पारम्परिक चिकित्सा की ओर पुनरागमन

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कोरोना की महामारी ने लोगों को अपनी जीवनशैली पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य कर दिया था। लोगों को पहली बार समझ में आया कि स्वास्थ्य का स्थान धन से काफी ऊपर है। सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत ने भी उक्त महामारी को झेला लेकिन सरकारी प्रयासों और डॉक्टरों की निःस्वार्थ सेवा की वजह से भारत में जान का नुकसान अन्य देशों की अपेक्षा काफी कम हुआ।

संस्कृति की लट्ठगाड़ कहाणी (संस्कृति की शौर्यगाथा)

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खेल प्रतियोगिताओं में देश को सबसे ज्यादा मैडल दिलानेवाले राज्य के रूप में प्रसिद्ध हरियाणा की धरती की संस्कृति में शौर्य कूट-कूटकर भरा है। गजब की शारीरिक क्षमता यहां के पुरुषों और महिलाओं की विशेषता है। ठेठ और दूसरों को कडी लगने वाली भाषा बोलने वाले हरियाणवी स्वभाव से उतने ही कोमल और मधुर होते हैं।

संगीत की नई पौध को सींचने वाले गुरु – पं. राजेंद्र वर्मन

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पं. राजेंद्र वर्मन ने सितार वादन की कला को घरानों की परम्परा से बाहर निकालकर नई पीढ़ी की पौध विकसित करने की दिशा में सार्थक प्रयत्न किया है। सवा पांच की ताल के उन्नायक राजेंद्र वर्मन वर्तमान समय के बेहतरीन, संवेदनशील और रचनात्मक कलाकार हैं, जो उनके रागों के गायन में प्रदर्शित होता है। आप अपनी शुद्धता एवं व्यवस्थित विकास और राग की शांति के लिए जाने जाते हैं। हिंदी विवेक को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने संगीत खासकर सितार की बारीकियों और संगीत के भविष्य को लेकर लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस साक्षात्कार के सम्पादित अंश:

जीवट संस्कृतिकि बौगदि धारा (जीवट संस्कृति की अविरल धारा)

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उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है। यह छोटा सा राज्य सनातन संस्कृति के हर आयाम का साक्षी है। यहां का कठोर जीवन भारतीय सेना में इनकी प्रचंड उपस्थिति का भी कारण बनता है। राज्य बनने के बाद यहां बहुत तेजी से विकास कार्य हुआ, जिसमें पिछले 8 वर्षों में काफी तेजी आई है। यहां का साहसिक पर्यटन भी नित नई ऊंचाइयां छू रहा है।

ब्रेकिंग न्यूज अंधी दौड़ और होड़

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एक समय था जब मीडिया की खबरों को लोग संदर्भ के तौर पर प्रयोग में लाते थे, लेकिन ब्रेकिंग न्यूज देने की अंधी दौड़ ने पत्रकारिता के सिद्धांतों को ताक पर रख दिया है। साथ ही, पूरी तरह गलत समाचार प्रसारित कर देना और उसके लिए माफी न मांगना भी वर्तमान समय में मीडिया चैनलों की फितरत में शामिल हो गया है। इस पर रोक लगाया जाना आवश्यक है।

ओटीटी पसंद से कठघरे तक

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ओटीटी नाम अब किसी के लिए नया नहीं रहा। मनोरंजन का वर्तमान और भविष्य अभी यही है। इसलिए मनोरंजन जगत से जुड़कर व्यवसाय करनेवाले लोगों और दर्शकों दोनों की यह जिम्मेदारी है कि वे स्वस्थ मनोरंजन का हिस्सा बनें न कि मनोरंजन के माध्यम से चलाए जा रहे अनुचित विमर्शों का।

बहिष्कार के मकड़जाल में बॉलीवुड

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बहिष्कार एक बहुत सामान्य और प्राचीन क्रिया है। अपने मतों के विरुद्ध की जाने वाली बातों का विरोध करना या उसे अनदेखा करना बहिष्कार कहलाता है। हिंदी फिल्मी दुनिया में आज इसे नई बीमारी के रूप में देखा जा रहा है परंतु यह कोई नया नहीं है, हां प्रदर्शन का तरीका जरूर बदल गया है। पहले फिल्मों के पोस्टर फाडे या जलाए जाते हैं अब सोशल मीडिया पर बहिष्कार आंदोलन छिड गया है।

सांस्कृतिक वारसा (सांस्कृतिक विरासत)

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महाराष्ट्र की भक्ति परम्परा और शौर्य गाथाओं ने समूचे राष्ट्र पर अपना प्रभाव स्थापित किया है। निःस्वार्थ राष्ट्रचिंतन महाराष्ट्र की रक्त धमनियों में संस्कृति के तौर पर अनायास प्रवाहित होता है। वर्तमान में भारत का शायद ही कोई राज्य और जिला होगा, जिसके निवासी यहां जीविकोपार्जन के लिए न रह रहे हों।

उजास की आस

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दिवाली का समय है। चिंतन और ऐश्वर्य दोनों एक ही स्कूल में कक्षा पांच में पढते हैं। छुट्टियां पड़ने वाली हैं सुनकर दोनो खुश हैं। दो दोस्त आपस में बातें करते हैं कि दिवाली में क्या-क्या करना है।

ब्लैंक चैक

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कहते हैं कि आदमी को कभी बड़े बोल नहीं बोलने चाहिए। ये समय है। इसे परिवर्तनशील कहा जाता है। जाने कब किस करवट बैठ जाय। पर क्या किया जाय, कहावत ये भी है कि जब खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान।

आम कहां से खाय

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इधर रामप्यारी मुद्दतों से आम खाने की जिद पर अड़ी है और उधर जनाब ख्यालीराम हैं कि उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। कोई कितनी कहा सुनी करे करता रहे, उनकी बला से। बड़ी बेजोड़ जोड़ी है अपने ख्यालीराम और रामप्यारी की, एक की झोली में भरपूर सन्नाटा तो दूसरे के दामन में घनघोर घमासान।

अधिवक्ता विक्रमादित्य

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अधिवक्ता विक्रमादित्य की गिनती तिकड़मबाज कानूनविदों में होती है। हो भी क्यों नहीं, वह साम-दाम-दंड-भेद से काम कराना जानते हैं। वाचाल इतने हैं कि बड़े से बड़े भाषा मर्मज्ञ उनकी बातों के आगे चारों खाने चित्त नजर आते हैं। बेताल पच्चीसी के विक्रमादित्य से किसी मायने में वे कम नहीं हैं। इसीलिए नामचीन अपराधियों के आप वकील होते हैं।

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