चांद छूती महिलाएं

Continue Readingचांद छूती महिलाएं

महिलाएं आसमान छू रही हैं यह बात भी अब बहुत फीकी लगने लगी हैं क्योंकि आसमान को पार कर महिलाओं ने चांद को भी छू लिया है। महिलाएं दूज को जिस चांद की आरती उतारती थीं आज उन्होंने उस पर यान भेजकर यह सिद्ध कर दिया है कि वे केवल घर-गृहस्थी, धरती या आकाश ही नहीं चांद को भी नापने को तैयार हैं।

धागों से जुड़ता भारत

Continue Readingधागों से जुड़ता भारत

भारतीय कला विविध रूपों में प्रतिबिम्बित होती है। कभी चित्रों के रूप में कैनवास पर, कभी शिल्पों के रूप में दीवारों पर तो कभी कढ़ाई के रूप में कपड़ों पर। जितने राज्य उससे भी अधिक कढ़ाई के तरीके। परंतु इतनी विविधता में एकता यह झलकती है कि कश्मीर की कशीदाकारी दक्षिण के लोग पसंद करते हैं और उत्तर प्रदेश की बनारसी महाराष्ट्र की दुल्हनों को लुभाती है। ये धागे भारत को जोड़ते हैं।

भारत की मनमोहक लोक चित्रकलाएं

Continue Readingभारत की मनमोहक लोक चित्रकलाएं

घर के आंगन में रोज बनाई जाने वाली रंगोली से लेकर दीवारों पर आयोजन विशेष के आधार पर बनाए जाने वाले चित्रों तक, सब कुछ भारतीय लोककला का जीवंत प्रमाण है। आज भारत की ये लोककलाएं पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान के लिए जानी जाती हैं। मधुबनी हो, वार्ली हो या ईसर-गवरी के चित्र हों, सभी देखने वालों का मन मोह लेती हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति के चिन्ह

Continue Readingभारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति के चिन्ह

विश्वभर में जहां-जहां खनन का कार्य होता है, वहां-वहां भारतीय सभ्यता के प्रसार और विस्तार के चिन्ह मिलते हैं। भारतीय सभ्यता की प्राचीनता को जब वर्तमान से जोड़कर देखा जाता है तो हमें ज्ञात होता है कि विश्व के समस्त मानवों का उद्भव भारत से ही हुआ है।

उल्लू की राजनीति

Continue Readingउल्लू की राजनीति

उ- काहे का मार्गदर्शक मंडल! जिस मंडल में हम हैं उसके आभा मंडल में सब हैं। वो मंडल टूट गया तो समझो कि फिर मेरे आसपास कोई एक कौवा तक न फटकेगा। इसलिए बजुर्गियत की तो बात ही मत करो। अभी तो मैं जवान हूं। लीडर कभी बुजुर्ग नहीं होता। वो बुर्जुआ होता है।

जो बोएं सो काटें

Continue Readingजो बोएं सो काटें

हजारों व्यक्तियों की आशाएं, उम्मीदें पूरी करने हेतु, उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए ट्रेन अपनी तीव्र गति से चल रही थी। हर यात्री को अपने गंतव्य पर पहुंचने का इंतजार था। कोई अपने माता-पिता से मिलने जा रहा था तो कोई किसी विशेष काम से, कोई भ्रमण के लिए, जितने व्यक्ति उतने लक्ष्य।

भारत से इंडिया तक

Continue Readingभारत से इंडिया तक

शर्माजी कल बहुत दिनों बाद मिले। चेहरे का उत्साह ऐसा था मानो पूर्णिमा का चांद। मन बल्लियों से भी अधिक उछल रहा था। जैसे सावन की फुहार से सूखे ठूंठ में भी जान पड़ जाती है,

कृष्णदेव राय और विजयनगर साम्राज्य

Continue Readingकृष्णदेव राय और विजयनगर साम्राज्य

हम्पी के खंडहरों को देखकर ही गौरवशाली विजयनगर साम्राज्य की भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। इस्लामी आक्रमणकारी आंधी को रोक कर इस शक्तिशाली साम्राज्य को एक दुर्ग की भांति सुरक्षित रखने में महाप्रतापी राजा कृष्णदेव राय का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

