प्रकृति का अनमोल रत्न मेघालय 

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प्रकृति की अनुपम छटाओं से लबरेज मेघालय पूर्वांचल का महत्वपूर्ण राज्य है। राजधानी शिलांग में अनेक पर्यटन स्थल है। निकट ही चेरापूंजी विश्‍व में सब से अधिक बारिश वाला गांव है। कई पर्वत शिखर, सरोवर, गुफाएं हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जलवायु इतनी स्वास्थ्यप्रद कि लोग इसे पूर्व का स्विट्जरलैण्ड कहते हैं।

गुवाहाटी पूर्वांचल का प्रवेशद्वार

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असमिया समाज  स्नेही  व आतिथ्यशील स्वभाव  का  है। पान  व  विशेष  प्रक्रिया  से  बनाई  गई सुपारी  देकर मेहमान  का स्वागत  किया जाता  है।  यदि यह  पान  सुपारी  मेहमान अस्वीकार  कर  दें  तो,  वे इसे  अपना अपमान  मानते  हैं।

भारत का स्वर्ग सिक्किम

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देश के उत्तर पूर्वीय आठ राज्यों के बीच एक छोटे से राज्य सिक्किम को देश का स्वर्ग कहें तो कोई गलत नहीं होगा। सात बहनों असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और अरुणा

मोइरांङ स्मारक

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नेताजी के अनगिनत दुर्लभ छायाचित्र, उनके आदेशपत्र, आज़ाद हिंद सेना द्वारा प्रयुक्त शस्त्रास्त्र, उसका प्रतीक चिह्न, सुभाष चंद्र बोस द्वारा जारी प्रांतीय सरकार का घोषणापत्र, जापानी पत्र आदि बहुत कुछ मणिपुर के शहर मोइराङ के स्मार

पूर्वोत्तर की बारिश

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चेरापूंजी का पुराना नाम सोहरा है। चेरापूंजी के पश्चिम में ८ कि.मी. पर पश्चिम खासी पहाड़ी में करीब उतनी ही ऊंचाई पर मौसिन्राम है। यहां ७०० इंच वर्षा होती है अर्थात चेरापूंजी से अधिक। इसका अर्थ यह कि, अब दुनिया में सब

पूर्वोत्तर का कल्पवृक्ष

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बांस तेजी से बढ़ने एवं फैलने वाली वनस्पति है। कम से कम व्यय में अनेक जीवन उपयोगी चीजों का, तथा गृह सज्जा की अनेक चीजों का निर्माण, बांस से किया जाता है।

पूर्वोत्तर और शेष भारत

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पौराणिक आख्यानों, भग्नावशेषों एवं प्रादुर्भूत शिवलिंगों को देखकर यह सिद्ध होता है कि पूर्वोत्तर भारत शेष भारत से कटा हुआ नहीं था। इन जनजातियों के साथ भारतीय संस्कृति के सूत्र हजारों वर्षों से गूंथे हैं। अतः पूर्वोत्तर भारत स

पूर्वोत्तर समन्वित सुरक्षा की आवश्यकता

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अपने देश के समृध्द, प्राचीन तथा उदात्त पूर्वोत्तर एवं वहां के बंधुओं की हर तरह से रक्षा और संवर्धन करने की दिशा में, शासन, प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं, विद्वत्जनों तथा देश के सामान्य जनों द्वारा समन्वित प्रयास किए जाने की आज अ

पूर्वोत्तर समस्याएं और समाधान

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पूर्वांचल तथा शेष भारत के बीच सम्पर्क तथा संवाद बढ़ाने की आवश्यकता है। संतुलित विकास हो तो वहां आर्थिक उन्नति होगी, यातायात और शिक्षा के साधन बढ़ेंगे, व्यापार बढ़ेगा तथा युवक आतंकवादी संगठनों के बहकावे में नहीं आएंगे।

पूर्वोत्तर का छापामार युध्द

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लेखक ने ५० वर्ष की सैन्य सेवा में से २२ वर्ष-१९६४ से २००२ के अंतराल में- पूर्वोत्तर भारत में सैन्य सेवा की है। असम, मिजोरम, नगालैण्ड में शांति स्थापना में योगदान किया है। इसलिए पूर्वोत्तर क्षेत्र

 त्रिपुरा में जातीय संघर्ष एवं बगावत

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त्रिपुरा में पिछले सात दशकों में जातीयता एवं बगावत के घटनाक्रम का बारीकी से अध्ययन करना हो तो अटल बिहारी वाजपेयी के ये शब्द बहुत माकूल हैं, कहानी तो शुरू सब को करनी आती है, खत्म कैसे करेंगे, किसी को नहीं आता।

अशान्त पूर्वोत्तर और अनजान भारत

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‘मुस्लिम आबादी बढ़ाओ’ इस अभियान को तीव्र बनाते हुए आज असम के ९ जिले मुस्लिम बहुल बने हैं। असम का धुब्री जिला जहां साढे दस हजार मुस्लिम मतदाता हैं, यहां रहनेवाला हिंदू समाज किस प्रकार असुरक्षित और अशांत वातावरण में जीवन बिताता होगा, इसकी हम कल्पना कर सकते हैं।

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