पंच महायोग का दुर्लभ अवसर 100 साल बाद

Continue Readingपंच महायोग का दुर्लभ अवसर 100 साल बाद

अक्षय तृतीया पर्व को अखतीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है। इस वर्ष यह पर्व 3 मई 2022  के दिन मनाया जाएगा। मूलतः इस पर्व को भारतवर्ष के खास त्यौहारों की श्रेणी में रखा जाता है। अक्षय तृतीया पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन…

वसई में भव्य रामनवमी शोभा यात्रा का आयोजन

Continue Readingवसई में भव्य रामनवमी शोभा यात्रा का आयोजन

भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी। भूषन वनमाला नयन बिसाला  सोभासिंधु खरारी।।  कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौ अनंता। माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता।।  करुना सुख सागर सब गुन…

भारतबोध जागृत हो रहा है

Continue Readingभारतबोध जागृत हो रहा है

पिछले कुछ महीनों से भारतीय समाज में एक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। इसे कुछ लोग सामाजिक ध्रुविकरण कह रहे हैं, कुछ लोग बंटवारे की राजनीति कह रहे हैं, कुछ लोग गंगा-जमुनी संस्कृति पर प्रहार मान रहे हैं। कर्नाटक में हिजाब प्रकरण के बाद हिंदू युवाओं द्वारा भगवा गमछे ओढ़ना,…

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की छाया में गणतंत्र

Continue Readingसांस्कृतिक राष्ट्रवाद की छाया में गणतंत्र

बदलाव की चेतना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी देखने में आई थी। इसीलिए इसे भारतीय स्वाभिमान की जागृति का संग्राम भी कहा जाता है। राजनीतिक दमन और आर्थिक शोषण के विरुद्ध लोक-चेतना का यह प्रबुद्ध अभियान था। यह चेतना उत्तरोतर ऐसी विस्तृत हुई कि समूची दुनिया में उपनिवेशवाद के विरुद्ध मुक्ति का स्वर मुखर हो गया। परिणाम स्वरूप भारत की आजादी एशिया और अफ्रीका की भी आजादी लेकर आई।

एक अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह है अखंड भारत

Continue Readingएक अनवरत सांस्कृतिक प्रवाह है अखंड भारत

कुल मिलाकर अगर हम अखंड भारत चाहते हैं तो भारतीय संस्कृति जो हिंदू संस्कृति है उसे अपना मानदंड बनाकर चलना होगा। दीनदयाल जी के अखंड भारत के स्वप्न् को साकार करने के आह्वान का आज पुन: स्मरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था, ... हमें हिम्मत हारने की जरूरत नहीं। यदि पिछले सिपाही थके हैं तो नए आगे आएंगे।

काशी बना भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक

Continue Readingकाशी बना भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के साथ इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय का निर्माण हुआ। प्रमुख संप्रदायों के संतों की मौजूदगी में महादेव का अनुष्ठान हुआ। गंगा घाटों के साथ शहर की प्रमुख भागों को सजाया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर के सात संपूर्ण कॉरिडोर के…

हिमालय का महाकुंभ नंदादेवी राजजात

Continue Readingहिमालय का महाकुंभ नंदादेवी राजजात

नन्दा उनकी कैलाश शिव को ब्याही हुई लाडली कन्या है, जिसे अपने ससुराल औघड़ शिव के यहां असह्य कष्टों और अभावों का सामना करना पड़ता है। मायके की याद में दुखी नन्दा कैलाश में रोती-बिलखती कहती है ’मेरी सभी बहनों में से मैं अप्रिय हूं इसलिए मुझे बिवाया गया इस वीरान कैलाश में। वह भी भांग फूंकने वाले जोगी को, जिसके लिए भांग घोटते-घोटते मेरे हाथों पर छाले पड़ गए हैं।’ नन्दा के प्रति लोक मानस का यही भाव संसार इसे लोकप्रियता की ऊंचाइयों तक लेे जाता है।

जब इतिहास बोलता है….

Continue Readingजब इतिहास बोलता है….

इतिहास अन्वेषण यह ऐरे-गैरे का काम नहीं है। सारी जिंदगी समर्पित करने के बाद इतिहास के किसी रहस्य से परदा उठ सकता है। अमुमन यह दिखाई देता है कि इस क्षेत्र में नई पीढ़ी आती नहीं है, फिर भी मिरज का तीस-पैंतीस वर्षीय युवक इस विषय में स्वयं को झोंक देता है, यह राहत की बात है।

भारत और धर्मनिरपेक्षता

Continue Readingभारत और धर्मनिरपेक्षता

राजनैतिक क्षेत्र में जिधर देखो उधर धर्मनिरपेक्षता शब्द चर्चा में है। हर बड़ा नेता अपने को दूसरे से बड़ा धर्मनिरपेक्ष सिद्ध करने में लगा है। संसद में अनेक तरह के कानून बनते हैं, अनेक विषयों पर चर्चाएं हुई हैं,

हिंदू धर्म नहीं, जीवन प्रणाली

Continue Readingहिंदू धर्म नहीं, जीवन प्रणाली

सर्वोच्च न्यायालय के अनेक फैसलों में हिंदू को धर्म नहीं, अपितु जीवन प्रणाली माना गया है। हिंदू यदि धर्म न हो और हिंदू एक जीवन प्रणाली हो तो हिंदू कानून को समान नागरी कानून मानकर भारत में रहने वाले, स्वयं को भारतीय कहलाने वाले हरेक को वह लागू होना चाहिए। सभी धार्मिक समूहों को भी वह लागू होना चाहिए।

महाराष्ट का सांस्कृतिक वैभव पंढरपुर की ‘वारी’

Continue Readingमहाराष्ट का सांस्कृतिक वैभव पंढरपुर की ‘वारी’

‘वारी’ यानी पैदल यात्रा। पंढरपुर तीर्थक्षेत्र। पंढरपुर की ‘वारी’ महाराष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव और पारमार्थिक ऐश्वर्य है। इस ‘वारी’ की प्राचीन परम्परा व इतिहास है। पंढरपुर की ‘वारी’ का जिक्र चौथी और पांचवीं सदी में मिले ताम्रपटों में मिलता है।

राजस्थानी वीरों की उज्ज्वल परम्परा

Continue Readingराजस्थानी वीरों की उज्ज्वल परम्परा

सम्राट पृथ्वीराज चौहान युगाब्द 4268 (ईस्वी 1166, वि. 1223) में केवल 11 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे तथा 26 वर्ष की आयु में उन्होंने वीरगति प्राप्त की।

End of content

No more pages to load