व्यावसायिक दृष्टि से पूर्वोत्तर

Continue Readingव्यावसायिक दृष्टि से पूर्वोत्तर

सम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर,मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश इन सात राज्यों को संयुक्त रूप से पूर्वोत्तर के नाम से जाना जाता है। यह इलाका प्रकृति की अप्रतीम सुंदरता से ओतप्रोत है। वहां के खेतों, बागानों, पर्वतों,

परिवर्तन के पदचिह्न

Continue Readingपरिवर्तन के पदचिह्न

सूरज की पहली किरण भारत के जिस प्रदेश को सबसे पहले प्रकाशित करती है, वह है पूर्वोत्तर। भारत का सबसे अधिक प्रकृति सम्पन्न प्रदेश है पूर्वोत्तर। यहां सबसे अधिक जंगल, खनिज सम्पदा, मसाले तथा मन को प्रसन्न कर देनेवाली नदियां हैं। कई जनजातियां और विविधताओं के

एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय

Continue Readingएकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय

दीनदयाल उपाध्याय ने शून्य से शुरूआत एक सशक्त राजनितिक दल खड़ा किया। इस काम का जैसा मूल्यांकन होना चाहिए था नहीं हो सका। भारत में एक अखिल भारतीय दल खड़ा करना कोई साधारण काम नहीं है। दीनदयालजी के पास जब जनसंघ की जिम्मेदारी आई तब कांग्रेस

पांच पर्वों का महापर्व

Continue Readingपांच पर्वों का महापर्व

दीपावली की रात्रि को यक्ष रात्रि भी कहा जाता है। वराह पुराण एवं वात्स्यायन के कामसूत्र में भी इसका उल्लेख है। बाद में शुभ्र ज्योत्सना के पर्व दीपावली से अनेक संदर्भ जुड़ते चले गए।ज्योति पर्व दीपावली अ

अष्टलक्ष्मी

Continue Readingअष्टलक्ष्मी

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में प्रकृति ने दिल खोल कर अपनी दौलत बिखेरी है। पूर्वोत्तर में पहले असम, अरुणाचल, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैण्ड, त्रिपुरा ये सात राज्य थे, इसलिए उन्हें ‘सप्त-भगिनी’ कहा जाता था; ल

पौराणिक संबंध

Continue Readingपौराणिक संबंध

सामान्य रूप से यात्रा पर जाना वहां के समाज में घुलमिल जाने की एक अनौपचारिक शिक्षा ही थी जिसने इस भूमि को युगों से आत्मीय, अक्षुण्ण, अभंग और एकात्म रखा है। ऐसे हमारे अनेक धागे पूर्वांचल के साथ जुड़े हुए हैं- सृष्टि उत्पत्ति के समय से, रामायण, महाभारत काल से। आज पूर्वांचल नाम से प्रचलित भूभाग देश का ईशान (मराठी में ‘ईशान्य’) -पूर्वोत्तर कोना है- ईश्वर की दिशा, जहां ईश्वर का निवास है ऐसा स्थान।

पूर्वोत्तर उपेक्षित क्यों?

Continue Readingपूर्वोत्तर उपेक्षित क्यों?

वर्तमान भारत सरकार की दृष्टि पूर्वोत्तर की तरफ सकारात्मक लग रही है, परन्तु त्रिपुरा को छोड़ कर शेष राज्यों की सरकारें ठीक से काम नहीं कर रही हैं। फिर विकास कैसे होगा? यही क्यों, शासकीय स्तर पर इतना भ्रष्टाचार है

पूर्वोत्तर की आस्थाएं

Continue Readingपूर्वोत्तर की आस्थाएं

भारत के सुदूर पूर्व में होने से उसे पूर्वोत्तर कहा जाता है।  इनमें से हर राज्य के किसी एकाध कबीले के आध्यात्मिक चिंतन पर भी गौर करें तो पता चलेगा कि पूरा भारत वर्ष किस तरह एक सूत्र में बंधा था।  

पूर्वोतर की समृद्ध साहित्य परंपरा

Continue Readingपूर्वोतर की समृद्ध साहित्य परंपरा

पूर्वांचल के सातों राज्योें में अनेक बोली भाषाएं हैं। अकेले आसाम में २०० से ज्यादा बोलियॉं बोली जाती हैं। इन सभी बोली भाषाओं में समृध्द साहित्य हैं। किन्तु इन अनेक भाषाओं को आज भी लिपि नहीं हैं। मौखिक परंपरा से ही यह भाषाएं आज इक्कीसवी सदी में भी जीवित हैं। इस समृध्द मौखिक साहित्य को छपवाकर उसका अनुवाद बाकी भाषाओं में करने का काम ‘‘साहित्य अकादमी’’ द्वारा किया जा रहा हैं.

पूर्वोत्तर में हिंदी

Continue Readingपूर्वोत्तर में हिंदी

विविधता में एकता भारतवर्ष की प्रमुख   विशेषता है। यह एकता धर्म, संस्कृति, राजनीति आदि में निहित है, तो विविधता इसकी बहुभाषिकता में परिलक्षित होती है। हमारे देश में लगभग १७१ भाषाएं एवं ५४४ बोलियां अस्तित्व में हैं। अनेकता में एकता के तार पिरोने के लिए हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद प्रदान किया गया।

सात बहनों की कहानी      

Continue Readingसात बहनों की कहानी      

      हिंदी साहित्य के छायावादी कवि श्री जयशंकर प्रसाद की इस कविता में हिमाद्री तुंग का सौंदर्य और ओजस्वी गुण का सुंदर वर्णन है। यह संदेश प्रसादजी की कविता में स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि हिमाद्री तुंग स्वतंत्र है। स्वप्रभा और समुज्जल का प्रतीक है। हमेशा उनकी ओर आगे बढ़ चले - बढ़ चले।

प्रकृति का अनमोल रत्न मेघालय 

Continue Readingप्रकृति का अनमोल रत्न मेघालय 

प्रकृति की अनुपम छटाओं से लबरेज मेघालय पूर्वांचल का महत्वपूर्ण राज्य है। राजधानी शिलांग में अनेक पर्यटन स्थल है। निकट ही चेरापूंजी विश्‍व में सब से अधिक बारिश वाला गांव है। कई पर्वत शिखर, सरोवर, गुफाएं हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जलवायु इतनी स्वास्थ्यप्रद कि लोग इसे पूर्व का स्विट्जरलैण्ड कहते हैं।

End of content

No more pages to load