर हां, इस आलेख की केंद्रीभूत पात्र होने के नाते उसका केवल स्त्री होना आवश्यक है। इस आलेख को पढ़ने वालों को अप

महिलाएं अपराध की ओर क्यों मुड़ती हैं?

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नज़ाकत, सौंदर्य, शालीनता और ममता की मूरत मानी जाने वाली महिला का अपराध की राह पर कदम रखना सेहतमंद समाज के निर्माण का लक्षण नहीं होता। पीढ़ी को संस्कारों की मजबूत नींव पर खड़ा करने वाली महिला अगर अपराधों की दलदल में फंस जात

खूब लडी मर्दानी

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झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अटूट राष्ट्रनिष्ठा एव अंतिम क्षणों तक सतीत्व रक्षा के प्रति जागृत थी। यह बोध आज की पीढ़ी के लिए सचमुच प्रेरणादाई है। आज की युवा पीढ़ी को चाहिए कि वह रानी के बलिदान को व्यर्थ न जाने दे। २५ मई (शास

आदिशक्ति मैं इस जगत की

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वि श्व में भारत ही ऐसा देश है जहां स्त्री को ‘मंगलानारायणी मां सप्तशक्तिधारिणी या जगत की आदिशक्ति’ के रूप में देखा गया है। विश्वमान्य ग्रंथ श्री भगवद्गीता के विभूतियोग नामक दसवें अध्याय के चौतीसवें श्लोक की व्दितीय पंक्ति में भगवान कहते हैं

कांटों भरा गुलाब

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म न की ताकत प्रचंड होती है। कोई चीज आपको यदि मन सेकरनी हो तो उस बारे में केवल पक्का निश्चय करना होता है। सभी अवरोधों को दूर कर आप उसे प्राप्त करके ही छोड़ते हैं। रोजमेरी सिगिंस का सम्पूर्ण जीवन ही मन की ताकत पर ही सब कुछ पाने की दास्तां है। जीने की परीक्षा में अपने को साबित कर प्राप्त हुई वह चमचमाती सफलता है।

एक गलती,खेल खतम…

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****माधुरी ताम्हणे**** रात के साढ़े ग्यारह बजे थे। गाड़ी में माल भरकर विजापुरके ढाबे पर भोजन कर ट्रक की ओर बढ़ी, तब खटिया पर बैठे दो-तीन ड्रायवरों ने एक दूसरे को इशारे किए, जो मेरी नजरों से बच नहीं पाया। आईने में देखा तो वे अब भी मेरी तरफ देखते दिखाई दिए

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