दो शेरों के बीच खडा हूं…
“देश को परम वैभव के शिखर पर लें जाने का प्रवास अतिशय तीव्र गति से शुरू है। अटल जी ने इस परम वैभव की नींव रखी। अब भी बचपन की यादें हैं। हम दो भाइयों ने जिद कर अटल जी के साथ फोटो उतरवाई। तब उन्होंने कहा- मैं शेरों के…
“देश को परम वैभव के शिखर पर लें जाने का प्रवास अतिशय तीव्र गति से शुरू है। अटल जी ने इस परम वैभव की नींव रखी। अब भी बचपन की यादें हैं। हम दो भाइयों ने जिद कर अटल जी के साथ फोटो उतरवाई। तब उन्होंने कहा- मैं शेरों के…
ग्रामों में गौचर की व्यवस्था टूट जाने से पशुओं, पशुपालकों, समाज और सरकार के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है। गौचर को पुनः स्थापित किया जाए तो सभी का लाभ होगा। समस्त महाजन पिछले 16 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही है। बहुत काम हुआ है, बहुत होना बाकी है।
‘लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था- जय जवान, जय किसान! मानो हर व्यक्ति एक-दूसरे के बिना अधूरा है, एक-दूसरे के बिना अपूर्ण है। मैं अब इसमें नया जोड़ रहा हूं- ‘जय विज्ञान!’ इक्कीसवीं सदी में देश की रक्षा, देश का विकास पिछली सदी के साधनों से नहीं किया जा सकेगा।”
आज बड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है। भगवान वामन ने तो तीन कदमों में जमीन, पाताल और आकाश सबको परिव्यापित कर दिया था। सामाजिक सुधारों की बात जहां हों, वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इच्छा होगी, तो एक कदम में- एक ही कदम रखकर पूरा देश परिव्यापित कर सकते हैं।
‘मैं नहीं जानता कि इस तरह की समस्या (अयोध्या) के बारे में सर्वोच्च न्यायालय कोई फैसला (दें तो वह).... एक पक्ष की भूमिका का समर्थन करने वाला हो सकता है अथवा इस फैसले से अनिश्चितता (की स्थिति) भी निर्माण हो सकती है। अदालत के बाहर मैत्रीपूर्ण चर्चा के जरिए क्या इस समस्या का समाधान नहीं खोजा जा सकता?”
‘यह देश एक धार्मिक देश है। धार्मिक होना और सद्गुणी होना एक ही बात है। धर्मनिरपेक्षता का पक्ष लेनेवालों से मुझे यह कहना है कि, धर्मनिरपेक्षता याने सेक्युलरिज्म नहीं है। ऐसा समझना गलतफहमी है। क्या भारत का शासन धर्मविरोधी है? क्या सरकार को इस देश को अधार्मिक बनाना है?”
‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन जम्मू-कश्मीर का संविधान अब भी अलग है। जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर का नागरिकत्व अलग है। कश्मीर को हम भारत माता का मुकुट कहते हैं- मुकुटमणि कहते हैं, लेकिन कश्मीर का ध्वज अलग है। इसका कारण क्या है?”
अटल जी जितने निष्पक्ष तरीके से विपक्षी पार्टियों के नेताओं की आलोचना करते थे, उतनी ही दिलेरी से वे अपनी आलोचना सुनने का भी साहस रखते थे। यही कारण है कि विरोधी भी उनकी बात को बड़ी तल्लीनता से सुनते थे। उनके व्यक्तित्व की यही ऊंचाई उन्हें भारतीय राजनीति का पितामह बनाती है।
अटल जी के नेतृत्व में भारत द्वारा घोषित अण्वास्त्र नीति के महत्वपूर्ण वाक्य हैं- हम अण्वास्त्र का प्रथम प्रयोग नहीं करेंगे। पर यदि हम पर किसी ने हमला किया तो हम निश्चित प्रतिकार करेंगे। आक्रामक को असह्य हो इतना कठोर सबक सिखाएंगे। इससे भारत की विदेश नीति उच्च स्तर पर पहुंच गई।
अटलजी बस अटल जी थे। अनुपमेय। आज वातावरण में व्याप्त राजनीतिक कलुष में उनकी बातें सबको बहुत याद आती हैं। वे सत्य ही वर्तमान युग के अजातशत्रु थे जिन्होंने भारत की आराधना की। इसीलिए वे कह सके “मेरी आस्था -भारत।”
“जब स्कूल में था तब मैंने अटलजी का ‘सपनों के भारत’ पर बौद्धिक सुना था। बाद में एक फौजी अधिकारी के रूप में विभिन्न अवसरों पर उनसे संवाद करने या उन्हें सुनने के दुर्लभ अवसर प्राप्त हुए। इस अंतराल में मैंने उनमें एक राष्ट्रपुरुष के दर्शन किए।”
श्री अटल बिहारी वाजपेयी महान कवि-साहित्यकार, देशहित चिंतक और एक महान राजनेता के रूप में आने वाली पीढ़ियों में भी सदैव याद किए जाते रहेंगे।