निर्णायक कदम

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मई का अन्तिम सप्ताह था। गर्मी अपनी चरम सीमा पर थी। पशु-पक्षी, राहगीर, किसान, सभी गर्मी की भीषणता से त्रस्त, आकुल-व्याकुल थे। ऐसे में, मैं दोपहर का भेजन करने के बाद थोड़ी देर आराम करने के उद्देश्य से कूलर चलाकर बिस्तर पर लेटा ही था कि अचानक कॉलवैल की आवाज सुनकर चौंक उठा।

सिनेमा देखने का बदलता स्वरूप

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पुराने जमाने में आराधना (1969), जंजीर (1973), शोले (1975) आदि कई ‘सुपर हिट’ फिल्मों को देखने के लिये चार दिन पहले से दो घंटे लाइन में खडे रहने में लोग अपने आप को धन्य मानते थे और जब उन्हें अपनी मनचाही फिल्म की टिकिट मिल जाती थी तो ऐसी खुशी होती थी मानो कोई ईनाम मिल गया हो।

नूतन शिव

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स्वामी विवेकानंद जी का जन्म पौष कृष्ण सप्तमी 12 जनवरी, 1863 के दिन सुबह ब्राह्म मुहूर्त में हुआ । मकर संक्रमण का पवित्र दिन था वह, उनके जन्म के पूर्व भुवनेश्वरी देवी ने ऐसा सपना देखा था कि भगवान शिव उनके गर्भ से पुत्र के रूप में अवतरित होंगे।

क्या कार्टूनों की आड़ में अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार किया जा रहा है?

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पहले उस कार्टून के बारे में थोड़ा जान लिया जाय। जादबपुर विश्वविद्यालय के प्रो. अंबिकेश महापात्र ने ममता बनर्जी पर बनाये गये अपने कुछ कार्टूनों को इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ पर लगाया और उन्हें अपने कुछ मित्रों को भी पोस्ट किया।

पौराणकिता से गूंथा पूर्वोत्तर भारत

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पूर्वोत्तर के सभी प्रांत-असम, अरुणांचल, नागालैंंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय देश की जनता और राजनेताओं द्वारा सदा उपेक्षित रहे हैं।

जैनों के तीर्थस्थान – मंदिर शिल्पकला के सुंदर नमूने

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जैन दर्शन निकीथकवादी है। उसके फलस्वरुप तीर्थस्थानों का इस दर्शन में अर्थ कुछ भिन्न है। शाश्वत तीर्थ, महातीर्थ दावं अतिशय तीर्थ इस प्रकार उनके तीर्थस्थानों का वर्गीकरण किया जाता है।

हंसमुख चेहरा-मन विराट, ऐसे हैं भजन सम्राट

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दीपावली के अवसर पर हर घर के सामने प्रज्ज्वलित होते दीप अपने प्रकाश के माध्यम से यही संदेश प्रसारित करते हैं कि इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही संदेश हमारा। भजन सम्राट का यह संदेश अगर हर भारतीय व्यक्ति अच्छी तरह से जान गया तो हर घर में हर दिन मनेगी दीपावली।

प्रेम और भक्ति के लिए मीरा का प्रतिरोध

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जिन्होंने देश को अन्याय-अत्याचार के घने अंधकार से मुक्त करके न्याय-विकास के प्रकाश से प्रकाशित किया है। अपनी रचनाओं से जिन्होंने साहित्य को तो आलोकित किया ही है, अपने अटल विद्रोह से जिन्होंने समाज को न्याय, समता, निष्ठा और अदम्य साहस की उजली राह दिखायी।

ताकि आलोक की साधना हमारा संस्कार बने

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हमारी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम लंका विजय के पश्चात् सीता, लक्ष्मण व वानर भालू योद्धाओं के साथ अयोध्या वापस लौटे तो अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाकर अपनी प्रसन्नता उजागर की. तभी से उस अवसर की स्मृति में प्रतिवर्ष दीप-

संघ के आंदोलन और उनके परिणाम

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संघ यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। अर्फेाी माँगों की फूर्ति के लिये आंदोलन करना यह ना तो उसका प्रकृति धर्म है, ना स्वीकृत कार्य सिद्धि के लिये उफयुक्त औजार।

मोदी बनाम गांधी परिवार

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प्रचार माध्यमों ने राहुल गांधी या नरेन्द्र भाई मोदी जैसी चर्चा शुरू कर रखी है। इस चर्चा की शुरुवात न संघ ने की है, न भाजफा ने और न ही खुद नरेन्द्र भाई मोदी ने। इसका सारा श्रेय प्रचार माध्यमों को ही देना होगा।

लोकपाल, काला पैसा एवं अण्णा-बाबा का आन्दोलन

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पिछले वर्ष लगभग इन्हीं दिनों देश का वातावरण अण्णा हजारे के आन्दोलन भर गया था। ऐसा वातावरण निर्माण हो गया था कि लगता था मानों देश में कोई नई क्रान्ति होने वाली है। उस आन्दोलन का बड़ा प्रभाव सरकार पर पड़ा था।

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