1951 में फ़िल्म 'बुज़दिल' से फ़िल्म इंडस्ट्री में बतौर गीतकार प्रवेश करने वाले और फिर वर्षों तक गीतों की दुनिया...
आज जिस प्रकार समाज में राष्ट्रीय विचारों की, देशभक्ति की, सेना के प्रति आदर की प्रबल भावना दिखाई देती है,...
कहते हैं कि शब्दों में बहुत ताकत होती है इतनी की अगर प्रेम के हों तो ज़िन्दगी खुशियों से रौशन...
क्या ये कह देना भर काफी है कि कमर्शियल सिनेमा का काम सिर्फ मनोरंजन है, स्कूली शिक्षा बाँटना नहीं! और...
डॉ. हेडगेवारजी ने कांग्रेस के सभी गतिविधियों में भाग लिया था।गणतंत्र दिवस के दौरान सभी संघ कार्यालयों पर...
‘उर्दू गजल’ के चाहनेवाले दिन-ब-दिन बढते ही रहे हैं; और यह बडी खुशी की बात है । इस में पुरानी...
https://www.youtube.com/watch?v=6cKErCWrb44 अपना इतिहास अपने लोक गीतो में सुरक्षित है, वर्ना नया मार्क्सिस्ट इतिहास तो हमें मुग़लों और अंग्रेजों के...
शायरी के शब्दों के पीछे भी गहरा मतलब छिपा रहता है इसलिए तो वह शायरी या कविता कहलाती है। वह...
https://www.youtube.com/watch?v=PmbcRCCInf4 इत्तेफाकन् मैं आपके कंपार्टमेंट में चला आया; आपके पांव देखे; बहुत हसीन हैं इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा, मैले...
सन 1973 में राजेश खन्ना के साथ फ़िल्म 'दाग' से अपने फ़िल्मी करियर की शुरआत करने वाले फ़िल्मी दुनिया के...
फिल्में, यद्यपि आती जाती रहती हैं फिर भी समाज से फैशन का रिश्ता कायम रहता है। समाज उसमें भी कुछ...
कुछ ही सालों के दौरान फिल्मों में जिस तरह तेजी से बदलाव आया यदि इसी तरह बदलाव आता रहा तो...
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