हर कोने में तीर्थ

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  उत्तर प्रदेश का कोना-कोना पर्यटन केन्द्र है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले प्रत्येक नगर और प्रत्येक गांव को पर्यटन का केन्द्र माना जा सकता है; क्योंकि यहां गांव, नगर, जनपद सब की अपनी अलग विशेषताएं हैं। ऐतिहासिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात

सर्वोपरि है प्रयाग कुंभ की महत्ता

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  तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों ही नदियों का संगम है। इसके समान तीनों लोकों में न तो अभी तक कोई तीर्थ हुआ है और न ही होगा। इसकी अनेक विशेषताएं वेदों, पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथों में बताई गई हैं। प्रयाग को प्रजापति की यज्ञभूमि

राष्ट्रीय संत नामदेव

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नामदेव महाराष्ट्र के पहले ऐसे संत हैं जिन्होंने विट्ठल नाम भक्ति का परचम महाराष्ट्र से बाहर भी फहराया। गुजरात, राजस्थान होते हुए पंजाब तक पहुंच कर संत नामदेव ने जो भी कार्य किया उसे महान राष्ट्रीय कार्य ही कहा जा सकता है। सिक्खों के धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ स

नमामि देवि नर्मदे

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मध्यप्रदेश के १६ जिलों तथा ५१ विकास खण्डों से होती हुई १०७७ कि.मी. की नर्मदा सेवा यात्रा का १५ जून को अमरकंटक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में समापन हुआ। लगभग १५० दिनों तक नर्मदा तट पर चली यह यात्रा विश्व का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान था, ज

राष्ट्रीय विकास और मां गंगा

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मां गंगा और भारतीय संस्कृति भारत की आत्मा के ऐसे अंश हैं कि जैसे गंगा विभिन्न कोणों से, विभिन्न मोड़ों से गुजरने के बाद भी अपनी पवित्रता को नष्ट नहीं होने देती, वहीं भारतीय संस्कृति भी विभिन्न उतराव-चढ़ाव के दौर में अपनी पवित्रता को नष्ट नहीं होने दिया। इसल

हम मंदिर वहीं बनाएंगे…

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रामजन्मभूमि विवाद, उसके समाधान से लेकर हिंदुओं में उत्पन्न नवजागरण, नोटबंदी, उत्तर प्रदेश में भारी जीत और केरल में स्वयंसेवकों पर हो रहे हमलों जैसे अनेक विषयों और देश की वर्तमान स्थिति पर प्रस्तुत है प्रखर हिंदुत्ववादी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी से हुई ल

तिरुपति में केशदान, शिर्डी में रक्तदान: सुरेश हावरे

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शिर्डी का साईंबाबा संस्थान दुआ, दवा, सेवा तथा भक्ति और शक्ति की अनोखी मिसाल है। भक्तों को बेहतर सुविधाओं के साथ-साथ शिर्डी के विकास की विभिन्न योजनाएं लागू की जा रही हैं। नए-नए उपक्रम स्थापित किए जा रहे हैं। सन २०१८ साईं बाबा का समाधि शताब्दि वर्ष है। इ

 भारत की प्राचीन ग्राम्य परंपरा

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 ऋषि और कृषि, भारतीय ग्राम्य संकल्पना और व्यवस्था के आधार रहे हैं| इस परंपरा ने केवल मानव को जीवन जीना सिखाया, बल्कि जीवन को सुख शांति, सफलता और आनंद के साथ जीने के विचार और संस्कार भी दिए| ...इसी कारण से महात्मा गांधी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय, विनोबा भावे तथा अन्य चिंतकों ने ग्राम स्वराज्य के माध्यम से भारत के नवनिर्माण का चिंतन दिया है|

श्री अथर्वशीर्ष के श्री गणेश

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गागर में सागर की उक्ति को सागर करता हुआ अथर्वशीर्ष भारतीय दार्शनिक चिंतन का अनुपम उदाहरण है। धर्म, कर्मकांड, एवं उपासना का सारमूल संक्षिप्त संस्कारण अथर्वशीर्ष योग, अध्यात्म एवं ज्ञान विज्ञान के रहस्यों से भरा है। दस श्लोकों का अथर्वशीर्ष श्री गणेश आराधना का स्तोत्र है।

सुशासन का अर्थ

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सुशासन का सीधा अर्थ जन विकास को जन आंदोलन में परिवर्तित करना है, जिसमें शासन के नेतृत्व में जनता की सक्रिय भागीदारी हो। भारत में सुशासन की उपर्युक्त अवधारणा आज की नहीं है; बल्कि भारतीय मनीषा एवं चिंतन परंपरा में यह पुरातन-सनातन काल से चली आ रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इस दिशा में पहल की है।

देवर्षि नारद- सुशासन के आचार्य 

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भारतीय इतिहास एवं पौराणिक परम्पराओं को विकृत रूप में प्रस्तुत करने के अनेक उदाहरण सामने आ रहे हैं। अधूरी समझ या जानबूझकर देवर्षि नारद के व्यक्तित्व को भी हास्यास्पद और कलहप्रिय के रूप में व्याख्या की गई है। पश्चिम के जिन विद्वानों ने पुराणों का अध्ययन किया उन्होंने नारद के विभिन्न संदर्भों का विश्लेषण कर निष्कर्ष निकाला कि वे देवताओं को आपस में, और राक्षसों और देवताओं में परस्पर द्वेषभाव उत्पन्न करके लड़वाने का प्रयास करते थे।

हरियाणा के श्रद्धा स्थल

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आदि काल से हरियााणा अत्यन्त समृद्ध एवं सुद़ृढ़ धार्मिक सांस्कृति का पोषण करता रहा है। इसके प्रत्येक गांव में मन्दिर मिलेगा जहां पर किसी साधु सन्यासी, वैरागी अथवा महन्त का वास है। इन मन्दिरों के नाम आदि काल से कृषि भूमि की व्यवस्था है। गांव में इसे आश्रम-आसन(गद्दी) या आवाड़े के नाम से जाना जाता है।

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