ध्येयनिष्ठ वंदनीय उषाताई

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वं. उषाताई चाटी का चले जाना यूं भी सेविकाओं के लिए किसी आघात से कम नहीं। वह बालिका के रूप में स्व. नानी कोलते जी की अंगुली पकड़ कर समिति की शाखा में आई और अपनी स्वभावगत विशेषताओं और क्षमताओं के कारण ६८ वर्ष पश्चात् संगठन की प्रमुख बन कर १२ वर्ष तक सभी का मार्गदर्शन करती रही। वं. मौसी जी ने सेविकाओं के सम्मुख तीन आदर्श रखे, मातृत्व-कतृत्व-नेतृत्व।वं. उषाताई जी ने ‘स्वधर्मे स्वमार्गे परं श्रद्धया’ पर चलने वाला जीवन जीया। उनका स्मरण अर्थात् ७८ वर्ष के ध्येयनिष्ठ जीवन का स्मरण। आयु के १२हवें वर्ष से

उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण

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  उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आधी आबादी के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। राज्य में महिला बाल एवं विकास हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। महिलाओं के आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए भी नई सरकार ने कई कदम उठाए हैं। देश का सबसे

दो नावों पर सवार

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महिलाओं को सुपर वुमन बनने में और खुद को नजरअंदाज करने में महानता का अहसास होता है। यह सोच बदलनी होगी। कामकाजी महिला हो तो घर के सभी की मिलजुलकर काम करने की जिम्मेदारी बढ़ती है। इस नए परिवेश को अपनाए बगैर और कोई चारा नहीं है। प्रिया की सुबह की गहमागहमी, अफ

आंचल में अंगार सहेजने वाली सुलभा

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हमने ही आपात्कालीन परिस्थिति समाप्त कराई’ ऐसी डींग कइयों ने हांकी होगी, प्रशंसा बटोरी होंगी। जो आपात्काल के विरोध में खड़े हुए, भूमिगत हुए, जेल गए उन्हें यह पता है कि आपात्काल के विरोध में लड़ाई जीती गई इसका कारण है सुलभा शांताराम भालेराव जैसी साहसी

मुस्लिम महिलाओं से ही बदलाव की अपेक्षा

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ को मुस्लिम व्यक्ति कानून को मजहबी कानून करार देकर उसके संशोधन में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए। इससे भारतीय संविधान के अनुरूप सब के लिए समान नागरी कानून बनाने में सहायता होगी। फलस्वरूप, मुस्लिम कानून में तीन तलाक और बहुपत्नीत्व जैसी महिलाओं के प्रति अन्यायपूर्ण प्रथाएं समाप्त होंगी और मुल्ला-मौलवियों के हाथ में खिलौना बना मुस्लिम समाज प्रगति की ओर उन्मुख होगा।

ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण

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ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के मंत्रालयों में से एक है। यह मंत्रालय व्यापक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करके ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक उत्प्रेरक मंत्रालय का कार्य करता आ रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य गरीबी उन्मू्लन, रोज

मजबूत इरादों से बनी पहचान

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नलिनी हावरे महिलाओं के आर्थिक रूप से सक्षम होने पर विश्वास रखती हैं। उनके द्वारा संचालित डेली बजार में कर्मचारी वर्ग से लेकर मैनेजर, सीए स्तर पर भी महिलाएं हैं। इनमें कई महिलाएं उनके साथ तब सेे हैं जब से डेली बजार की नींव रखी गई। उनकी सुविधा की दृष्टि से डेली बजार में दो शिफ्ट में काम होता है।

भारत की वीरांगनाएं-

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भारत की विरांगनाओं को भी समय-समय पर अपनी प्रजारूपी संतानों की रक्षा हेतु हमने चण्डिका रूप धारण करते देखा है। किसी ने अपनी कायर पुरुष संतानों को वाक्बाणों से प्रताड़ित कर युध्द के लिए प्रेरित किया तो किसी ने सीधे खड्ग धारण कर युध्दभूमि पर अपना रणकौशल दिखा कर अमृतमय मृत्यु का वरण किया है।

फिर दूसरा रोहित न हो!

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रोहित वेमुला सरीखे समाज के निम्म वर्ग के तरुणों को गलत राह दिखाने का काम जिन लोगों ने किया वे ही वास्तव में उसकी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हैं। तथाकथित प्रगतिशील वामपंथी एवं सेक्यूलर लोग अब उसकी आत्महत्या पर राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं। ....वास्तव में किसी भी विद्यार्थी को विश्वविद्यालय में आत्महत्या करनी पड़े यह राष्ट्रीय पाप समझना चाहिए। हमें बच्चों को पुरुषार्थी बनाना है और उस तरह के परिवर्तन हमारी शिक्षा व्यवस्था में करने पड़ेंगे ताकि और कोई रोहित न बने।

कमजोर होतीमहिला आंदोलन की धार

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स्वतंत्रता आंदोलन की तरह ही अपने अधिकारों के लिए महिलाओं ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किए हैं। ‘इंसान’ के रूप में जीने का अधिकार पाने के लिए शुरू हुई यह ल़ड़ाई घर की दहलीज पार गई थी। अस्तित्व के संघर्ष ने आगे अस्मिता का रूप ले लिया। साक्षर होने के बाद महिलाओं ने समान हक प्राप्त करने की ल़ड़ाई भी जीती। सावित्रीबाई ङ्गुले, रमाबाई रानड़े आदि ने महिला आंदोलन के बीज बोए।

देह धरे को दण्ड

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इसका नाम कुछ भी हो सकता है, वह किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय की हो सकती है, यहां तक कि उसकी उम्र कुछ भी हो सकती है; पर हां, इस आलेख की केंद्रीभूत पात्र होने के नाते उसका केवल स्त्री होना आवश्यक है। इस आलेख को पढ़ने वालों को अप

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