घातक अफवाहों का खूनी खेल

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 अफवाहें क्यों और कैसे फैलती हैं? क्या इन्हें हास्यास्पद और कोरी बकवास कहकर छोड़ देना ठीक होगा? क्या ऐसा कोई तंत्र है, जो इसे चुपके से फैला रहा है? क्या इसे अज्ञात संकट कहा जाए? क्या हमारा समाजमन अंधश्रद्धाओं और अफवाहों के मानसिक विकार से पीड़ित है? इन प्रश्नों पर गंभीरता से विचार किए बिना विकास का हमारा रथ तेजी से दौड़ नहीं पाएगा।

जम्मू में राज्यपाल शासन के मायने

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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन आना ही था। गठबंधन में शामिल महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और भाजपा में वैचारिक धरातल पर अंतर्विरोध था। पीडीपी की संवेदनाएं जहां अलगाववादियों व आतंकवादियों के पक्ष में उमड़ती रहीं, वहीं भाजपा सूबे में अमनचैन की पक्षधर रही। राज्यपाल शासन से अब कुछ उम्मीदें बढ़ी हैं।

    कश्मीरी युवा नई दिशा की ओर

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जम्मू-कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण राज्य में राज्य से संबंधित विषयों पर विपरीत विचार और दृष्टिकोण रखने वाले दो राजनीतिक दलों की गठबंधन की सरकार अंततः 3 वर्षों  बाद टूट गई। गठबंधन में साथी रही भाजपा ने गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला पिछले माह लिया। सरकार से समर्थन वापस लेने के कई कारण भाजपा ने बताए, जिनमें से देश की अखण्डता और सुरक्षा सबसे ऊपर थी। इन 3 वर्षों में भी वैसे जहां तक देश की सुरक्षा की बात थी तो सामरिक दृष्टि से केन्द्र सरकार और भारतीय सुरक्षा बलों ने कोई ढील जम्मू-कश्मीर राज्य में नहीं बरती। लेकिन फिर भी जहां तक राज्य के भीतर विशेषकर कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था और अराजक तत्वों से निपटने का सवाल था तो राज्य में मुख्यमंत्री रहीं महबूबा मुफ्ती हमेशा से ही असमंजस की स्थिति में रहीं।

बकरा विचारधारा की प्रासंगिकता

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अरब-ईरान-मध्य एशिया से आए सैयदों और बहावियों तथा कश्मीरियों में नेतृत्व के प्रश्न पर झगड़ा धीरे-धीरे बढ़ने लगा तो शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला के संघर्ष काल में ही इस संघर्ष गाथा का नामकरण हो गया, शेर-बकरा की लड़ाई। इसमें शेर शेख अब्दुल्ला की पार्टी और बकरा सैयदों और वहाबियों की पार्टी कहलाई जाने लगी। ...यह बकरा विचारधारा ही घाटी में  क़हर ढा रही है

शरिया अदालतें: धार्मिक राज्य स्थापित करने का षड्यंत्र

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मुस्लिमों में भी बहुत सारे अंतर्विरोध और पंथ हैं। वे अपने-अपने से कुरान और शरियत को परिभाषित करते हैं। इस स्थिति में पर्सनल लॉ बोर्ड की अलग शरियत अदालतें गठित करने की मांग न केवल मुस्लिमों को और विभाजित कर देगी; बल्कि देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की भी ऐसीतैसी कर देगी।

ईसाई धर्मप्रचारकों की विकृतियां

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मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ से 280 नवजात शिशुओं के लापता होने की सनसनीखेज खबर कुछ दिनों पूर्व सामने आई थी। रांची में इस संस्था के द्वारा संचालित ‘निर्मल हृदय’ संस्था से हुई बच्चों की बिक्री के तार देशव्यापी मानव तस्करी से जुडे होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

संस्कृत सम्भाषण तथा अध्ययन की भाषा हो

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आज दुनिया के कई देशों ने यह मान लिया है कि कम्प्यूटर के लिए भी सबसे शुद्ध भाषा संस्कृत है। परंतु इसका व्यावहारिक उपयोग न्यूनतम है। संस्कृत भारती के द्वारा पिछले कई वर्षों में संस्कृत के प्रसार और सम्भाषण पर जोर दिया जा रहा है। संस्कृत से सम्बंधित विविध मुद्दों पर संस्कृत भारती के महामंत्री श्रीश देवपुजारी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

हमारे त्यौहारों में छिपा गहन विज्ञान

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त्यौहारों को मनाने के पीछे गहन विज्ञान है। इसका उद्देश्य मौसम बदलने पर स्वास्थ्य की देखभाल, पर्यावरण को स्वच्छ रखना, लोगों के जीवन में खुशियां लाकर, मिलजुलकर भाईचारा बनाए रखना है। इनके वैज्ञानिक कारणों पर हमें गौर करना चाहिए।

मौसम है शायराना…

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चाहे बारिश कितना भी तूफान मचा दें; फिर भी बारिश का हर बरस इंतजार होता है। क्योंकि, बारिश है तो जीवन है। जीवन के विविध रंग है। प्यार-मुहब्बत, गीले-शिकवे, बचपन-यौवन, यहां तक कि बूढ़ापा भी बारिश है। देखिए, शायरों ने इसे इस अंदाज में अपनी शायरी में बांधा है कि दिल बाग-बाग-महाराजबाग हो जाता है।

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