ईमानदारी : कुछ छुट्टा विचार

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अर्फेो देश में ईमानदारी का कोई महत्व नहीं है। मुफ्त में मिलती है न। हालांकि दुनिया में कोई भी चीज़ मुफ़्त में नहीं मिलती, लेकिन ईमानदारी मिलती है। ईमानदारी मुफ़्त में मिल तो जाती है, लेकिन उसे अर्फेााने की कीमत काफ़ी बडी होती है।

बरखा की पहली सौगात ले आये

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पृथ्वी पर आने वाली छहों ऋतुओं में प्रकृति छह बार नूतन शृंगार करती हैं। यों तो ऋतु चक्र में प्रकृति के सभी रूप मनोहर होते हैं, किंतु झुलसते ग्रीष्म के बाद उमड़-घुमड़ कर आने वाले मेघों को देखकर मन विशेष आह्वाद व शीतलता का अनुभव करता है। वर्षा की फुहारें मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और वनस्पितयों तक नवजीवन का संचार कर देती हैं।

जनता का विश्वास ही जनकल्याण बैंक की पूंजी

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जनकल्याण सहकारी बैंक लि. के अध्यक्ष और प्रसिद्ध कर विशेषज्ञ श्री चंद्रशेखर एन. वझे से देश की आर्थिक नीति, सहकारी बैंकों की वर्तमान स्थिति, जनकल्याण सहकारी बैंक का विकासात्मक आलेख, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में उनके योगदान फर हिंदी विवेक के प्रतिनिधि अमोल फेडणेकर से विस्तृत बातचीत हुई। इसके कुछ महत्वफूर्ण अंश:

कहां खो गया चीता ?

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अब भारत के जंगलों में चीता दिखाई नहीं देता। बस्तर जिले में 1948 में वहां के अंतिम चीते की शिकार वहां के महाराजा ने की थी। इस बारे में मैंने पवनी (जिला गोंदिया, महाराष्ट्र) के माधवराव पाटील के साथ चर्चा की। वे गोंदिया जिले में प्रसिध्द शिकारी रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘1950 से 1953 नवेगांव बांध, पवनी और गांधारी के जंगल में मैंने चीतों की शिकार की है।’)

संतों के सामाजिक सरोकार

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बाबा रामदेव के अनशन से जिनके स्वार्थों फर आंच आ रही थी, ऐसे अनेक नेताओं ने यह टिपफणी की, कि बाबा यदि संत हैं, तो उन्हें अर्फेाा समय ध्यान, भजन और फूजा में लगाना चाहिए। यदि वे योग और आयुर्वेद के आचार्य हैं, तो स्वयं को योग सिखाने और लोगों के इलाज तक सीमित रखें। उन्हें सामाजिक सरोकारों से कोई मतलब नहीं है।

कौन खौफ खाता है संघ से?

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अराजकता का रास्ता है, अलोकतांत्रिक है, गड़बड़ी फैलाने का आवाहन है आदि आदि। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के फीछे साम्प्रदायिक शक्तियों (यानी रा स्व संघ अर्थात आरएसएस) का हाथ होने के बेबुनियाद आरोपों के बारे में भी लगभग उसी तरह की अनर्गल भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बाबा रामदेव का आंदोलन और संघ स्वयंसेवक

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मई के अंतिम सप्ताह से ही समाचार माध्यमों में यह जानकारी आने लगी थी कि काले धन के विरोध में बाबा रामदेव 4 जून से दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठनेवाले हैं। इस समाचार को देखकर और पढ़कर मैंने अपने साथ के पत्रकारों से एक प्रश्न पूछा, ‘‘इस समाचार के उपरांत आगे की खबर क्या होगी?’’

तन और मन का रंजन

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पर्यटन के अब कई रूप बन गये हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा इसका एक अंग है। दक्षिण भारत में इस तरह के केंद्र बने हैं, जहां आयुर्वेदिक पध्दति से चिकित्सा की जाती है। मन को सुकून मिलता है और तन तंदुरुस्त बनता हैा

मुद्रा-विज्ञान एवं रंग चिकित्सा

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एक पुरानी कहावत है: पहला सुख निरोगी काया; दूसरा सुख घर में माया; तीसरा सुख सुलक्षणी नारी; चौथा सुख पुत्र आज्ञाकारी। इन सुखों में सबसे बड़ा सुख स्वस्थ शरीर को बताया गया है। क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ-मन निवास करता है।

बैंक शेयरों में उछाल की उम्मीद

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दुनिया की अर्थनीति में मुद्रा और मंडी का बहुत महत्व है और भारत की अर्थनीति उससे अलग नहीं रह सकता। यूरोप के कई देशों में स्थिति हाथ से बाहर निकल गयी है। यूनान जैसे देशों को अतंरराष्ट्रीय मुद्रा निधि ने ज्यादा ऋण देने का प्रबंध किया है। लेकिन उससे फर्क नहीं पड़ेगा।

मेडिकल लापरवाही: उत्तराधिकारी जारी रख सकते हैं मुकदमा

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यदि शुल्क देकर मेडिकल सेवा प्राप्त की जाती है तो वह उपभोक्ता संरक्षण के दायरे में आती है। इस सेवा में कमी होने पर ग्राहक उपभोक्ता अदालत में दस्तक दे सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी मुकदमा जारी रख सकते हैं।

सुभाष अवचट: भगवा रंग के कुण्ड में कूद पड़ने की नियति

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उससे और उसके चित्रों से साबका साल-दर-साल होता रहा। उसके चित्रों की प्रदर्शनियां भी विशाल-से-विशालतर होती गईं। कई बार जहांगीर कला दीर्घा की पूरी की पूरी वातानुकूलित गैलरी तो कभी ऑडिटोरियम में।

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