प्रेम स्वयं भगवान को झुका सकता है
प्रेम-अद्भुत सामर्थ्य, जहाँ प्रेम होता है वहाँ परमात्मा भी जीव के बस में हो जाते हैं। प्रेम में अद्भुत सामर्थ्य है। चाहे केवट के आगे हो, चाहे शबरी के आगे हो, चाहे हनुमानजी के आगे वो, चाहे सुग्रीव के आगे हो या चाहे विभीषण के आगे हो, प्रेम के वशिभूत…