चतुर्मास में तांबा-पीतल का महत्त्व

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भारतीय संस्कृति में हर दिन का अपना-अपना विशेष महत्त्व है। हर माह की पूर्णिमा, अमावस्या, चतुर्थी, एकादशी का अपना एक स्थान है। इसी को त्यौहार या उत्सव कहते हैं। इस दिन को की जाने वाली विधि, कुलाचार, पूजा सुनिश्चित है।

मत खाइए गुटखा, यह ले लेगा जान

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भारत में ही पूरे विश्व में आर्थिक प्रगति तथा समृद्धि के साथ-साथ लोगों में नशाखोरी की प्रवृत्ति और आदतों में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। शराब, सिगरेट, कोकीन, चरस, गांजा, तंबाकू के साथ अन्य नई-नई प्रकार की नशीली दवाइयाँ (ड्रग) बाजार में आ रही हैं और उनका उपयोग विशेष रूप से युवा पीढ़ी में दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

ॐ गं गणपतये नम:॥

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सत्य सनातन हिंदु धर्म में भगवान गणपति मंगलमूर्ति हैं। सिद्धिदायक, विघ्नविनाशक, सभी प्रकार की समृद्धि के प्रदाता भगवान श्री गणेश भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के प्रथम देवता हैं। गणपति, गणेश को प्राचीन वैदिक ऋषियों ने पूर्ण परमात्मा और इस जगत का पालन-पोषण करने वाले देव के रूप में निरूपित किया है।

सामाजिक समझ पैदा करने वाला गणेशोत्सव

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समाज के अंतिम तबके का समूह ही इस उत्सव के सच्चे कार्यकर्ता होते हैं। इस गणेशोत्सव में इन कार्यकर्ताओं के समर्पित कार्यभाव से ही भविष्य में कुशल सामाजिक तथा राजनीतिक नेतृत्व समाज को मिलता रहा है।

असम की गांठ और कांग्रेस को लपेट!

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असम में फिर से अशांति का माहौल है। कोकराझार और धुबरी जिलों में स्थानीय बोडोे और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच सुलगे दंगे में लगभग 60 लोगों की हत्या की गई। लंबा अरसा बीतने पर भी उसको काबू में लाया नहीं लाया गया।

हिंसा की आग में जली मुंबई

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मुंबई के आजाद मैदान में विगत 11 अगस्त, 2012 को किया गया दंगा हर दृष्टि से विशिष्ट था। यह दंगा लगभग आधा-पौना घंटे तक चला। दंगे में दो लोग मारे गये और घायल लोगों में पुलिस कर्मियों की संख्या अधिक थी।

भाषा विहीन संस्कृति की ओर

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भाषा जातीय संस्कृति की संवाहिका होती है, इस विचार से सभी विद्वान सहमत हैं। अलग-अलग और समाजों की संस्कृति भिन्न-भिन्न होती है। जैसी इसी प्रकार, उस संस्कृति को अभिव्यक्ति प्रदान करने वाली भाषाएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं। अत: किसी भाषा का क्षरण और मरण उससे संबंद्ध संस्कृति पर गहरे आघात का सूचक होता हैं।

हिन्दी के विकास में फिल्मी-गीतों का योगदान

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अगले वर्ष भारतीय सिनेमा अपनी विकास-यात्रा के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। दादासाहब फालके ने 1912 में पहली सम्पूर्ण फिल्म ‘मोहनी-भस्मासुर’ का निर्माण किया था।

हम ‘हिंदी’ के और ‘हिंदी’ हमारी

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हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है या नहीं, इस विवाद में न पड़ते हुए इस सत्य को सभी स्वीकार कर लें कि यह भाषा सबसे ज्यादा व्यवहार में लाई जाती है।

खतरे में हैं हमारी भाषाएं।

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अपनी पारिवारिक-सामाजिक-व्यावसायिक व्यस्तताओं के बीच से एक-दो पल का वक्त निकालिए और जरा थमकर अपने आस-पास के माहौल पर गौर फरमाइए, तो चकित होते हुए आप पाइएगा कि आपके आस-पास का सारा माहौल ही बदल गया है।

—ताकि हम श्याम ची आई को समझ सकें

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‘श्याम ची आई’ को जानते हैं आप? मराठी के इन शब्दों का अर्थ है श्याम की मां। वैसे यह एक किताब का नाम है, जिसे साने गुरुजी ने लिखा था। यह एक मां की कहानी है। जो अपने बेटे को पढ़ाने-लिखाने के लिए जीवन की ढेर सारी विपत्तियों को झेलती है।

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