प्रकृति की ऊर्जा का प्रतीक हैं, देवी दुर्गा
मनुष्य का जीवन भीतरी और बाहरी द्वंदों से भरा हुआ है। जब व्यक्तित्व ही अंतर्विरोधों से भरा है, तब किसी भी व्यक्ति या समाज का विरोधाभासी होना स्वाभाविक है।
मनुष्य का जीवन भीतरी और बाहरी द्वंदों से भरा हुआ है। जब व्यक्तित्व ही अंतर्विरोधों से भरा है, तब किसी भी व्यक्ति या समाज का विरोधाभासी होना स्वाभाविक है।
नए भारत का निर्माण करते समय हम यह न भूलें कि आधुनिक विज्ञान को स्वीकार करते हम अपने जीवन मूल्यों को खो दें। हम उस प्रवाह में बह न जाए, जिसमें अपनी गरिमा, अपनी धरोहर से चूक जाए। इसके लिए अध्यात्म के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो सकता। प्रस्तुत है नए भारत, हमारी संस्कृति और विरासत पर भागवताचार्य भूपेंद्र पंड्या से हुई विशेष बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-
सन 2027 और उसके बाद भी कुंभ मेले का केंद्र बिंदु मूल रामकुंड यानी रामघाट ही रहने वाला हैं। रामकुंड एवं लक्ष्मण कुंड को एकरूप किया गया है। इस कुंड का और विस्तार किया जाएगा। शाही मार्ग को चौड़ा करके न्यूनतम 30 मीटर यानी 100 फुट बनाया जाएगा। गोदावरी मैया तक पहुंचने वाली अन्य सड़कें भी चौड़ी कर जाएगी।
इस माह प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो रहा है। विश्व के इस विराट मेले के लिए उ.प्र. सरकार ने चाकचौबंद व्यवस्था की है। यातायात से लेकर बिजली-पानी, शिविरों, स्नान-घाटों की बेहतर व्यवस्था है। वसुधैव कुटुंबकम् का भान रखने वाला भारत ही सच्चे अर्थों में बिना राग-द्वेष के पुरी दुनिया का…
स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय युवक दिवस पर आवाहन करते हैं, ए मेरे युवा बंधुओ और बहनो, अध्यात्म के मार्ग पर आइये और अपनी साधना से- शक्ति से पूरे विश्व में सकारात्मक क्रांति का उद्घोष करें। चलो अपने अंदर के विवेकानंद को जगाते हैं और एक सम्पूर्ण,…
गीता के क्रियायोग को जनता तक पहुंचाने का कार्य पिछले ५० वर्षों से सद्गुरु मंगेशदा क्रियायोग फाउंडेशन निरंतर कर रहा है। मानवी मन के इस तरह उपचार के साथ समाज के दीनदुखियों की सेवा का कार्य भी चल रहा है। इस तरह मन और शरीर दोनों की सेवा का अद्भुत कार्य फाउंडेशन कर रहा है। उसके कार्यों के बारे में पल्लवी अनवेकर से हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत है।
गीता मनुष्यमात्र को आतंकवाद, भोगवाद, पर्यावरण ह्रास, बैरभाव, ईर्ष्या आदि से बचा सकती है। संप्रदाय निरपेक्ष शाश्वत सिद्धांतों को मानव धर्म के तौर पर सिखा सकती है। आने वाले समय मेंं विश्व भगवद्गीता को मानवता की विवेक ग्रंथ के रूप में स्वीकार कर लें तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में भयभीत एवं हताश हुए अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता सुनाई। महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत महाकाव्य का गीता एक हिस्सा है। ‘अर्जुन को युद्ध करने हेतु प्रेरित करना’- यही कृष्ण का उद्देश्य था..
आइये, हम सब छोटे-बड़े, धनिक और गरीब सब इस दीपोत्सव में सम्मिलित हों। फिर किसी भी प्रकार के अंधकार को स्थान ही कहां रहेगा? हे भारत मां, हम सब को यही आशीष दो, कि ऐसे सात्त्विक सर्वकल्याणाकारी प्रकाश के पुंज हम बनें और दीपोत्सव सार्थ करें। हमें असत् से सत् की ओर, अंधकार से तेज-प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरत्व की ओर, अशाश्वत से शाश्वत की ओर ले जाइये। हमारी भारतीय संस्कृति सकारात्मक है इसलिए शाश्वत, तेजयुक्त सत्य की ओर जाने की आकांक्षा, प्रार्थना, प्रेरणा हमारे जीवन की विशेषता है। प्रकाश अर्थात् खुलापन और तमस
मानव सभ्यता के विकास के साथ ही धर्म और राजनीति एक-दूसरे के हाथ में हाथ डाले चल रही है। दोनों में संघर्ष भी शाश्वत है। धर्म बड़ा या राजनीति? राजनीति का माने राज्य की नीति या महज जोड़-तो़ड़ या कुटिलता? धर्म और राजधर्म का क्या अर्थ है? प्रस्तुत है विश्व भर के प्रमुख धर्मों के मुख्य सूत्रों और राजनीति पर प्रभाव का यह विहंगम अवलोकन।धर्म और राजनीति का चोली-दामन का सम्बंध है। धर्म का अर्थ महज कर्मकाण्ड नहीं है, अपितु वह नैतिकता का अधिष्ठान है। धर्म का अर्थ है आचार-व्यवहार, सदाचार की स्थापना, व्यक्ति और समाज के बीच एक
उत्तर प्रदेश का कोना-कोना पर्यटन केन्द्र है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले प्रत्येक नगर और प्रत्येक गांव को पर्यटन का केन्द्र माना जा सकता है; क्योंकि यहां गांव, नगर, जनपद सब की अपनी अलग विशेषताएं हैं। ऐतिहासिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात
तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों ही नदियों का संगम है। इसके समान तीनों लोकों में न तो अभी तक कोई तीर्थ हुआ है और न ही होगा। इसकी अनेक विशेषताएं वेदों, पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथों में बताई गई हैं। प्रयाग को प्रजापति की यज्ञभूमि
नामदेव महाराष्ट्र के पहले ऐसे संत हैं जिन्होंने विट्ठल नाम भक्ति का परचम महाराष्ट्र से बाहर भी फहराया। गुजरात, राजस्थान होते हुए पंजाब तक पहुंच कर संत नामदेव ने जो भी कार्य किया उसे महान राष्ट्रीय कार्य ही कहा जा सकता है। सिक्खों के धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ स