समय के साथ साथ बढता भारतीय सिनेमा
तमाम आर्थिक और तांत्रिक समस्यांओ को पार करते हुए 21 अप्रैल 1913 में धुंडिराज गोविंद फालके अर्थात दादा साहेब फालके ...
तमाम आर्थिक और तांत्रिक समस्यांओ को पार करते हुए 21 अप्रैल 1913 में धुंडिराज गोविंद फालके अर्थात दादा साहेब फालके ...
‘मनोरंजन और प्रबोधन’ (जितना संभव हो) का समन्वय स्थापित करने वाला दूसरा कोई सिनेमा न होगा। उसके गीत, संगीत, नृत्य, ...
इसीलिए मैंने आम आदमी की तरह समाजकंटक समझ कर हिकारत से देखे जाने वाले वाले लोगों के भी वोट प्राप्त ...
65 वर्ष के अपने फिल्मी जीवन में नायिकओं की कई पीढ़ियां आईं और चली गयीं लेकिन देव आनंद नायक का ...
इस रंग बदलती दुनिया में धर्म के बजाय धन का महत्व सभी सीमाएं पार कर रहा है। जैसे बहुत-से गुंडे ...
अब तो चारों ओर उपग्रह चैनलों की ही गूंज है, फिर भी कई बार अच्छी कल्पनाओं का अभाव ही महसूस ...
उससे और उसके चित्रों से साबका साल-दर-साल होता रहा। उसके चित्रों की प्रदर्शनियां भी विशाल-से-विशालतर होती गईं। कई बार जहांगीर ...
किसी फिल्म के फ्रमोशन की शुरुआत के लिये उचित समय क्या हो यह फ्रश्न वैसे तो आसान सा नजर आता ...
उन्नसवीं सदी के मध्य काल संगीत नाटकों का काल माना जाता है। मराठी रंगमंच ने बाल गंधर्व के रूप में ...
फूनम फांडे को आफ अल्फावधि में ही भूल गये होंगे ना? मुंबई के उर्फेागरों में लगे अमिषा फटेल के होर्डिंग ...
मध्य युग में उत्तरी भारत के किसानों के सर्वप्रिय मौसमी विज्ञानी कवि घाघ और भड्डरी थे। आज भी उत्तर प्रदेश ...
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