लोकाभिमुख धर्मज्ञ राजा

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मर्यादा पुरुष श्रीराम की महिमा अपरम्पार है। एक आदर्श और नीतिगत जीवन जीने के लिए श्रीराम के आदर्श को अपने जीवन में उतारना होगा। भगवान राम केवल शस्त्र ही नहीं बल्कि शास्त्र के भी ज्ञाता थे। उनके जीवन के आदर्श हमारे लिए अमृत कलश के समान हैं। 

रामराज्य की संकल्पना

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‘दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहिं काहुहि ब्यापा’ श्रीराम आदर्श पुरुष थे। राम राज्य में न कोई अल्पायु था और न वहां की प्रजा दरिद्र ही थी। सभी प्राणियों में संतोष का भाव था। एक सुंदर और नीतिगत जीवन, आदर्श व्यवहार, धर्म की रक्षा, राजा और प्रजा दोनों करते थे।

व्यक्ति में रामत्व होना जरूरी

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मनुष्य को अपने जीवन में प्रभु राम के आदर्श पर चलना चाहिए। जब तक व्यक्ति में रामत्व नहीं आता, जीव में जड़ता बनी रहती है। परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें अपने विवेक को धारण करना चाहिए। अपनों से छोटों के दुर्गुणों को छिपाना चाहिए और उन्हें उचित सीख देनी चाहिए। धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। हर किसी को उसके श्रम के अनुरूप उसका उचित पारिश्रमिक देना चाहिए। प्रभु राम के कई ऐसे गुण हैं जिन्हें हम अपने जीवन में उतार कर एक आदर्श जीवन की कल्पना कर सकते है।

आदर्श लोक तंत्र को समर्पित श्रीराम

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श्रीराम आदर्श हैं तो रामायण हमारी संस्कृति है। जीवन के पथ पर इनके आदर्शों का अनुकरण ही हमारा मार्गदर्शन करते हैं जो बताते हैं कि एक पिता, पति, भाई, सखा और राजा के रुप में मानवीय आचरण और व्यवहार कैसा होना चाहिए। रामायण के पन्नों को पलट कर देखें तो राजा होने के पश्चात भी राम मन-वचन-कर्म से लोकतांत्रिक थे।  

दिव्य आदर्श का भव्य मंदिर

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अयोध्या पुन: अपने अलौकिक स्वरूप को प्राप्त करने जा रही है, भगवान श्रीराम पुन: अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं, भारत का आदर्श पुन: प्रस्थापित होने जा रहा है, अब भारतवासियों का यह कर्तव्य है कि इस आदर्श का हमेशा चिंतन करें और उसे अपने जीवन का अंग बनाकर उसके अनुरूप चलने का पूर्ण प्रयत्न करें।

अक्षत वितरण महा अभियान 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024

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सब की इच्छा है 22 को अयोध्या जाए परन्तु सम्भव नही है। अयोध्या छोटी है, भौगोलिक क्षेत्र कम है इसलिए कहा गया  'मेरा गांव मेरी अयोध्या', 'मेरे गाव का मंदिर यही जन्म भूमि का मंदिर' यह भाव जगाना इस उद्देश्य से जन्म भूमि पर पूजित अक्षत घर-घर देना। अपने यहां अक्षत का अति महत्व है विवाह प्रसंग हो अथवा कोई मांगलिक प्रसंग हो अक्षत देकर ही आमंत्रण देने की परम्परा है।

तटीय पर्यटन है गोवा की शान

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गोवा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है। यहां आनेवाले देशी-विदेशी पर्यटक यहां की मनमोहक छटा को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है। गोवा अपने समुद्री तट के लिए विख्यात है।गोवा में पर्यटक भीड़-भाड़ से दूर एकांत और शांत समुद्री लहरों का आनंद लेना चाहते हैं।

कसकते इतिहास का दमकता वर्तमान

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गोवा के मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं। हम इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पुर्तगालियों द्वारा आक्रमण और धर्मांतरण के दौरान गोवा के कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था, कई मंदिरों को स्थानांतरित किया गया। इस कसकते इतिहास का वर्तमान दमकता हुआ है।

परिधानों में दिखती परंपरा

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परिधानों में कुनबी सूती साड़ी,पानो भाजु से लेकर मिडी ड्रेस और रिज़ॉर्ट वियर तक यहां प्रचलित हैं। माना जाता है कि लाल-स़फेद रंग की कुनबी साड़ी केवल सुहागिनें ही पहनती हैं, जबकि हल्का बैंगनी रंग विधवाओं द्वारा पहना जाता है। वहीं मांडो का परिधान पानो भाजु विशिष्ट परिधान है। गोवा के लोकनृत्य मांडो को यही परिधान पहनकर किया जाता है।

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

चमकते सितारे

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गोमांतकीय संगीत की उत्पत्ति और वृद्धि प्रमुख रूप से देवस्थानों के परिसरों में ही हुई। गोमांतकीय उत्तम गायक-गायिका, नर्तक-नर्तिका तथा वादक मंदिर परिसर में ही निर्माण हुए। अनेक कलाकारों ने अपने संगीत का बीजारोपण गोवा से किया।

सर्व समावेशी लोक कलाएं

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लोगों के समूह की भावनात्मक दुनिया की कलात्मक अभिव्यक्ति ही लोककला है। ऐसे लोकजीवन में अभी तक जी जान से संभाल कर रखी हुई संस्कृति खंडित होती जा रही है। बदलती हुई ग्राम व्यवस्था, पर्यावरण में होने वाले अकल्पनीय परिवर्तन, विघटित सामाजिक संरचना, घटते हुए जीवन मूल्य ऐसे अनेक कारण परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।

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