उम्र या अकल

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हुआ यह कि भूलोक  में प्राणियों को भेजने के लिए नरक संकाय के निदेशक प्रमोदी लाल जी प्रत्याशियों से केवल दो प्रश्न पूछते थे - मानव योनि के इच्छुक प्राणी, आयु और बुद्धि में से किसको प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता देंगे और दूसरा कि वापसी में फिर जन्नत या जहन्नुम किस जगह में लौटना चाहेंगे?

मार्केट और मार्केटिंग में बदलाव

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दुनिया बदली तो दुनियादार भी बदल गए। पहले बगैर प्रचार के भी दुनिया चल ही रही थी। लोग मजे से खा, पी, घूम फिर रहे थे। लोगबाग भी सीधे सादे थे न उन्हें खाने पीने के लिए प्रचार की जरूरत थी न जाने आने के लिए। घर के खाने या फिर घर लाकर खाने में ही विश्वास करता था तब का व्यक्ति। दो जोड़ी कपड़ों में साल भर निकाल देता था।

वर्क फ्रॉम होम का टेंशन

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आप  और हम अपने आप को कितना भी मां सरस्वती के पुत्र कहते रहे हैं पर असली में तो मां सरस्वती का वरद हस्त प्राप्त आठ बाय तीन इंची लाड़ले बच्चे मोबाइल को ही है।

खरीदारी सबसेऽऽऽ सुखद अनुभूति

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किसी भी महिला के जीवन के सबसे सुखद क्षणों में से एक होता है, जब वह अपनी खरीदारी के शौक के पलों को जी रही होती है। उस समय उस महिला के चेहरे पर जो मुस्कान होती है, उसका मोल चुकाया नहीं जा सकता क्योंकि उसके कुछ क्षणों के पश्चात् ही उस परिवार के पुरुष की जेब ढीली हो चुकी होती है।

टायगर ग्रुप गैंग नहीं, सामाजिक संगठन

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किसी संगठन का युवाओं में ‘क्रेज’ होना आम बात नहीं है। आज का युवा बहुत देख-परखकर किसी संगठन से जुड़ता है और तब तक जुड़ा रहता है जब तक उसके विचारों से सहमति रखता हो। टाइगर ग्रुप का युवाओं में ‘क्रेज’ क्यों बढ़ रहा है, इसका उत्तर है उस ग्रुप के सदस्यों का बिंदास व्यवहार, सामाजिक कार्य और आवश्यकता पर उलब्धता। आशा यही है कि यह संगठन अपनी वैचारिक दिशा से भटके नहीं।

दिग्भ्रमित ना हो भाजपा

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भाजपा ने उन सारे वादों को पूरा किया या पूरा करने की दिशा में अग्रसर है, जिनका उल्लेख उनके नेताओं ने अपने भाषणों या घोषणापत्र में किया था। परंतु देश विरोधी ताकतें और विपक्ष के नेता हमेशा अफवाह फैलाते रहते हैं कि भाजपा अपने लक्ष्य से दूर हो गई है, जबकि वास्तविकता यह है कि विपक्षियों की सत्ता लोलुपता ने ही उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है।

अभिव्यक्ति निष्पक्ष तो लड़ाई पक्षीय क्यों?

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भारत देश में एक चलन सा बन गया है कि हिंदू देवी-देवताओं को लेकर किया गया आपत्तिजनक व्यवहार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मान लिया जाता है, जबकि इस्लाम को लेकर कही गई सामान्य बात भी अपमान मान ली जाती है। देश का तथाकथित बौद्धिक वर्ग इस पर चुप रहता है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर यह दोहरी मानसिकता बंद होनी चाहिए।

पीएफआई पर प्रतिबंध

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पीएफआई पर प्रतिबंध लगना शुभ संकेत है, क्योंकि उसकी गतिविधियां अत्यंत खतरनाक थीं, लेकिन इस तरह के संगठनों का पूरी तरह खात्मा किया जाना ज्यादा आवश्यक है। साथ ही, उन लोगों की मंशा पर भी सवाल उठते हैं जो पहले तो पीएफआई पर प्रतिबंध लगाए जाने की प्रक्रिया का विरोध कर रहे थे लेकिन प्रतिबंध लगाए जाने के बाद प्रतिबंधों का स्वागत कर रहे हैं।

पर्यावरण समस्या : मानव के अंतर्मन के सूखेपन की उपज

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विकास के नाम पर मानव प्रकृति का शोषण कर पृथ्वी के वातावरण को जहरीला बनाता जा रहा है। प्रकृति का कोई भी स्रोत इससे अछूता नहीं है। अगर मानव अब भी नहीं चेता तो जलवायु परिवर्तन की चुनौती को रोक पाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए विश्व के प्रत्येक मानव, खासकर विकसित राष्ट्रों का कर्तव्य बनता है कि इस दिशा में सार्थक प्रयत्न करें ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रहे।

चुनौती चीन के हाइब्रिड वार की

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चीनी मशीनरी पूरी ताकत लगाकर भारत में अराजकता फैला रही है। अपने कुत्सित उद्देश्य की पूर्ति के लिए वहां की वामपंथी सरकार हर गलत हथकंडे को प्रोत्साहित कर रही है। भारत सभी मोर्चों पर उसका बखूबी मुकाबला कर रहा है, परंतु अब समय आ गया है कि चीन को उसी…

क्षेत्रीय अराजकता के बीच भारत

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भारत की सबसे बड़ी समस्या है कि उसके कई पड़ोसियों का व्यवहार हमेशा से संदिग्ध रहा है लेकिन धीरे-धीरे भारत ने उनके जाल को काटकर एशिया क्षेत्र में अलग समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं। इसकी बानगी श्रीलंका में उभरी अराजकता और रूस-यूक्रेन युद्ध के समय दिखा। बालाकोट स्ट्राइक के कारण भी पड़ोसियों की नजर में भारत की मजबूत छवि बनी है।

खेलोगे, कूदोगे बनोगे नवाब

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वैसे तो भारत गांवों का देश कहा जाता है लेकिन जब खेलों की बात होती है तो हमारे सामने बड़े शहरों के खिलाड़ियों की तस्वीर ही उभरती रही है। हालांकि पिछले कुछ समय से गांवों से भी बहुत तेजी से प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। उसके प्रमुख कारणों में ग्रामीण जीवन और उनका शरीर सौष्ठव, सरकारों का बदलता दृष्टिकोण, बढ़ती बुनियादी सुविधाएं इत्यादि हैं।

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