ज्योतिरादित्य सिंधियाः चुनौतियां और पहेलियां

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मध्यप्रदेश के इस राजनीतिक नाट्य से उत्पन्न कुछ पहेलियां आज दिखाई दे रही हैं, वैसी ही कुछ दिखाई न देने वाली पहेलियां भी हैं। ये दिखने वाली और न दिखने वाली राजनीतिक पहेलियां उजागर होकर उन्हें हल करने के लिए कुछ समय तक इंतजार करना होगा।

केजरीवाल जीते नहीं, जिताए गए!

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केजरीवाल को जिताने में कांग्रेस, शहरी नक्सली और वामपंथी सफल रहे हैं। मीडिया और मुसलमान भी आप के पक्ष में चले गए। ऐसे कई कारण गिनाए जा सकते हैं। भाजपा को अब उसकी रणनीति पर मंथन करना होगा।

दिल्ली जीत पाएंगे केजरीवाल?

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केजरीवाल की राह 2015 के मुकाबले 2020 में बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। केजरीवाल ने ट्वीट में ‘भगवान के भला करने की बात’ लिखी है। केजरीवाल का कितना भला होता है यह भगवान ही जानें।

साधो ये जग बौराना

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अचानक मां दहाड़ मार कर रो दी, क्योंकि उसके कुछ और बच्चों ने मौत को गले लगा लिया था। हमारी जेब में तीन फोन थे, एक लैफ्ट का, एक राइट का, एक लैफ्टाइट का। तीनों बज रहे थे। उस मां की आंखों के आंसू न जाने कैसे हमारी आंखों तक पहुंच गए। ‘साधो ये जग बौराना” कहकर रोते हुए हम उस मां के चरणों में झुक गए...

नागरिकता कानून विरोध की राजनीति?

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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हुए हिंसक आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश थी। कुत्सित राजनीति के हथियार के तौर पर विरोध के अधिकार का खतरनाक इस्तेमाल किया गया। इसे समझना जरूरी है।

जेएनयू पूरा देश नहीं

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सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता के कारण यह सच सभी के सामने आ रहा है कि सीएए के समर्थन करने वालों की संख्या अत्यधिक है और जेएनयू में जो हो रहा है वह दिखावा मात्र है। जेएनयू पूरा देश नहीं है।

भाजपा के हाथ से फिसलते राज्यों के बहाने

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भारतीय जनता पार्टी एक गतिमान और उर्वरा राजनितिक दल है। पार्टी की रीति-नीति ऐसी है कि उसमें नेताओं की दूसरी/तीसरी पांत स्वतः ही तैयार होती रहती है।

इतिहास आपको माफ नहीं करेगा

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हिन्दी विवेक की ओर से दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में 7 जनवरी को ‘कर्मयोद्धा नरेन्द्र मोदी’ इस 300 पृष्ठों के ग्रंथ का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ। गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि थे। इस पुस्तक की खबरें देश के विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक पर कोई भी चर्चा किसी ने भी नहीं की, क्यों? इसका कारण याने विवाद पैदा करनेवाला कोई मालमसाला इस पुस्तक में नहीं है। इसमें विवाद निर्माण करने जैसी कोई बात शायद नहीं मिल रही है। जो अपनी शक्ति, समय एवं पैसा इसी काम में खर्च करते हैं उनके लिये इस ग्रंथ ने निराशा पैदा की है। ऐसे व्यक्तियों को दिल्ली में प्रकाशित ‘आज के शिवाजी:नरेन्द्र मोदी’ इस पुस्तक ने मसाला दिया तो उनके दिल को ठंडक पहुंची होगी।

यूरोपीय यूनियन ने दिया भारत को समर्थन

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अब दो दिवसीय दौरे पर आये यूरोपीय संघ (ईयू) के 23 सांसदों ने भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है। ईयू के सांसदों ने कहा कि वे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में भारत के साथ हैं। ईयू के सांसदों के इस बयान को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

आखिर क्यों आया ऐसा चुनाव परिणाम ?

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हालांकि यह मान लेना गलत होगा कि जाटों के एक तबके के खिलाफ जाने के कारण ही भाजपा को क्षति हुई। इसके साथ कई कारको ने भूमिका निभाई। फडणवीस सरकार ने भीमा कोरगांव जैसे सुनियोजित हिंसक आंदोलन को जिस तरह नियंत्रण किया एवं माओवादियों के चेहरे उजागर किए उससे विचारधारा के आधार पर समर्थन करने वाले परंपरागत मतदाताओं का समर्थन बना रहा। शनि सिंगनापुर आंदोलन को भी सरकार ने नियंत्रण से बाहर नहीं आने दिया।

नकारा नेतृत्व की नाकामी से डूब रही कांग्रेस की नैय्या  

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 सलमान खुर्शीद के इस बयान में भले ही कड़वी सच्चाई छुपी हो, परंतु उनके इस बयान पर पार्टी में विवाद चल गया है। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी इसे घर को आग लग गई, घर के चिराग से कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गांधी गलत नहीं थे।  उन्हें कुछ नेताओं का समर्थन नहीं मिला, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।

राष्ट्रीय स्तर पर हो चीनी सामानों के बहिष्कार

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देश के अनेक व्यापार मंडलों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है लेकिन केवल इतना ही काफी नहीं है. इसमें जनता को शामिल कर देशव्यापी आन्दोलन चलाया जाना चाहिए. धारा ३७० हटाए जाने के बाद कश्मीर मुद्दे पर चीन पाकिस्तान का साथ दे रहा है

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