निर्णायक कदम
मई का अन्तिम सप्ताह था। गर्मी अपनी चरम सीमा पर थी। पशु-पक्षी, राहगीर, किसान, सभी गर्मी की भीषणता से त्रस्त, आकुल-व्याकुल थे। ऐसे में, मैं दोपहर का भेजन करने के बाद थोड़ी देर आराम करने के उद्देश्य से कूलर चलाकर बिस्तर पर लेटा ही था कि अचानक कॉलवैल की आवाज सुनकर चौंक उठा।