गंगा तेरा पानी अमृत

Continue Readingगंगा तेरा पानी अमृत

गंगा को भारत में एक पवित्र स्थान प्राप्त है। वह केवल निरंतर प्रवाहित रहनेवाली नदी ही नहीं है वरन उससे सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक लगाव भी है। इन सारी बातों को जोड़ने, अपने में समाहित करने वाली गंगा शायद दुनिया की इकलौती नदी होगी।

मैं गंगा बोल रही हूं!

Continue Readingमैं गंगा बोल रही हूं!

गंगा! वही गंगा जिसे आप सब लोग गंगा मां, गंगा मैया, भागीरथी, जान्हवी आदि नामों से जानते हैं, पुकारते हैं। भारतवासियों से मेरा नाता केवल मेरे जल तक सीमित नहीं है। क्योंकि नदी का जल किसी कारणवश खत्म हो सकता है परंतु मां की ममता अपने बच्चों के प्रति कभी कम नहीं होती। किसी व्यक्ति का जीवन जितना पुराना होता जाता है उसके साथ उतनी ही किवदंतियां, दंतकथाएं जुड़ती चली जाती हैं। मेरे साथ भी ऐसा कुछ हुआ है।

सुरेश्‍वरी भगवती गंगे

Continue Readingसुरेश्‍वरी भगवती गंगे

देवी सुरेश्वरी भगवती गंगे। त्रिभुवन तारिणी तरण तरंगे॥ शंकर मौलि निवासनी विमले। मम् मतिरास्तां तव पद कमले॥ भारतीय जन-जीवन तथा सांस्कृतिक चेतना में मां गंगा का स्थान सर्वोच्च है। हमारी सत्य सनातन भारतीय संस्कृति के पांच ऐसे तत

गंगा प्रवाह को यातायात का माध्यम बनाने का प्रयास – नितिन गडकरी

Continue Readingगंगा प्रवाह को यातायात का माध्यम बनाने का प्रयास – नितिन गडकरी

केंद्र सरकार ने देश में १०१ नदियों को जलमार्ग में तब्दील करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। गंगा में वाराणासी से हल्दिया तक जहाज चलाने पर काम चल रहा है। जलमार्गों को प्रोत्साहन देना हमारी प्राथमिकता है; क्योंकि इससे भूतल एवं रेल यातायात का बोझ कम होगा। साथ ही यह किफायती और पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छा रहेगा। पेश है केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री मा. नितिन गडकरी से गंगा एवं अन्य नदियों की आर्थिक शक्ति के उपयोग की योजना पर बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-

 आधी आबादी को पोषित करने वाली गंगा

Continue Reading आधी आबादी को पोषित करने वाली गंगा

गंगा और भारतवर्ष एक-दूसरे के पर्याय हैं। यदि सिंधु नदी के कारण हमारा और हमारी सभ्यता का नाम हिंदू तथा देश इंडिया और हिंदुस्तान कहलाया तो गंगा के कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत और पहचान सारी दुनिया में मान्य हुई। कहा भी गया कि, ‘हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती है।’

बहुरूपिणी गंगा

Read more about the article बहुरूपिणी गंगा
My beautiful picture
Continue Readingबहुरूपिणी गंगा

गंगा नदी के संबंध में लोगों के मन में इतना आदर क्यों है इस प्रश्न का तुरंत उत्तर देना कठिन है। गंगा यह कोई सबसे बड़ी नदी नहीं है, विश्व में उसकी अपेक्षा लम्बाई में बड़ी ऐसी ३४ नदियां हैं। उद्गम से समुद्र में मिलने

गंगा तीर केतीर्थ

Continue Readingगंगा तीर केतीर्थ

बनारस, काशी, वाराणसी ऐसे विविध नामों से पहचाना जाने वाला यह महानगर शायद पृथ्वी पर बसा हुआ सबसे प्राचीन नगर होगा। वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है।

 साहित्य प्रागंण में थिरकती गंगा

Continue Reading साहित्य प्रागंण में थिरकती गंगा

सबके पाप धोती, पोंछती मां गंगा आज स्वयं मलिनाम्बरा हो गई है। आवश्यकता है इसे पुन: श्वेताम्बरा करने की। यदि उसे स्वच्छ करने में अब भी हम प्रमादवश असफल रहे, तो कवियों की वह टोली, जो गंगा के किनारे चाण्डाल या कौवा तक बनकर भी रहने की इच्छुक है, हमें क्षमा नहीं करेगी।

अभिलाषा है, लोगों के लिए कुछ कर पाऊ ….-अखिलेश चौबे

Continue Readingअभिलाषा है, लोगों के लिए कुछ कर पाऊ ….-अखिलेश चौबे

आप मुंबई के प्रतिष्ठित वकील हैं, आपके यशस्वी होने में परिवार का योगदान किस प्रकार रहा? पिता जी महानगरमालिका में शिक्षक थे और पठन-पाठन उनका काम था। सो हमारे घर में हमेश पढ़ाई का ही वातावरण रहा है। दसवीं पास करने के बाद मैं विद्यार्थी सेना के माध्यम से छा

तीर्थ गंगा, तीर्थ बनारस

Continue Readingतीर्थ गंगा, तीर्थ बनारस

‘नमामि गंगा’ के माध्यम से बनारस को ‘पूर्व का वेनिस’ बनाने की योजना है। इस परिवर्तन के कारण अगर गंगा का ‘स्वच्छ’ स्वरूप तथा सुंदर साजसज्जा दुनिया के सामने आ जाती है तो गंगा और उसके किनारे पर बसे अन्य शहर भी पुन: अपना वैभव प्राप्त कर सकेंगे।

गंगा स्वच्छता हेतु संत सहयोग आवश्यक – श्री अशोक सिंघल

Continue Readingगंगा स्वच्छता हेतु संत सहयोग आवश्यक – श्री अशोक सिंघल

विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल का मानना है कि केवल घोषणाओं या विज्ञापनबाजी से गंगा स्वच्छ नहीं होगी। उसकी स्वच्छता के लिए संतों का सहयोग लेना आवश्यक है। इसके बिना यह योजना अधूरी ही रह जाएगी। उन्होंने ‘हिंदी विवेक’ से एक विशेष भेंटवार्ता में राममंदिर के निर्माण एवं हिंदुत्व के अन्य मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखी और कहा कि अगले १५ साल तक यह सरकार रहेगी और हिंदुत्व के मुद्दे पूरे होंगे। पेश है इस भेंटवार्ता के महत्त्वपूर्ण अंश-

कांवरिया और गंगा जल

Continue Readingकांवरिया और गंगा जल

भगवान विष्णु के चरणों मे गंगाजी के निवास करने के कारण भगवान भोलेनाथ को गंगा जल अति प्रिय है। इसी कारण वे गंगाजी को अपने मस्तक पर धारण किए हुए हैं। भगवान विष्णु के अवतार कहे जाने वाले भगवान श्रीराम ने स्वयं कहा है कि -

End of content

No more pages to load