ठाकुर अनिल सूरजनाथ सिंह
महाराष्ट्र में और खासकर मुबंई में आज कल जो खास राजनैतिक समस्या है और राजनैतिक पार्टियों द्वारा इसे समय-समय पर उठाया भी जाता है वह है परप्रान्तियों की समस्या।
महाराष्ट्र में और खासकर मुबंई में आज कल जो खास राजनैतिक समस्या है और राजनैतिक पार्टियों द्वारा इसे समय-समय पर उठाया भी जाता है वह है परप्रान्तियों की समस्या।
लगभग एक दशक पहले सात समुद्र पार अमेरिका में भारतीय साहित्य पर एक संगोष्ठी हुई थी, जिसमें भारत की सोलह भाषाओं के शीर्ष रचनाकारों ने हिस्सा लिया था।
खाक भी जिस जमीं की पारस है,शहर मशहूर वह बनारस है । ‘श्री काशी’, ‘वाराणसी’,‘बनारस’,‘मोक्ष नगरी’,‘मुक्ति क्षेत्र’ इत्यादि नामों से जग विख्यात परम पावन पुण्य नगरी है काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग क्षेत्र।
इतिहास में उन्हीं व्यक्तियों का नाम अंकित होता है, जो मानव जाति के कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पित कर देते हैं। स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों का दुःख दूर करने का कार्य वीरता की श्रेणी में आता है।
सच पूछा जाए, तो उत्तर प्रदेश में संघकार्य का शुभारंभ मा. भाऊराव देवरसजी के बहुत पहले याने सन 1931 में ही हो चुका था। वीर सावरकर के बड़ेे भाई श्री बाबाराव सावरकर से डॉ. हेडगेवार के बड़े घनिष्ठ संबंध थे।
शौर्य, युद्ध शास्त्र, सुरक्षा व्यवस्था का उत्तर प्रदेश से घनिष्ठ सम्बंध रहा है। पौराणिक काल के युद्धों और राष्ट्र सुरक्षा पर गौर करें तो स्पष्ट होगा कि रामायण और महाभारत काल से ही उत्तर प्रदेश में वीरता, अन्याय पर न्याय की विजय, अराजकता पर सुराज्य की विजय की परिपाटी और मनोवृत्ति का संवर्धन हुआ है।
उत्तर प्रदेश के उत्तर में उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा पूर्व में बिहार राज्य है। उत्तर प्रदेश को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है :
निचोड़ यह है कि भाषा राज्यों के निर्माण का सीमित आधार है; विकास, भौगोलिक सम्पर्क, आर्थिक और सामाजिक विकास और अंत में सुशासन बुनियादी बातें हैं। राष्ट्रीय अस्मिता के आगे क्षेत्रीयता गौण है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल यही बात कहते थे।
कुछ लोगों के सपने साकार होते हैं, कुछ लोगों के नहीं, परन्तु कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके सपने स्वयं के साथसाथ समाज कल्याण से भी जुड़े होते हैं। ऐसी ही एक सख्शियत हैं आर.एन. सिंह । सुरक्षा से सम्बन्धित व्यवसाय करने वाले आर.एन. सिंह सामाजिक और लोक-कल्याण के कार्यों के लिए अधिक प्रसिद्ध हैं। प्रस्तुत है इसी सन्दर्भ में उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
उत्तर प्रदेश उत्तर वैदिक काल में ब्रह्मर्षि देश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल में कई महान ऋषियों, मुनियों जैसे भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र और वाल्मीकि आदि की तपोभूमि रहा।
उत्तर प्रदेश की सन्त परम्परा भगीरथी परम्परा है । वाल्मीकि, भारद्वाज, याज्ञवल्क्य, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र जैसे ऋषिमुनियों के ज्ञान से पोषित परम्परा ने ‘भक्ति काल’ में जिस उत्कर्ष को छुआ, उसमें तत्कालीन परिस्थितियों, विषम राजनैतिक वातावरण के बीच जन-सामान्य की निराशा और
पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश की गौरवपूर्ण पहचान रही है। अधिकांश पुराणों की रचनाएं उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक और ऊर्जास्वित पावन भूमि पर ही हुई हैं।