राष्ट्र का आदर्श स्तम्भ राममंदिर

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जन-जन में राम और घर-घर में श्रीराम व्याप्त करने के लिए विहिप द्वारा जन अभियान चलाया जा रहा है। राम के आदर्श को अपनाकर सुख और शांति के मार्ग पर चल सकते है।  श्रीराम ने अपने चरित्र से सबको शिक्षा दी। सब में राम हो,सब में रामत्व हो।

राष्ट्र सम्मान की पुन:प्रतिष्ठा

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राम मंदिर का निर्माण सिर्फ कानूनी लड़ाई से नहीं हुआ बल्कि जनसहयोग से भी हुआ है। भले ही लोगों के मत अलग-अलग हों पर मंदिर निर्माण को लेकर देशवासियों के मत एक थे। एक लम्बे संघर्ष, कठिन प्रयास के बाद ही आखिरकार राम मंदिर का निर्माण हुआ और बस अब इतंजार है तो कपाट खुलने का।

लोकाभिमुख धर्मज्ञ राजा

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मर्यादा पुरुष श्रीराम की महिमा अपरम्पार है। एक आदर्श और नीतिगत जीवन जीने के लिए श्रीराम के आदर्श को अपने जीवन में उतारना होगा। भगवान राम केवल शस्त्र ही नहीं बल्कि शास्त्र के भी ज्ञाता थे। उनके जीवन के आदर्श हमारे लिए अमृत कलश के समान हैं। 

रामराज्य की संकल्पना

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‘दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहिं काहुहि ब्यापा’ श्रीराम आदर्श पुरुष थे। राम राज्य में न कोई अल्पायु था और न वहां की प्रजा दरिद्र ही थी। सभी प्राणियों में संतोष का भाव था। एक सुंदर और नीतिगत जीवन, आदर्श व्यवहार, धर्म की रक्षा, राजा और प्रजा दोनों करते थे।

वनवासियों के राम

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महल से वन तक के सफर में भगवान राम के साथ कई मुसीबतें आइर्ं लेकिन राम ने लंका पर विजय वनवासियों के सहारे पाई। जब एक स्त्री को रावण द्वारा ले जाते हुए देखा तो जटायु ने पुष्पक विमान पर सवार रावण पर हमला बोल दिया। जटायु के बाद वनवासी महिला शबरी ने राम को सुग्रीव के पास भेजा। राम को इस वन की यात्रा में वनवासियों का साथ किस तरह मिला आपको इस आलेख में विस्तृत जानकारी मिलेगी।

व्यक्ति में रामत्व होना जरूरी

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मनुष्य को अपने जीवन में प्रभु राम के आदर्श पर चलना चाहिए। जब तक व्यक्ति में रामत्व नहीं आता, जीव में जड़ता बनी रहती है। परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें अपने विवेक को धारण करना चाहिए। अपनों से छोटों के दुर्गुणों को छिपाना चाहिए और उन्हें उचित सीख देनी चाहिए। धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। हर किसी को उसके श्रम के अनुरूप उसका उचित पारिश्रमिक देना चाहिए। प्रभु राम के कई ऐसे गुण हैं जिन्हें हम अपने जीवन में उतार कर एक आदर्श जीवन की कल्पना कर सकते है।

आदर्श लोक तंत्र को समर्पित श्रीराम

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श्रीराम आदर्श हैं तो रामायण हमारी संस्कृति है। जीवन के पथ पर इनके आदर्शों का अनुकरण ही हमारा मार्गदर्शन करते हैं जो बताते हैं कि एक पिता, पति, भाई, सखा और राजा के रुप में मानवीय आचरण और व्यवहार कैसा होना चाहिए। रामायण के पन्नों को पलट कर देखें तो राजा होने के पश्चात भी राम मन-वचन-कर्म से लोकतांत्रिक थे।  

दिव्य आदर्श का भव्य मंदिर

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अयोध्या पुन: अपने अलौकिक स्वरूप को प्राप्त करने जा रही है, भगवान श्रीराम पुन: अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं, भारत का आदर्श पुन: प्रस्थापित होने जा रहा है, अब भारतवासियों का यह कर्तव्य है कि इस आदर्श का हमेशा चिंतन करें और उसे अपने जीवन का अंग बनाकर उसके अनुरूप चलने का पूर्ण प्रयत्न करें।

रामलला के पटवारी चम्पतराय

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बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय  ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला, उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण जी और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

अक्षत वितरण महा अभियान 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024

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सब की इच्छा है 22 को अयोध्या जाए परन्तु सम्भव नही है। अयोध्या छोटी है, भौगोलिक क्षेत्र कम है इसलिए कहा गया  'मेरा गांव मेरी अयोध्या', 'मेरे गाव का मंदिर यही जन्म भूमि का मंदिर' यह भाव जगाना इस उद्देश्य से जन्म भूमि पर पूजित अक्षत घर-घर देना। अपने यहां अक्षत का अति महत्व है विवाह प्रसंग हो अथवा कोई मांगलिक प्रसंग हो अक्षत देकर ही आमंत्रण देने की परम्परा है।

कसकते इतिहास का दमकता वर्तमान

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गोवा के मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं। हम इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पुर्तगालियों द्वारा आक्रमण और धर्मांतरण के दौरान गोवा के कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था, कई मंदिरों को स्थानांतरित किया गया। इस कसकते इतिहास का वर्तमान दमकता हुआ है।

उत्सवों के रंग में रंगा गोवा

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गोवा की विभिन्न जातियों, जनजातियों और धर्म की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति ही गोवा की कुल कला और संस्कृति का प्रतीक है। यहां के उत्सव, संगीत, नाटक, शिल्पकला, चित्रकला, हस्तकला इनका ग्राफ लेने कि यह एक कोशिश है।

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