मधुमेह ने बढ़ाया काले कवक का खतरा

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आज जिसे म्यूकोसिस कहा जा रहा है वह वास्तव में बहुत पुराना रोग जाइगोमाइकोसिस ही है जो एक दुर्लभ कवक संक्रमण है। यह कवक हमारे परिवेश में मिट्टी, पत्तियों, सड़ी लकड़ी और सड़ी हुई खाद, किसी भी सीलन वाली जगह पर बड़े पैमाने पर होता है। म्यूकोंर्मासेट मोल्ड के कारण यह इंसान के जीवन पर घातक मार करता है। इसके चलते त्वचा का काला पड़ना, सूजन, लाली, अल्सर, बुखार के अलावा, यह ख़तरनाक बीमारी फेफड़ों, आंखों और यहां तक कि मस्तिष्क पर भी आक्रमण कर सकती है।

संघर्ष से सफ़लता के सात साल

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जो काम पिछले 70 वर्षों में भी नहीं हुए थे। अब लगभग 7 वर्षों में ही मोदी सरकार ने कर दिखाए हैं। महामारी से उत्पन्न विभीषिका को दूरदर्शिता और कुशलता से नियंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत नई शक्ति और नई ऊर्जा के साथ विश्व में श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित होने के लिए उत्सुक, तत्पर और तैयार है।

योग-आयुर्वेद व एलोपेथी विवाद और समाधान

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स्वामी रामदेव, आंशिक रूप से एलोपैथिक उपचार और दवाओं के ख़िलाफ़ आलोचनात्मक रहे हैं लेकिन, यह समझना होगा कि उसका कारण सिर्फ एलोपैथिक लॉबी द्वारा आयुर्वेद और योग की उपचारात्मक पद्धतियों की उपेक्षा करना रहा है। आज के समय में दोनों को एक दूसरे का पूरक मानते हुए साथ में उपचार का एक समग्र तरीका विकसित करने से भारतीय उपचार पद्धतियां और लाभकारी व ताकतवर हो सकती हैं।

कांग्रेस का ‘टूलकिट’ षडयंत्र

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कांग्रेस की टूलकिट में कुंभ, पीएम केयर्स फंड, गुजरात को विशेष सहयोग, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, कांग्रेस संगठनों के कार्यों को बढ़ावा देना, पीएम मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाना और अन्य नेताओं की गैर-मौजूदगी पर सवाल उठाने को कहा गया है। सोशल मीडिया पर साझा की गई इस टूलकिट में पीएम मोदी की छवि को खराब करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया का सहयोग लेकर भारत में मौजूद कोरोना वायरस के स्ट्रेन को ‘मोदी स्ट्रेन’ और ‘भारतीय स्ट्रेन’ कहने पर ज़ोर दिया गया।

अपने बिछाए जाल में फंस गया ट्विटर

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मकड़ी की तरह ट्विटर भारत में भी जाल बुनने में व्यस्त था। ऐसे ही जाल में उसने पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को उलझा कर पटख़नी दी थी। जिससे उसका हौसला बुलंद हुआ। लेकिन, ट्विटर को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 20 करोड़ की आबादी वाले देश नाइजीरिया ने अपने राष्ट्रपति मोहम्मद बुहारी के एक ट्वीट को हटाने के लिए, उसे अनिश्चित काल के लिए अपने देश में प्रतिबंधित कर दिया। अब वहां भारतीय कू एप्प को शुरू करने की अनुमति मिल गई है।

मूल संस्कृति से जोड़नेवाली – सिंधु दर्शन यात्रा

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अपनी पारमार्थिक उन्नति के लिए आध्यात्मिक यात्राएं करना जितना आवश्यक है, उतनी ही आवश्यक है अपने देश की भौगोलिक संरचना, उसका इतिहास और अपनी संस्कृति को जानने के लिए यात्रा करना। सिंधु दर्शन यात्रा की गिनती इसी यात्रा के रूप में की जानी चाहिए और प्रत्येक भारतीय को इसका अंग बनने का प्रयत्न करना चाहिए।

