मुंबई के विकास में उत्तर भारतीय

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मुंबई या यूं कहिये पूरे महाराष्ट्र से उत्तर भारतीयों का बहुत पुराना नाता है और इसके विकास में उनका महत्वपूर्ण और अनुपम योगदान है। भगवान श्री रामचंद्र ने अपने वनवास काल के एक साल का समय महाराष्ट्र के ही नासिक में बिताया था।

अंग्रेजी कभी गंवारों की भाषा थी

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प्रति वर्षानुसार 14 सितम्बर को रस्मी तौर पर हिंदी दिवस मनाया जाता है। सरकारी संस्थानों और हिंदी प्रचार प्रसार की संस्थाओं आदि में ‘हिंदी कीर्तन’ होता है।

श्री गणेश तत्व

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जिस एक तत्व को गणपति के उपासक ‘गणेश’, शैव विद्वान ‘शिव’, सूर्योपासक ‘सूर्य’, विष्णुभक्त आदिपुरुष ‘विष्णु’ तथा शक्ति के उपासक ‘परा शिव’ कहते हैं। वह वास्तव में क्या है? यह मैं नहीं जानता, किन्तु सब कुछ ब्रह्म स्वरूप है, इसलिए ब्रह्मभाव से ही उस अद्वितीय तत्व को मेरा नमस्कार है।

पाकिस्तान की खुराफातें

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पिछले कुछ महीनों की घटनाओं से इस समय देश में चिंता और क्रोध दोनों हैं। चिंता केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर है और क्रोध पाकिस्तान की खुराफातों को लेकर है।

पहले ‘नमस्ते!’

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‘हिंदुस्तानी प्रचार सभा’ में गत 15‡16 वर्षों से मैं विदेशियों को हिंदी सिखा रही हूं । वैसे तो मेरा पूरा जीवन ही हिंदी शिक्षण के प्रति समर्पित रहा है‡स्नातक स्तर तक असंख्य छात्राओं को मैंने हिंदी सिखायी है । उनमें से कुछ तो उच्च पदों पर कार्यरत रहने के बाद अवकाश तक प्राप्त कर चुकी हैं।

बोलियां

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भारत एक बहुभाषा-भाषी देश है। स्वतंत्रता के उपरान्त भाषा के आधार पर ही राज्यों का गठन किया गया। भाषाओं को एक भौगोलिक सीमा में बांधने का कार्य किया गया।

छोरा गंगा किनारे वाला

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हिंदी सिनेमा की कई विशेषताओंमें से एक विशेषता यह है कि इसने देश-विदेश के विभिन्न कलाकारों और तकनीकी विशेषज्ञों को समाहित किया और उन्हें काम करने का मौका दिया।

विश्व- मंच पर हिंदी

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विदेशों में लगभग 154 देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ायी जाती है। इनमें आप्रवासी भारतीयों के अलावा स्थानीय छात्र भी हिंदी का अध्ययन करते हैं। एक समय था जब हिंदी का अध्ययन साहित्य‡संस्कृति और एक भाषा के रूप में प्रमुखता से किया जाता था।

सामाजिक बदलाव

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महान दार्शनिक सुकरात ने कहा था, ‘‘अज्ञानता सारी बुराइयों की जड़ है। ज्ञान साधना है, तपस्या है और ईश्वर की सुन्दर देन है।’’ बिल्कुल सही है। ज्ञान मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली उदात्त शक्ति है।

काग्रेस का हाथ महंगाई के साथ

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महंगाई अब सामान्य व्यक्ति को जीवन के हर कदम पर तकलीफ दे रही है। इन तकलीफों को सहन करते हुए जीने वाला प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को असहाय महसूस करने लगा है।

मैं हमेशा उजालों की ओर देखता हूँ – सुनील यादव

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जहां तक गॉड फादर की बात है राजनीति में एक गलत धारणा पनप रही है कि यहां बिना गॉड फादर के आगे नहीं बढ़ा जा सकता। यह भावना उन लोगों के मन में होती है, जो समाज से जुड़े नहीं हैं। जो राजनीति में रहकर समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाने से चूक रहे हैं, ऐसे लोगों को गॉड फादर की जरूरत महसूस होती है। समाज के साथ कोई नाता नहीं हो, कोई बुनियादी काम नहीं किया हो तो सुनील यादव को गॉड फादर की जरूरत होगी, पर मेरा बुनियादी काम समाज में होने के कारण मुझे कभी गॉड फादर की जरूरत महसूस नहीं होगी।

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