दशम ग्रंथ एक परिप्रेक्ष्य

Continue Readingदशम ग्रंथ एक परिप्रेक्ष्य

गुरु गोविंद सिंह के दशम ग्रंथ उनकी साहित्यिक सूझबूझ और राष्ट्र-धर्म के प्रति उत्कट प्रेम को दर्शाते हैं। इन पौराणिक आख्यानों के माध्यम से उन्होंने निराकार ब्रह्म की प्रशंसा का गान भी किया।

कांग्रेस की हिंदू धर्म विरोधी मानसिकता उजागर

Continue Readingकांग्रेस की हिंदू धर्म विरोधी मानसिकता उजागर

गीता प्रेस के इस अत्यंत उदार व्यवहार के बाद भी कांग्रेस गीताप्रेस को सम्मान मिलने की तुलना गोडसे को सम्मान मिलने से करके अपनी ओछी और विकृत मानसिकता का परिचय दे रही है। इस सन्दर्भ में कांग्रेस नेता जयराम रमेश का ट्वीट आने के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस की खूब आलोचना हो रही है। जनमत कह रहा है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। एक यूजर ने लिखा कि, ”जब कभी भविष्य में भारत में कांग्रेस की वर्तमान राजनैतिक दुर्गति पर शोध ग्रंथ लिखे जायेंगे तब उसमें जयराम रमेश जैसे स्वनामधन्य नेताओं के योगदान पर पूरा चैप्टर होगा।“मोर कैथोलिक देन द पोप” शिरोमणि जो वैयक्तिक रूप से एक म्युनिसीपैलिटी का चुनाव जीतने की भी हैसियत नहीं रखते।”

गीता प्रेस’ के सम्मान का विरोध करके क्या प्राप्त होगा?

Continue Readingगीता प्रेस’ के सम्मान का विरोध करके क्या प्राप्त होगा?

विरोधियों की मानसिकता देखिए कि वे गीता प्रेस के सम्मान को स्वातंत्र्यवीर सावरकर और नाथूराम गोडसे से जोड़कर एक यशस्वी प्रकाशन के संबंध में भ्रम और विवाद खड़ा करना चाहते हैं। ओछे राजनीतिक स्वार्थ के चलते  स्वातंत्र्यवीर सावरकर के प्रति चिढ़ ने नेताओं को इतना अंधा कर दिया है कि उन्हें इस महान क्रांतिकारी के संबंध में न तो महात्मा गांधी के विचार स्मरण रहते हैं और न ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विचार एवं कार्य। वितंडा खड़ा करने में आनंद लेनेवालों को समझना होगा कि तथ्यों के घालमेल से सच नहीं बदल जाएगा। सच यही है कि गीता प्रेस के प्रति प्रत्येक भारतीय के मन में अगाध श्रद्धा है। गीता प्रेस ने अपनी अब तक की अपनी यात्रा में भारतीय संस्कृति की महान सेवा की है।

कांग्रेस क्यों कर रही है हिन्दू संस्कृति का अपमान

Continue Readingकांग्रेस क्यों कर रही है हिन्दू संस्कृति का अपमान

महात्मा गांधी श्रीमद् भगवतगीता को अपनी मां मानते थे, ऐसे में उस श्रीमद् भगवतगीता के नाम पर स्थापित प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना बहुत ही सटीक निर्णय है। सोचिए जिस संस्थान का उद्देश्य यह हो कि भगवान की सेवा में कभी भी किसी तरह का विघ्न न आए और समाज के अंतिम व्यक्ति तक धर्म की पुस्तकें पहुँचें। उसका बेजा विरोध करना संकीर्ण मानसिकता की देन है। राजनीति करने के कई दूसरे मुद्दे हो सकते है, लेकिन गीता प्रेस पर उंगली उठाकर एक बार फिर कांग्रेसियों ने भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति का अपमान किया है। 

End of content

No more pages to load