कहां खो गए वे पशु-पक्षी?

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प्रकृति में हरेक जीव-जंतु का एक चक्र है, जैसे कि जंगल में यदि हिरण जरूरी है तो शेर भी। ...हर जानवर, कीट, पक्षी धरती पर इंसान के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। इसे हमारे पुरखे अच्छी तरह जानते थे, लेकिन आधुनिकता के चक्कर में हम इसे भूलते जा रहे हैं।…

जैव विविधता भारत की धरोहर है

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जानवरों की घटती संख्या छठे महाविनाश का हिस्सा है। पहले 5 महाविनाश प्राकृतिक थे इसलिए उनकी भरपाई जल्द हो गई, छठा महाविनाश मानव निर्मित है, जिसकी भरपाई होना मुश्किल है। यदि मानव समय पर सतर्क नहीं हुआ तो मानवी जीवन ही संकट में पड़ जाएगा। जिस तरह से आज पूरी…

जो भी करूंगा, पशुओं के लिए करूंगा… – गणेश नायक

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पर्यावरण, वन्य एवं अन्य प्राणियों की सेवा, सुरक्षा और चिकित्सा में अपना जीवन समर्पित करने वाले तथा जानवरों की संवेदना, पीड़ा व प्रेम की मूक भाषा समझने वाले  पशुप्रेमी श्री गणेश नायक ने ‘हिंदी विवेक’ को दिए विशेष साक्षात्कार में इस विषय के महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया है। पेश…

वन्य जीवों के नष्ट होते पर्यावास

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वन्य जीवों का विलोपन पृथ्वी पर जीवन के लिए एक आपातकाल जैसी स्थिति के समान है और इस प्रक्रिया पर लगाम नहीं लगने से मानव सभ्यता और अस्तित्व को खतरा है, क्योंकि मनुष्य सहित सभी जीवों से बना पारितंत्र पृथ्वी पर जीवन को संचालित करता है। मानव सभ्यता के विस्तार…

वन और जैवविविधता

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जैवविविधता के आसन्न खतरों के समाधान का सीधा सम्बंध वनों की सेहत से है। यदि वन स्वस्थ होंगे तो जैवविविधता भी संकट मुक्त रहेगी। जैवविविधता के आसन्न खतरों के समाधान के लिए और अधिक सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। वनों की सेहत हकीकत में इस धरती पर जीवन के…

   मोहक शिकारी

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            प्रकृति का एक प्राथमिक नियम याने ‘जीवो जीवस्य जीवनम्’ अर्थात प्रकृति में एक जीव स्वत: का पोषण करने के लिये दूसरे जीव का भक्षण करता है। जैसे हिरन प्रजाति के प्राणी तृण (घास), पत्ते खाकर जीते हैं तो चीता बाघ, हिरन का शिकार करते हैं। मेंढक,…

कला में परिवर्तन हो रहा है

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निजी तौर पर तो कला के क्षेत्र में हो तो बहुत कुछ रहा है जिसके कारण भारत के चित्रकारों को निरंतर पहचान मिल रही है किन्तु आवश्यकता है इस दिशा में सरकार द्वारा भी कोई ठोस कदम उठाने की। कलाकारों को महज सम्मानित कर देने से कला का सम्यक विकास नहीं होगा।कला तभी जीवित रह सकती है, जब कलाकार जीवित रहे और अपने जीवन निर्वाह के लिए किए जाने वाले प्रयासों से परे होकर विचार करने के लिए उसका मन स्वतंत्र हो।

जलयुक्त शिवार की अनोखी दास्तान

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ‘जलयुक्त शिवार’ की अनोखी पहल से आज तीन साल बाद राज्य का कम बारिशवाला बड़ा इलाका सही मायने में अकालमुक्त तथा टैंकरमुक्त हो रहा है। जनसहभाग से हुआ यह कार्य पथप्रदर्शक है।

प्लास्टिक का विकल्प संभव – विक्रम भानुशाली

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प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प है, कम्पोस्टेबल पालिमर। स्टॉर्च (कार्न, शुगर) से उत्पादित लैक्टिक एसिड से पॉली लैक्टिक एसिड व अन्य नैसर्गिक पदार्थों को मिलाकर स्काय आई इनोवेशन यह पदार्थ प्लास्टिक के विकल्प के रूफ में लाया है। यह न केवल कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि बाद में इससे कम्पोस्ट(खाद) भी बनता है। प्रस्तुत है कम्पनी के निदेशक श्री विक्रम भानुशाली से प्लास्टिक उद्योग, प्लास्टिक से उत्पन्न पर्यावरण समस्याओं, वैकल्पिक उत्पाद, सरकार से प्रोत्साहन आदि के बारे में हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-

जैव-कम्पोस्ट योग्य पॉलिमर

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प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कम्पोस्ट योग्य पॉलिमर पिछले कुछ वर्षों में सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। यह पॉलिमर प्लास्टिक के सूक्ष्म टुकड़े करता है और जैविक संसाधनों में घुल मिलकर उनका कम्पोस्ट बना देता है। प्लास्टिक के खतरे से बचने का यह नया और आधुनिक तरीका है।

बुजुर्गों ने दी समाज को ‘पर्यावरण की सीख’

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मुंबई के उपनगर सांताक्रूज में प्राकृतिक वायु पर आधारित अनोखा शवदाह गृह बनाया गया है। देश में यह अपने किस्म का पहला प्रयोग है। हिंदुओं के अलावा कैथलिक, ईसाई और पारसी भी अब इसे स्वीकार कर रहे हैं, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो। समय के साथ बदलने की यह सीख सांताक्रूज के बुजुर्गों ने पूरे देश को दी है।

शून्य कचरा घर

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कचरा वर्गीकरण एवं उसका निपटान कर हम हमारे घरों-बिल्डिंग के कचरे को जमीन में दबाने हेतु भेजने का प्रमाण शून्य पर ला सकते हैं| यदि हम सभी इसका पालन करें तो स्वच्छ भारत का स्वप्न हम निश्‍चित पूर्ण कर सकेंगे|

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