मुस्लिम महिलाओं से ही बदलाव की अपेक्षा
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ को मुस्लिम व्यक्ति कानून को मजहबी कानून करार देकर उसके संशोधन में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए। इससे भारतीय संविधान के अनुरूप सब के लिए समान नागरी कानून बनाने में सहायता होगी। फलस्वरूप, मुस्लिम कानून में तीन तलाक और बहुपत्नीत्व जैसी महिलाओं के प्रति अन्यायपूर्ण प्रथाएं समाप्त होंगी और मुल्ला-मौलवियों के हाथ में खिलौना बना मुस्लिम समाज प्रगति की ओर उन्मुख होगा।