चार युगों की आध्यात्मिक भूमि

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पूर्वांचल अर्थात् पूर्वी उत्तर प्रदेश के नाम से प्रचलित क्षेत्र उत्तर   प्रदेश के चार क्षेत्रों में एक है। विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश-पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुन्देलखण्ड में विभक्त है। पूर्वांचल लगभग ८,८४४ वर्ग किलोमीटर में फैला है। उत्तर प्रदेश के कुल ७५ जिलों में से अट्ठाइस(२८) जिले पूर्वांचल में आते है।

पूर्वांचल के आध्यात्मिक स्थल

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सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है, जहां राम   और कृष्ण ने जन्म लिया, बुद्ध और महावीर की तपोभूमि रही और बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा एवं मां विध्यवासिनी के आराध्य स्थल हैं। देवभूमि उत्तरांचल कभी उत्तर प्रदेश का ही अंग रहा, जहां केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे पवित्र धामों के अतिरिक्त गंगोत्री, जमुनोत्री जैसी पवित्र नदियों के रमणीक स्रोत हैं।

अविनाशी काशी

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विश्व की प्राचीनतम नगरी वाराणसी जीवन   रेखा की दृष्टि से एकमात्र अटूट नगरी है, जहां मानव जीवन लगभग ६ हजार वर्षों से प्रतिष्ठित  है, पल्लवित है। यूं तो सूर्योदय होने पर अंधकार दूर होता है, कोहरा छंट जाता है, रहस्य उन्मुक्त हो जाता है, परंतु वाराणसी सूर्योदय के लिए विख्यात होने के उपरान्त अनादिकाल से एक रहस्यमयी नगरी है।

प्रकृति और पर्यावरण का पूजन

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 वैदिक वाङ्मय में प्रकृति, पर्यावरण तथा प्राणवायुके आवरण को संरक्षित करने पर सबसे अधिक महत्व दिया गया है। अथर्व वेद के पृथ्वी सूक्त में इसका बडा विशद वर्णन है।

राष्ट्र हिताय स्वास्थ्य साधनम

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राष्ट्र की रक्षा के लिए अच्छे स्वस्थ शरीर की परम आवश्यकता है। प्राचीन रोम एवं ग्रीकवासी प्रतिदिन, हर नागरिक इतना व्यायाम करता था कि वहां का हर नागरिक लड़का सैनिक या इसी कारण रोम वासियों एवं ग्रीक लोगों ने अपने राज्य की प

गीता : भारत का विश्‍व को उपहार

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कृरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण का अर्जुन को दिया गया गीता का उपदेश मानव मात्र के जीवन का परिवेश बदल देने वाला एक विलक्षण गीत हैं, जिसे हृदयगम कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की दिशा को बदल सकता है।

भक्ति रस की संगीत गंगा

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भक्ति रस की संगीत गंगा का प्रवाह कई शतकों से अनवरत अनथक बहता आया है। मानव के मन के उन्नयन के लिए यह प्रेरक साबित हुआ है। आज भी भगवान को मानने वाले आस्तिक और न मानने वाले नास्तिक पाए जाते हैं। लेकिन भक्ति संगीत तो हरेक के दिल को छूने वाला विषय होने के कारण गाना सुनने के बहाने नास्तिक भी इस भक्ति रस गंगा में शामिल हो जाते हैं।

जीवन का रस संगीत में है

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सृष्टि का उद्गम सागर से हुआ। ...संगीत का स्वर-‘स’ सागर का द्योतक है। धरती बनी रेंगने वाले प्राणी अर्थात, अजगर, सर्प का प्रतीक है संगीत का दूसरा स्वर ‘रे’। तीसरा स्वर ‘ग’- गगन का प्रतीक है। चौथा स्वर ‘म’ मनुष्य का प्रतीक है। बुद्धि संगीत के पांचवें स्वर ‘प’ प्रज्ञा के रूप में प्रकट हुई। संगीत का छठा स्वर ‘ध’ से व्यक्ति को धर्म का बोध हुआ। इस तरह आत्मा पुन: परमात्मा में विलीन होती है। जहां से सृजन, वहीं पुन: विसर्जन... संगीत के स्वर भी ‘स’ से प्रारंभ होकर पुन: ‘स’ पर आकर समाप्त होते हैं।

संगीत एवं अध्यात्म

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योगियों की भाषा में संगीत नादयोग है। इसकी साधना करने से संगीत के द्वारा परमात्मा से संबंध स्थापित करना संभव है। कुंडलीनी जागृत करना, षड्चक्र भेदन करना, आदि क्रियाएं नाद योग की साधना से करते हैं।

क्रांति वाहक बिहार

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 भारत के इतिहास में या कुछ मामलों में तो पूरे विश्व के इतिहास में अगर देखा जाए तो बिहार कई मामलों में क्रांति वाहक रहा है- चाहे गणराज्यीय व्यवस्था हो, अध्यात्म हो या समय-समय पर सामाजिक व राजकीय व्यवस्था में परिवर्तन की बात हो।

महिमामंडित भारत में बिहार

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   वैदिक वाङ्मय में जिस समय ‘व्रात्य’ कहकर बिहार की निन्दा की गई थी, उस समय किसे पता था कि यह प्रदेश एक दिन मानव सभ्यता, संस्कृति, धर्म, विश्वबंधुत्व, सहिष्णुता और सह अस्तित्व जैसे चिर दुर्लभ एवं शाश्वत मानव मूल्यों का अमर संदेश देगा।

बल, बुद्धि और विद्या के सागर श्री हनुमान

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भारतीय लोक जीवन तथा मनीषा में श्री हनुमान जी ही ऐसे देवता हैं जो बल, बुद्धि और विद्या के आगार हैं। जो भक्तों का पाप, ताप और संताप नष्ट करके उन्हें संकट और दु:खों से मुक्त तो करते ही हैं साथ ही, व्यक्ति में आत्मविश्वास और निष्ठा जगाते हैं।

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