सिंहस्थ मेला ऐतिहासिकता एवं उपादेयता

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धर्मप्राण भारत के जनजीवन में कुम्भ, अर्धकुम्भ तथा सिंहस्थ का एक विशिष्ट स्थान है। ये पर्वहमें हजारों साल प्ाुरानी स्मृति और परम्परा से जोड़ते हैं। विविध विशेषताओं से तथा पौराणिक गाथाओं से संबंधित और श्रीमद्भागवत, विष्णु प्ा

 गंगा की अस्मिता को बचाइए

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गंगा साक्षात नारायण स्वरूपा है। उनका अमृतरूपी जल असंख्य वर्षों से समस्त जीवधारियों का पोषण कर रहा है। गंगा जल की शक्ति, तत्व व महत्व अनंत है। मां गंगा मानव के जन्म से मृत्यु तक जुड़ी हुई है। कोई भी पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन, अनुष्ठान, अभिषेक गंगाजल बगैरे कदापि संभव नहीं है।

सीटेक प्रौद्योगिकीराष्ट्रीय स्तरपर उपयोगी-संदीप आसोलकर

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एसएफसी एनवायरमेंटल टेक्नॉलजी प्रा.लि. सन २००५ से जल शुद्धिकरण के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है। कंपनी सीटेक जैसे आधुनिक तंत्रज्ञान से दूषित जल शुद्धिकरण के लिए कार्यरत है। कम्पनी गंगा शुद्धिकरण परियोजना में अपना योगदान देने के लिए तैया

जल, जीवन और गंगा

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हमने नदियों को माता कहा है। व्यक्ति के रूप में जो मां हमें मिलती है उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास हमें वयस्क होने पर हो जाता है, लेकिन नदियों के रूप में जो ममता की जो धरोहर हमें मिली है उसके लिए हमें अभी भी अपनी जिम्मेदा

गंगा का पुनर्संवर्धन कैसा हो?

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गंगा जी उत्तराखण्ड में स्थित गौमुख से उत्गमित होती हैं जो उत्तर काशी जिले में स्थित है। गंगा को पूरे विश्व में पवित्र एवं पूजनीय नदी के रूप में जाना जाता है। यह इसलिए कि कई सामाजिक, आध्यात्मिक, तार्किक एवं वैज्ञानिक अध्ययनों से सिद्ध हो चुका है कि गंगाजल जैसा दुनिया में कोई जल नहीं है।

गंगा में पांच साल में ही बदलाव देखिएगा-प्रकाश जावडेकर

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर को विश्वास है कि गंगा शुद्धिकरण के कार्य के लिए सरकार ने यद्यपि दस साल की समय सीमा रखी है, परंतु सरकार के पांच वर्ष पूर्ण होते-होते ही इस संबंध में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगेगा। उनसे हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-

…ताकि गंगा बहे, बहती रहे

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गंगा भारत की जीवनधारा है। यह केवल नदी ही नहीं, भारत की आस्था, संस्कृति, परंपरा, सभ्यता का स्वर्णिम इतिहास, प्रेरणा और पूजा है।

 गंगा रक्षा आंदोलन

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अंग्रेज सरकार ने हरिद्वार में गंगा को बांध कर गंगा नहर निर्माण करने की योजना जब बनाई उस समय मां गंगा के निर्बाध व अविरल प्रवाह को सुरक्षित रखने की, हिन्दू समाज की आस्था की, लड़ाई महामना मदनमोहन जी मालवीय ने प्रारम्भ की।

 गंगा एक्शन परिवार

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गंगा, भारत की महज एक नदी नहीं बल्कि संस्कृति है इसलिए उसे सांस्कृतिक नदी की संज्ञा प्राप्त है। उसके जलमें मां की ममता समाई है। हर भारतीय के लिए सर्वप्रिय है; हर भारतीय के जीवन के ताने-बाने में उसकी स्मृतियां जुड़ी हैं; वह सदियों पुरानी संस्कृति एवं सभ्यता की प्रतीक रही है; हर क्षण परिवर्तन, हर क्षण प्रवाहमान होने के बावजूद गंगा अपने दामन में करोड़ों की आस्था समेटे है, प्रकृति का सौंदर्य संजोये है।

विनाशकारी प्रजातियांएवं गंगा स्वच्छता

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गंगा मात्र एक पवित्र नदी ही नहीं है, वरन् यह आधे भारत वर्ष की आर्थिक जीवन रेखा भी है, इसीलिए इसका आर्थिक महत्व कहीं अधिक है। गंगा का मैदान दुनिया का सबसे अधिक उपजाऊ कृषि क्षेत्र है, जिससे उत्पन्न अनाज भारत की खाद्य समस्या का बहुत बड़ा समाधान है। अनेक वनस्पतियों एवं पशुओं के साथ-साथ गंगा का जल मछलियों की असंख्य प्रजातियों, उभयचरों की नब्बे प्रजातियों और गंगा में पाए जाने वाली डाल्फीन के लिए जीवन प्रदाता है।

नमामि गंगा परियोजना

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भारतीय प्रत्येक नदी को गंगा मानता है। वह प्राकृतिक संसाधनों को समाज की थाती मानता है। इसलिए एक बार अगर भारतीय मानस गंगा के प्रति सजग और चैतन्य हो गया तो वह देश की सभी नदियों के प्रति आस्थावान और संवेदनशील हो जाएगा। नमामि गंगा परियोजना का यह दूरगामी लाभ है।

 साहूकार का फंदा

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छले कुछ महीनों से यूनान के वित्तीय संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गहरे झटके दिए हैं। खासकर, यूरोप की अर्थव्यवस्था में ये आघात महसूस किए गए। यह संकट भले ही यूनान के लिए परेशानी का सबब हो, लेकिन इससे यूरोप की अर्थव्यवस्था पर विश

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