गृहस्थी
कितनी भी जल्दी की जाय, आफिस पहुँचते में देर हो ही जाती है। घर से यदि जल्दी निकला जाय तो ...
कितनी भी जल्दी की जाय, आफिस पहुँचते में देर हो ही जाती है। घर से यदि जल्दी निकला जाय तो ...
उसका नाम क्या था, मुझे मालूम नहीं, क्योंकि उसका नाम लेकर पुकारते नहीं कभी किसी को सुना था। वैसे किसको ...
प्रभात का पत्र था, आज मैं असमंजस की स्थिति में फंसा महसूस कर रही हूं। एक ओर पुत्र, पुत्रवधू और ...
बहुत दिनों के बाद मेरा गांव जाना हुआ। वहां जाने पर मुझे पता चला कि मेरा लंगोटिया यार पीताम्बर भी ...
नयी और पुरानी पीढ़ी में अन्तर हमेशा रहता आया है। किन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सदैव युवा ...
शाहंशाह, जिल्ले सुभानी, बादशाह अकबर छोटे दरबार में बिराजे थे। वहां एक समस्या पर विचार चल रहा था। बात स्वयं ...
मूंछ को पौरुष का प्रतीक सदा से माना गया है। किंतु मेडिकल साइंस के अनुसार पुरुषों और महिलाओं में अंत:स्रावी ...
कपड़े पहन आया तो अब्दुल ने दस रुपये भी दे दिये और प्यार से कहा कि मेम साहब को सलाम ...
कोठीनुमा बंगले के बड़े हाल में सुमधुर कर्णप्रिय भारतीय संगीत बज रहा था। तबले और सितार के बीच बांसुरी की ...
मई का अन्तिम सप्ताह था। गर्मी अपनी चरम सीमा पर थी। पशु-पक्षी, राहगीर, किसान, सभी गर्मी की भीषणता से त्रस्त, ...
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म पौष कृष्ण सप्तमी 12 जनवरी, 1863 के दिन सुबह ब्राह्म मुहूर्त में हुआ । मकर ...
मंगरुवा और समय चाहे जहां रहे, लेकिन रात को खाने के समय थाली लेकर जरूर पहुंच जाता था। कौशल्या भी ...
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