महिला वैज्ञानिकों का योगदान और भविष्य

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संक्रमण काल में महिलाओं की शिक्षा को लेकर पनपी उदासीनता के कारण हर क्षेत्र की तरह वैज्ञानिक शोधों के क्षेत्र में भी महिलाओं की संख्या नगण्य है, जबकि वे कम संख्याबल के बावजूद उन क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य कर रही हैं। भारत सरकार भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा…

लव जिहाद के चंगुल से कैसे बचें?

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लव जिहाद और पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए आवश्यकता है कि हम अपनी बेटियों के मित्रों पर ध्यान दें और उन्हें शिक्षा दें कि वे दुर्गा और काली की संतानें हैं। उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाएं ताकि वे लव जिहाद की चुनौतियों का डटकर सामना कर…

नर तू नारायण नारी तू नारायणी

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स्त्री और पुरुष इस समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। यदि कोई भी पहिया कमजोर या क्षतिग्रस्त होगा तो समाज की प्रगति बाधक होगी। कुछ समय पहले तक महिलाओं को दोयम दर्जे के व्यवहार का सामना करना पड़ता था, जिसमें बहुत तेजी से बदलाव हुआ है। समय आ गया…

भारत, संविधान और विदेशों में महिला अधिकार

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आधुनिक दुनिया की तथाकथित सभ्य सभ्यताओं ने महिलाओं एवं अश्वेतों को हमेशा अधिकारों से वंचित रखा। वहां पर अधिकार पाने के लिए इन्हें लम्बा संघर्ष करना पड़ा। परंतु भारतीय सभ्यता में इनके लिए लघु विचार कभी नहीं रहे। इसीलिए मुस्लिम और अंग्रेेजी राज्य में महिलाओं एवं दलितों का उत्पीड़न होने…

‘हिंदी विवेक’ की जयपुर यात्रा

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हिंदी विवेक परिवार हर साल अपने कर्मचारियों के लिए दो शानदार पिकनिक आयोजन करता है, जिसके अंतर्गत देश के किसी भूभाग का भौगोलिक और सांस्कृतिक अवलोकन करते हैं। जिसका उद्देश्य होता है कर्मचारियों के जैविक परिवार और कार्यस्थल के परिवार का मिलन। यदि कोई संस्था अपनी कर्मचारियों के साथ-साथ उसके…

पूर्वांचल की मातृ सत्ता

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वर्तमान पुरुष सत्ता के परिवेश में हम किसी ऐसे समाज की कल्पना नहीं कर सकते जहां परिवार एवं समाज का संचालन पूरी तरह से महिलाओं पर आश्रित हो परंतु भारत का पूर्वोत्तर भाग मातृ सत्ता के रूप में अभी तक अपनी पुरानी पहचान को बचाए रखने में सफल रहा है।…

भारत के अमृतकाल का शुभारम्भ

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राष्ट्रपति भवन के गार्डन का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ किए जाने पर कुछ लोगों को तकलीफ हो रही है। पूरा देश जानता है कि मुगल और अंग्रेजकालीन नाम देश की गुलामी के प्रतीक हैं इसलिए उनको मिटाया जाना आवश्यक है। अभी बहुत सारे प्रतीक देशभर में बिखरे पड़े हैं, जिन…

मनोरंजन जगत में स्त्री का विकृत चित्रीकरण

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पिछले दो दशकों से फिल्मों और टीवी में महिलाओं के नकारात्मक चित्रण को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, अश्लील वेशभूषा और हावभाव का बढ़ता प्रयोग भी हमारे युवाओं को गुमराह कर रहा है। समाज के प्रबुद्ध वर्ग को आगे आकर इनके विरुद्ध खड़ा होना चाहिए ताकि पर्दे पर…

महिलाओं को मिले नेतृत्व के समान अवसर

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हर किसी को पता है कि महिलाओं के उत्थान के बिना समाज और राष्ट्र का उत्थान असम्भव है। लेकिन सामाजिक स्तर पर उनकी प्रगति को लेकर उदासीनता का माहौल है। हालांकि वर्तमान भारत सरकार ने महिलाओं को लेकर कई सारी योजनाएं शुरू की हैं तथा उनके सफल क्रियान्वयन को लेकर…

खुद ही खुद को गढ़ना होगा…

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हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। कई वर्षों से यह भारत में भी मनाया जा रहा है। हालांकि यह भारत की सांस्कृतिक देन नहीं है क्योंकि जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ, जन्मतिथि और पुण्यतिथि के अलावा हमारे यहां व्यक्ति विशेष से सम्बंधित दिवस नहीं होते। महिला दिवस…

पू. सरसंघचालक के वक्तव्य का संदर्भ

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संत शिरोमणि रविदास जयंती के अवसर पर पू. सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा कही बातों पर राष्ट्रविरोधी जनों ने विरोध करना शुरू कर दिया कि उन्होंने ब्राह्मणों का अपमान कर दिया, जबकि उन्होंने कहीं पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग ही नहीं किया था। कुतर्क करने वालों के लिए संघ पहले ब्राह्मणवादी…

अंतर्बाह्य समरसता ध्येयमार्गी – पद्मश्री रमेश पतंगे

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संघ विचारक, संपादक, राष्ट्र चिंतक, लेखक, सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा श्री रमेश पतंगे को भारत सरकार के माध्यम से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा हुई है। रमेश पतंगे को मिला यह पद्मश्री पुरस्कार सिर्फ उनके स्वयं का नहीं है तो समाज को संगठित करने का, समाज को दोष…

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