चंद्रपुर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण

Continue Readingचंद्रपुर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण

संक्रामक रोगों के फैलने, जल, जमीन व जंगल पर होने वाले दुष्परिणामों के कारण भविष्य में इस क्षेत्र में जीवन को ही खतरा पैदा होने वाला है। इन सारी बातों की केंद्र व राज्य सरकारों को जानकारी देने के बावजूद प्रदूषणकारी उद्योगों को अनुमति दी जाना अंग्रेजों की काले पानी की सजा की तरह ही है।

नदियों में बहती विष-धाराएँ

Continue Readingनदियों में बहती विष-धाराएँ

पर्यावरण की सुरक्षा आज इस देश की सबसे बड़ी समस्या है। अब आज और कल केम मनुष्य का अस्तित्व इसी पर निर्भर है। संतोष की बात है, इस सन्दर्भ में न्यायालय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं लेकिन यह जनता का भी काम है कि वह अपनी नदियों को साफ-सुथरा रखे।

विद्यालयों में नेचर क्लब

Continue Readingविद्यालयों में नेचर क्लब

पर्यावरण की दृष्टि से हर पदार्थ का सृष्टि संतुलन में अपना योगदान है- यह सीख ‘यंगेस्ट इंडिया’ के बीस करोड़ छात्रों को नेचर क्लब के जरिये समाझायें और प्रकृति और मानवता की रक्षा करें।

भोजन के लिए भटकते वन्य जीव

Continue Readingभोजन के लिए भटकते वन्य जीव

पिछले कुछ सालों से हम पढ़ रहे हैं और सुन रहे हैं कि कर्नाटक राज्य के दण्डेली क्षेत्र के जंगलों से जंगली हाथियों के कुछ झुण्ड गोवा मार्ग से महाराष्ट्र के कोकण व कोल्हापुर जिले के जंगलों में प्रवेश कर रहे हैं।

संस्कृति और पर्यावरण

Continue Readingसंस्कृति और पर्यावरण

सभ्यताएं प्रकृति सुन्दरी की गोदी में खेलती रहेंगी वही भविष्य में पल्लवित और पुष्पित होंगी। भारतीय मानसिकता, आस्थाएं और जीवन शैली में बिगड़ते पर्यावरण की चुनौतियों को झेलने की अन्तर्शक्ति विद्यमान है।

यज्ञ बचाए पर्यावरण

Continue Readingयज्ञ बचाए पर्यावरण

यज्ञ (अग्निहोत्र) ब्रह्माण्ड् के जड़-चेतन पदार्थों से जुड़ी वह पद्धति है जिसको आचरण में लाकर मनुष्य, जो सभी योनियों में श्रेष्ठ समझा जाता है, सुख बटोरता है और परोसता है।

चलिए एक प्रयास हम भी करें

Continue Readingचलिए एक प्रयास हम भी करें

घर के बर्तन खरीदते वक्त ये ध्यान रखें कि आफ स्टील के बर्तन खरीदें व कम से कम पलास्टिक खरीदें। यदि संभव हो सके तो पलास्टिक खरीदना ही बंद कर देें।

जलसंवर्धन

Continue Readingजलसंवर्धन

मानव की बौध्दिक क्षमता की उड़ान को देखकर कभी-कभी हमें लगता है कि हम ‘विज्ञान’ की सहायता से प्रकृति के ऊपर हावी होने में सफल हुए हैं। फिर भी एकाध सुनामी भी हमें अपनी सीमाओं का रेखांकन कर दिखाती है। एकाध भूकंप भी विज्ञान पर हमारे विश्वास को डांवाडोल कर देता है।

जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंध

Continue Readingजलवायु परिवर्तन और जल प्रबंध

बढते तापमान के परिणामस्वरूप बढ़ती शुष्कता, बढ़ते बाष्पीकरण से जमीन पर होनेवाले दुष्परिणामों को रोका जा सकता है। इसके लिए जमीन पर योजनाबध्द तरीके से भरपूर घास और वृॄक्षों का ऐसा आवरण बनाना होगा जो तेजी से बरसने वाले पानी को सही ढंग से सोख सके।

सिर साटे रूख रहे तो भी सस्तो जाण

Continue Readingसिर साटे रूख रहे तो भी सस्तो जाण

उन्होंने स्वयं पहुंचकर क्षमा याचना के साथ उस पूरे क्षेत्र से खेजड़ी वृक्षों सहित सभी हरे वृक्षों की कटाई बन्द करवा दी। यही नहीं उन्होंने हरे वृक्षों को काटने पर कठोर दण्ड भी लगा दिया। वह नियम आज तक जैसा-का-तैसा लागू है।

पर्यावरण और समाज का संबल

Continue Readingपर्यावरण और समाज का संबल

जो हुआ सो बीत गया, जो बाकी है वह होना है। यह होना क्या है? यह होना है पर्यावरण का असंतुलन और अंत में मानव जाति का विनाश। यह विनाश विकास की अंधी दौड़ का नतीजा है।

End of content

No more pages to load