सेवाभावी-उद्यमी प्रशांत कारुलकर

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भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद लोगों ने आत्मनिर्भरता पर ज्यादा बल दिया है और तेजी से स्वदेशी सामान की तरफ बढ़ रहे है। हमने दिवाली और होली जैसे त्यौहारों के दौरान भी लोगों को स्वदेशी सामान की मांग करते हुए देखा है। कंपनियां भी शहर के साथ-साथ गांवों का रुख कर रही हैं क्योंकि गांव में जमीन सस्ते दर में उपलब्ध हो जाती है और वहां काम करने वालों की भी कोई कमी नहीं है। इसलिए ही हम भी गांव की तरफ रुख कर रहे हैं।

उद्योगपति व समाजसेवक रज्जू भाई श्रॉफ

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रज्जू भाई ने एक और बात पहचानी कि हमारे देश के किसान बहुत ही मेहनती और ईमानदार हैं लेकिन फिर भी हमारी खेती उतना फायदा नहीं देती जितना की बाकी देशों के किसानों को मिलता है। इसके पीछे की वजह है उचित मार्गदर्शन। भारत के ज्यादातर किसान उसी पुरानी पद्धति से काम करते चले आ रहे हैं, उस पर कुछ नया अनुसंधान नहीं करते हैं। भारतीय किसान पूरे साल तक खेती करते हैं और अनाज के साथ-साथ सब्जी, फल और फूल भी उगाते हैं, जबकि दूसरे कुछ देशों के किसान सिर्फ एक ही फसल की खेती करते हैं और बाकी के समय में परिवार के साथ घूमने निकल जाते हैं।

आशिदा … अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वदेशी पहचान

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आशिदा स्मार्ट सॉल्यूशन फॉर पॉवर प्रोटेक्शन एंड कंट्रोल कंपनी बिजली के अलग-अलग उपकरण बनाती है जो वर्तमान में कई कंपनियों और घरों में इस्तेमाल किए जाते हैं। आशिदा भारत की एकमात्र प्रमुख कंपनी है जिसने स्वदेशी रुप से स्टैटिक और न्यूमेरिकल रीले की एक श्रृंखला विकसित की है और कंपनी लगातार डायरेक्टरों सुयश कुलकर्णी और सुजय कुलकर्णी के नेतृत्व में विकसित होती जा रही है।

बदलाव के वाहक बनते ग्रामीण आविष्कारक

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उद्यमिता विकास के लिए कार्य-संस्कृति, अंतर-संरचना और कानून-व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने होंगे, बल्कि युवाओं को आरक्षण आंदोलन और सरकारी या कंपनियों की नौकरी का मोह भी छोड़ना होगा। तभी युवा उद्यमियों की सोचने-विचारने की मेधा प्रखर होगी और किसी आविष्कार को साकार रूप देने के लिए कल्पना-शक्ति विकसित होगी।

टूटने की कगार पर कांग्रेस!

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लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से कांग्रेस का पतन होता दिख रहा है इसकी पकड़ लगातार राजनीति से दूर होती जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर किसी भी राजनीतिक दल का पतन क्यों होता है? तो आप उदाहरण के लिए कांग्रेस को देख सकते है। आजादी…

परिवर्तन के शिल्पकार

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अब परिवर्तन की गति भी तेज हो गई है। पहले जहां 10-15-20 सालों में परिवर्तन होते थे, वहीं आज हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है और अच्छी बात यह है कि अब भारतीय समाज का मानस भी परिवर्तनों को सहज स्वीकार करने का आदी होने लगा है। भारत ने परिवर्तन को स्वीकार करके उसके अनुरूप ढलना तो सीख लिया है। अब इसके आगे उसे स्वयं को परिवर्तित करके दुनिया के परिवर्तन का शिल्पकार बनने की ओर बढ़ना होगा।

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