पूराण कथा : अष्टावक्र और बंदी शास्त्रार्थ

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अष्टावक्र अद्वैत वेदान्त के महत्वपूर्ण ग्रन्थ अष्टावक्र गीता के ऋषि हैं। अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। 'अष्टावक्र' का अर्थ 'आठ जगह से टेढ़ा' होता है। कहते हैं कि अष्टावक्र का शरीर आठ स्थानों से टेढ़ा था। उद्दालक ऋषि के पुत्र का नाम श्‍वेतकेतु था। उद्दालक ऋषि के…

सारा संसार लोभ श्रृंखलाओं में फंस गया है

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एक बार विदुर जी संसार भ्रमण करके धृतराष्ट्र के पास पहुँचे तो धृतराष्ट्र ने कहा, "विदुर जी ! सारा संसार घूम कर आये हो आप, कहिये कहाँ-कहाँ पर क्या देखा आपने?" विदुर जी बोले, "राजन् ! कितने आश्चर्य की बात देखी है मैंने। सारा संसार लोभ श्रृंखलाओं में फंस गया…

फुंसियां…

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तुम एक रुग्ण मानसिक अवस्था हो और मुझे अब इस रुग्ण मानसिक अवस्था का हिस्सा और नहीं बनना। हमारे पास जीने के लिए एक ही जीवन होता है और मुझे अब यूं घुट-घुट कर और नहीं जीना। आज मैं स्वयं को तुमसे मुक्त करती हूं। एक बात और, मुझे अपने चेहरे पर उगी हुई फुंसियां अच्छी लगती थीं और वे सभी लोग अच्छे लगते थे जो उन फुंसियों के बावजूद मुझे चाहते थे, मुझसे प्यार करते थे। प्यार, जो तुम मुझे कभी नहीं दे सके।

और कितने मोड़

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अस्वस्थता का ध्यान आते ही शरीर में एक लहर-सी दौड़ गई। वह तेज बुखार में तप रहा था। जी चाह रहा था हिले भी न, फिर भी छुट्टी न मिल पाने के कारण फैक्टरी जाना पड़ रहा था। जैसे ही आधे रास्ते पहुंचा कि तेज वर्षा प्रारम्भ हो गई। भींगने के कारण कंपकंपी छूटने लगी। अत: टेस्ट रूम में पहुंचकर उसने हीटर जलाया।

राम की अयोध्या वापसी

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कौशल्या ने सादगी का जो चोला पति के जाने के बाद ओढा, वह नहीं बदला। अब वह दुकान शहर में ‘कौशल्या रेस्टोरेन्ट’ के नाम से जानी जाने लगी। अपनी आमदनी से वह कुछ दान-पुण्य करती, बचत से भावी बहू के लिए जेवर बनवाती, मन में बेटे की गृहस्थी बसाने का सपना जो आकार लेने लगा था।

संवेदनाएं अपनी-अपनी

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अचानक स्टेशन का शोर सुनाई देने लगा था। न्यू दिल्ली स्टेशन आ चुका था। सभी यात्री अपना सामान लेकर दरवाजे की ओर बढ़ने लगे। नितिन और भव्या भी मालती को लेकर सामान के साथ नीचे उतर आए। सबको मालती के बेटे अरुण का इंतजार था। भव्या और नितिन की निगाहें मालती की ओर थीं, कि कब वह संकेत देगी कि मेरा बेटा अरुण आ गया।

बैरी भये पालनहार

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‘बेटों ने तो गांव में भी कुछ नहीं छोड़ा है, मेरे लिए। वापस जाऊंगा तो लोगों को क्या कहूंगा। इसलिए लौट आया कि बेटे अपनी स्वार्थ लिप्सा में इतने गिर गये है कि उन लोगों ने अपना पता देने की जगह असहाय वृद्धाश्रम पहुंचाने के लिए अज्ञात व्यक्ति को पत्र…

सुबह का भूला

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आरुषि अभी तक सोफे पर पड़ी सुबक रही थी। आज उसे रह-रह कर रोना आ रहा था। साथ ही उसे पछतावा भी हो रहा था कि उसने अपने पिता समान स्वसुर पर घ्ाूरते रहने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं उसने तो यह भी कहा था कि वे उसके साथ कुछ गलत करना चाहते हैं।

धूप-छाँव

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नवीन, कलकत्ता से फोन पर तो बहुत मीठी-मीठी बातें करता पर जब एक-दो हफ्ते के अवकाश पर घर आता तो प्यार की सारी बातें भूल कर बात-बात पर विनीता से झल्ला उठता था, उसे डाँट देता। विनीता उसका मुँह ताकते रह जाती। ये क्या हो गया कलकत्ता जाकर इन्हें? और फिर वह अपने दुर्भाग्य को कोसने लगती। कभी-कभी तो नवीन के साथ इतनी झड़प हो जाती कि वह जीवन से विरल हो उठती। यहाँ तक कि कभी-कभी तो वह आत्महत्या कर लेने तक की सोच बैठती।

कालचक्र

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“बियानी जी की आंखों से गंगा -जमुना बह रही थीं। वे बोले, भगवान अच्छे कर्मों का फल कैसे, कहां देंगे, यह तो हमें पता नहीं चलता। बेटा, कालचक्र में क्या कुछ निहित है कोई नहीं जानता...”

कर्मफल

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कन्याकुमारी मंदिर के पीछे चबूतरे पर अनेक यात्री सूर्योदय देखने के लिए एकत्रित थे। सब कुछ बड़ा ही रोमांचक था। अपने सप्तअश्व रथ पर सवार हो बाल सूर्य के आने की घड़ी आ गई थी।

क्या आप जानते है कुतुबमीनार की असली कहानी?

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दुनिया में कई ऐसे इस्लामी देश है जो पहले कभी हिंदू देश हुआ करते थे और कई ऐसे स्थल भी है जो कभी हिन्दुओं के धार्मिक स्थल थे लेकिन मुसलमान शासकों ने अपने समय में इसे ज़बरदस्ती अपना बना लिया और उस पर राज करने लगे। देश की कई ऐसी मस्जिदें…

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