फिल्मी वेशभूषा भानुमति का पिटारा

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काफी लंंबे अरसे तक फिल्म निर्माण में वस्त्रों के चयन की जिम्मेदारी निर्देशक की हुआ करती थी, किंतु समय के साथ इसमें भी बदलाव आया और सत्तर के दशक में बाकायदा वस्त्र विशेषज्ञ का प्रवेश हुआ। इसे कास्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर जाना गया।

वस्त्र एवं कपड़ा आधारित आन्दोलन

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ब्रिटिश काल में ब्रिटिश सरकार ने अपने हितों के लिए कई ऐसी नीतियां और कानून बनाए, जिसके अंतर्गत वस्त्र एवं कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों के हितों पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ा। इसमें 1813 एक्ट के तहत भारत में मुक्त व्यापार की नीति लागू की गई। इस नीति के तहत अब न सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी बल्कि अन्य बाहरी कंपनियां भी भारत में व्यापार कर सकती थीं।

ब्रिटिशकालीन मुंबई के गांव

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वैश्वीकरण के आधुनिक युग में रहने वाले मुंबईवासियों को शनिवार-रविवार की लगातार दो दिन की छुट्टियों में बरसात के मौसम में हरी चादर ओढ़े पर्वतों और उनमें कलकल बहते जलप्रवाहों और प्रपातों में विचरण करने की इच्छा होती है। शहरी वातावरण से परेशान जीवन ग्रामीण म

अध्यात्म का वरदान भारतीय परिधान

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जो बात या गरिमा महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली साड़ी से झलकती है वह समाज की महिला के प्रति दृष्टि भी बदल देती है। भारत में स्त्रियों द्वारा साड़ी का पहनना एक जीवन पद्धति भी है और परंपरा भी, जो वैदिक काल से अब तक निरंतर प्रवाहमान है। साड़ी न केवल भारत को बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए स्त्री की स्त्रीत्व और मातृत्व की पहचान है।

दीपावली एक – सन्दर्भ अनेक

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दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का वर्णन सर्वप्रथम ऋग्वेद के ‘श्री सूक्त’ में मिलता है, जो कि भगवान श्रीराम के समय से काफी पूर्व का है। ‘विष्णुधर्मोत्तर पुराण’ में इनकी स्वर्ण लक्ष्मी, गृह लक्ष्मी व जय लक्ष्मी के रूप में वन्दना की गयी है।

उमर खालित बड़ी साजिश में शामिल

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उमर खालिद को केवल भड़काऊ भाषण के लिए ही नहीं बल्कि दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों में अहम भूमिका निभाने के लिए भी किया गया है गिरफ्तार किया गया है। इससे एक बड़ी साजिश का भंड़ाफोड़ हुआ है।

अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत

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भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि में अच्छे उपज के संकेत है। औद्योगिक क्षेत्र में सरकारी पैकेज के साथ धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। किसानों के हित में दो नए कानून हाल में बनाए हैं, जो उन्हें आर्थिक मुक्ति की दिशा में अग्रसर करेंगे।

विदेशी भाषा अधिगम – आत्मनिर्भरता की सौगात

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छठी पीढ़ी का युद्ध परमाणु युद्ध न होकर साइबर, मेडिकल या आर्थिक युद्ध होना है। इसलिए हमारे युवकों को विश्व के लगभग सभी विकसित देशों की भाषाओं का सामान्य परिचय कराना बहुता जरूरी है। विदेशी की भाषा का यह अधिगम हमारे लिए आत्मनिर्भरता की सौगात ही होगा।

आत्मनिर्भरता में मातृशक्ति का योगदान

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भारत को आत्मनिर्भर बनाने के स्वप्न के साथ, अपने जीवन लक्ष्य को, कर्म को जोड़ दें। इसे सब में हमारे परिवार धुरी का केंद्रबिंदु हमारी मातृशक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है। आत्मनिर्भरता का मानक सुख व आनंद की उपलब्धि है।

स्वास्थ्य का मूलाधिकार आत्मनिर्भरता की बुनियाद

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मोदी सरकार ने जिस राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को 2017 में लागू किया है उसके मूल प्रारूप में ’जनस्वास्थ्य’ को शिक्षा और खाद्य की तरह बुनियादी अधिकार बनाने का प्रस्ताव था; लेकिन राज्यों के कतिपय विरोध के चलते इसे विलोपित कर दिया गया। कोरोना महामारी के अनुभव ने हमें अब पुनः इस पर नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम तभी आत्मनिर्भर बन सकते हैं, जब स्वास्थ्य को हम नागरिकों का बुनियादी अधिकार मानें।

जनसंख्या वृद्धि पर सबके लिए समान नीति हो

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समाज का एक तबका परिवार नियोजन अपनाए और दूसरा तबका न अपनाए तो विवेकहीन जनसंख्या वृद्धि हो जाती है। अतः सभी के लिए समान जनसंख्या नीति व उसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है। यह धर्म का मुद्दा नहीं है। कोई भी धर्म परिवार नियोजन के खिलाफ नहीं है; यहां तक कि इस्लाम भी।

प्रगतिशीलता ही हिंदुत्व का परमतत्व

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गणेशोत्सव का धार्मिक ही नहीं अपितु सामाजिक व राष्ट्रीय योगदान भी रहा है। अब हमारा वर्तमान दायित्व है कि हम इस उत्सव को कोरोना महामारी के विरुद्ध एक शस्त्र की तरह उपयोग करें व हिंदुत्व के परम प्रयोगवादी, प्रगतिवादी व परम प्रासंगिक रहने के सारस्वत भाव की और अधिक प्राणप्रतिष्ठा करें।

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