लच्छू
“सप्ताहभर बाद लच्छू ने कारखाने की शुरुआत की, जिसका उद्घाटन लच्छू के पिता जी के साथ क्षेत्रीय सांसद के हाथों हुआ। उस दिन गांव के बीस और युवकों को लच्छू के कारखाने ’मुन्नी अगरबत्ती प्राडक्ट्स’ में नौकरी मिली।”
“सप्ताहभर बाद लच्छू ने कारखाने की शुरुआत की, जिसका उद्घाटन लच्छू के पिता जी के साथ क्षेत्रीय सांसद के हाथों हुआ। उस दिन गांव के बीस और युवकों को लच्छू के कारखाने ’मुन्नी अगरबत्ती प्राडक्ट्स’ में नौकरी मिली।”
“घर ही नहीं बाहर भी ये मौसम और ये दूरी सभी को अखर रही है.. कि कब कोरोना का सत्यानास जाए और पहले की तरह हम खूब खाए पियें और हुलसकर अपनों से गले मिलें, जिससे बारिश की बूंदों में प्रेम की फुहार मिलकर बरसे...”
सावन मास में उत्तरी राज्यों में शिवभक्तों की कावड़ यात्रा अपूर्व पर्व है। इसमें भक्त गंगा जल कावर में भरकर उसे शिव मंदिर में जाकर चढ़ाते हैं। चारों ओर कावर कंधे पर धरकर पैदल जाते इन भक्तों के काफिले शिव के नारों से आकाश को गुंजायमान कर देते हैं।
इस समय कुल 19 वैक्सीन कैंडिडेट के क्लिनिकल परीक्षण चल रहे हैं। भारत में भी आईसीएमआर के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा ‘कोवैक्सिन’ वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया जारी है। भारत सहित दुनिया के अनेक देश वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया में युद्ध स्तर पर जुटे हुए हैं। लेकिन वैक्सीन निर्माण एक लम्बी प्रक्रिया है।
कोरोना महामारी के दौरान मीडिया में तथ्यात्मक, सकारात्मक व नकारात्मक तीन स्वरूप उभरे हैं। इसमें से नकारात्मक खबरें बोने वाले वे वामपंथी हैं, जो अपने को ‘लिबरल’ कहलवाते हैं, लेकिन हैं प्रतिक्रियावादी। उनके चेहरों को समझना जरूरी है।
साधना पर फिल्माए ये दो गीत- तुम बिन सजन और बरखा बहार आई- हिन्दी सिनेमा और बरसात की युति की उत्कृष्ट देन है, जिन्हें आनेवाली पीढ़ियां सुनती रहेंगी, गुनती रहेंगी और गुनगुनाती रहेंगी।
उत्तर प्रदेश का गैंगस्टर विकास दुबे खाकी, खादी और क्राइम के मिश्रण की सबसे नग्न मिसाल है। कहते हैं कि ऐसा संगठन ढूंढना मुश्किल है जो विकास दुबे के टुकड़े पर न पला हो। खाकी, खादी और क्राइम का ऐसा काकटेल अन्य राज्यों में भी है। आखिर इससे कैसे पार होइएगा?
गैंगस्टर विकास दुबे जैसे आस्तीन के सांप हमारे समाज में बिखरे पड़े हैं, जिसकी पीड़ा आज हमारा समाज भुगत रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार व केंद्र की मोदी सरकार स्पष्ट बहुमत से सत्ता में हैं। राजनीतिक गठबंधन की कोई बेड़ियां उनके पैरों में नहीं है। क्या ऐसे में राजनीति का अपराधीकरण रोकने में वे वास्तविक कदम उठाएँगे?
आखिरकार भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोवाल ने अपने चीनी समकक्ष से बातचीत करके उसे लद्दाख के मोर्चे पर पीछे हटने के लिए विवश कर दिया है।उन्होंने साफ कह दिया कि नया भारत किसी भी प्रकार की एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
चीनी राजदूत होऊ यांछी की पिछले तीन महीनों में नेपाल के राजनीतिक नेताओं से मुलाकातों से इतना तो साफ हो गया है कि नेपाल में भारत विरोधी खेल की वे सूत्रधार हैं। नेपाली प्रधानमंत्री ओली तो इस राजदूत महिला के हाथों कठपुतली बन गए हैं। जो कभी भारत के करीब माने जाते थे वे अब चीनी ड्रेगन के पंजे में जकड़ गए हैं।
देश में, विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में, गुंडाराज फैला हुआ था। गुंडों को राजनैतिक पार्टियों और पुलिस का आश्रय प्राप्त था। लोगों में डर फैलाने और अपना खौफ बनाने के लिए ये गुंडे कमर में तमंचे बांधे ऐसे घूमते थे, जैसे कोई बहुत बड़ा पराक्रम कर रहे हों। उनके इसी आतंक और दबदबे का फायदा राजनैतिक पार्टियां चुनावों तथा अन्य समय पर उठाती रहीं।