ममता की डोर
“जब रिश्तों में स्वार्थ की भावना निहित हो जाती है और अहंकार की तूती बजने लगती है तो रिश्तों की डोर ऐसी टूटती है, कि स्नेह के मोती लाख समेटने पर भी नहीं सिमट पाते।”
“जब रिश्तों में स्वार्थ की भावना निहित हो जाती है और अहंकार की तूती बजने लगती है तो रिश्तों की डोर ऐसी टूटती है, कि स्नेह के मोती लाख समेटने पर भी नहीं सिमट पाते।”
प्रधानमंत्री मोदी ने महज चार साल की अवधि में विदेश नीति को एक नई धार दी है। वैश्विक स्तर पर भारत को नया स्वर दिया है। विभिन्न देशों से सम्बंधों में तेजी से सुधार के कारण भारत के आर्थिक विकास की ठोस नींव भी डाल दी है। यह सब रोमांचक है।
प्रकृति की देन हर जीव के प्रति संवेदना और करुणा जगाना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। देश का भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड यही काम कर रहा है। मोदीजी के सत्ता में आने के बाद बोर्ड अभूतपूर्व रूप से गतिशील बना है। बोर्ड के कार्यों, जीवदया, भविष्य की योजनाएं आदि पर बोर्ड के सदस्य गिरीशभाई शाह के साथ हुई विस्तृत बातचीत के महत्वपूर्ण अंश यहां प्रस्तुत है।
मायानगरी मुंबई की खासियत है कि यहां जो आता है, यहीं का होकर रह जाता है। उत्तर भारतीय भी यहां की आबोहवा में इतने विलीन हो चुके हैं कि परायापन कब विदा हो चुका यह उन्हें भी पता नहीं चला। मुंबई ने उन्हें बहुत कुछ दिया और उन्होंने भी मुंबई को अपनी मेहनत से खूब दिया। शेष महाराष्ट्र में भी इससे जुदा स्थिति नहीं है।
मोदी सरकार ने अपने चार सालों के कार्यकाल में बैंकिंग और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अनेक काम किए हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम परिलक्षित भी होने लगे हैं। विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अपनी रिपोर्टों में इसे स्वीकार भी किया है।
मोदी सरकार के आने के बाद दिव्यांगों के लिए कानून पारित हुआ। उनका आरक्षण बढ़कर 4% हुआ। भले ही यह राज्य का विषय हो परंतु हर राज्य में दिव्यांगों की योजनाओं और उन पर अमल के लिए पुनरावलोकन किया गया। इतने बड़े पैमाने पर पहली बार ऐसा काम हुआ है। असल में ‘दिव्यांग’ शब्द भी मोदी की ही देन है। दिव्यांगों, उनकी समस्याओं, इस क्षेत्र में कार्य करनेवाली संस्थाओं आदि पर मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन श्री कमलेश कुमारपाण्डेय से हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत है-
पिछले चार वर्षों में कोयले के क्षेत्र ने अभूतपूर्व रफ्तार पकड़ी है। पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी और बेहतर परिवहन से, मोदी सरकार एक ऐसा कोयला क्षेत्र विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो हमारे लोगों के लिए एक कुशल, किफायती और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य को सुनिश्चित करता है।
केंद्रीय बजट 2018 ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख माध्यम के रूप में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की पहचान की है। बजट में आधारभूत संरचना प्रावधान जीडीपी में वृद्धि, कनेक्टिविटी को मजबूत करने, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
वर्तमान केंद्र सरकार के कार्यकाल में खास तौर से विज्ञान और तकनीक के मामले में देश ने जो कुछ हासिल किया है, वह उल्लेखनीय है। अंतरिक्ष बाजार में देश ने अपनी ताकत दिखा दी है। कैशलेस लेनदेन में भारी इजाफा हुआ है। अब देश आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से हथियारों के विकास में भी कदम रख रहा है।
त्रिपुरा ने कम्युनिस्टों का 25 साल पुराना शासन ध्वस्त कर दिया है। पूर्वोत्तर में यह एक चमत्कार ही है। वहां अब भाजपा की सरकार है। प्रस्तुत है त्रिपुरा की समस्याओं, विकास योजनाओं, कम्युनिस्टों की स्थिति, 2019 के लोकसभा चुनाव और राजनीति के बारे में मुख्यमंत्री बिप्लव देब से हुई बेबाक बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-
कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को लेकर मोदी सरकार की पूरी कोशिश यही है कि किसान परेशान नहीं रहे। इसीको ध्यान में रखते हुए आम बजट 2018-19 के केंद्रबिंदु में किसानों को रखा गया। इरादा है सन 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना।
2019 का आम चुनाव टेक्नॉलॉजी और सोशल मीडिया की रणभूमि पर लड़ा जाएगा। नेता, राजनीतिक दल और चुनावों को कवर करने वाला मीडिया जितनी जल्दी इसे समझ जाए उतना ही अच्छा है। डिजिटल क्रांति का यह चमत्कार है।