टुकड़े-टुकड़े होते रिश्ते
भारतीय समाज कभी भी नृशंस नहीं रहा। युद्ध के अलावा सामान्य जीवन में किसी की हत्या करना पाप की श्रेणी में गिना जाता था। हमारे संस्कारों, मूल्यों में किसी को दुख पहुंचाना ही बहुत बड़ी बात होती थी, हत्या करने का विचार तो सामान्य लोगों को छूता भी नहीं था।…