असामाजिक काँग्रेस

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कांग्रेस इसे जाने इसलिए सोशल मीडिया के उपयोग करने वाले 10 जनपथ के समक्ष फलैशमॉब कर सकते हैं और सोनिया गांधी की अंतरात्मा को पुकार सकते हैं, ‘क्यों यह कोलावेरी.... क्यों यह कोलावेरी...?’

चक्रव्यूह में फंसा लोकफाल

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चरित्रसम्फन्न होना धर्म है और उसका क्षरण अधर्म है यह बात नई फीढी तक फहुंचाने की आवश्यकता है। यह बहुत लम्बा रास्ता है, लेकिन इसके सिवा कोई विकल्फ दिखाई नहीं देता।

पितांबरी: एक कामयाब उद्योग समूह

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अपने गुणवत्ता पूर्ण उत्पादनों के माध्यम से ‘पितांबरी’ ने आज न केवल सम्पूर्ण भारत वर्ष में अपितु विदेशी बाजारों और ग्राहकों के मन में भी महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

कस्तूरी मृग

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भारत में कश्मीर से अरुणाचल तक उत्तरी भाग में ऊंचाई के स्थान वे होते हैं। शैवाली वनस्पतियों, फूल‡पत्तों पर वे जीते हैं। कस्तूरी के लिए इस मृग की निर्मम हत्या की जाती है। उसके प्राकृतिक निवास का ध्वंस हो रहा है। फलस्वरूप उनकी संख्या कम होती जा रही है।

भारतीय स्थापत्य कला का सुन्दर वर्णन करती पुस्तक

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सामान्यत : पहाड़ों में स्थित कन्दराओं को गुफा कहा जाता है। बहुधा इन गुफाओं का निर्माण प्राकृतिक रूप से होता है। प्रागैतिहासिक काल में वर्षा, ताप व शीत से बचाव के लिए मनुष्य व अन्य जीव-जन्तु इन गुफाओं में शरण लेते थे।

पटकनी-पटखनी

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वैज्ञानिक उन्नति की अंधाधुंध दौड़ में आदमी प्रकृति को भी पटखनी देने की चुनौती दे रहा है। लेकिन प्रकृति भी कोई कम नहीं। कभी ज्वालामुखी, भूकंप, सुनामी तो कमी आंधी तूफान, बाढ़, सूखा, भयंकर गरमी और ठंड के जरिए आदमी जाति को पलटकर पटखनी देती है। इसलिए प्रकृति से पंगा नहीं लेने का। क्या?

गोरक्षा-आन्दोलन और वात्सल्य

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कार्टून देखकर मैं थोड़ा हंस पड़ा था, किन्तु आंखें छलछला आयी थींइस अनुभव को लेकर मैंने कहानी लिखी थी, ‘गाय, बन्दूक और बच्चा।’ यह अंश भी मेरे उपन्यास ‘काली और धुआं’ में समाहित है।

पोस्ट ऑफिस के खिलाफ याचिका खारिज

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कोई भी व्यक्ति कितना भी जानकार क्यों न हो वह सभी नियम और कानून नहीं जान सकता। यद्यपि कानून की जानकारी न होना कोई बचाव नहीं माना जाता लेकिन यदि किसी योजना से संबद्ध सरकारी कर्मचारी और नागरिक दोनों ही कानून से अनभिज्ञ हों तो उसका खामियाजा नागरिक को ही भुगतना पड़ता है।

फ्रफुल्ला दहाणुकर : सुकून की चित्रकारी

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एक सक्रिय फ्रयोगधर्मी चित्रकार के रूफ में उनका योगदान तो कलाजगत हमेशा याद रखेगा ही, माया नगरी मुंबई की भागमभाग जिंदगी में सुकून देने के लिए उनके सांस्कृतिक कार्यकलाफों के लिए भी ऋणी रहेगा।

खइके पान बनारस वाला…

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कुछ दिन पहले मैं एक परिचित के घर गया था। बचपन में उनके घर मैं अक्सर जाया करता था। उस परिवार की एक महिला के प्रति मेरा ध्यान अक्सर जाता था।

गोमुखासन से पाएं जोड़ों के दर्द से मुक्ति

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स्वास्थ रक्षा में योगासनों का विशेष महत्व है। इनसे त्रिदोषों का संतुलन बना रहता है। दोषों के असंतुलन से ही रोग जन्म लेते हैं। जिनमें वातज रोग अधिक कष्टदायक होते हैं। क्योंकि इनमें काफी तकलीफ होती है। जैसे-संधिवात, आमवात, वातरक्त आदि। इनसे निजात पाने में योगासन प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन्ही योगासनों में से एक है गोमुखासन, जिससे निश्चित ही जोड़ों के दर्द से मुक्ति मिल जाती है।

हमारे जीवन पर विवेकानंद का प्रभाव: मेरे भीतर के विवेकानंद!

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आचार्य तुलसी ने मुझे हाथ पकड़कर एक ऐसे महानुभाव के पास ला खड़ा किया, जिन्होंने मुझे मेरे भीतर के विवेकानंद को फिर से तुष्ट करने की राह दिखायी, मुझे स्वामी विवेकानंद के मुझाये रास्तों पर चलने के उपाय बताये और हताशा-निराशा के गहन अंधकार से बाहर निकाला। ये थे आचार्य तुलसी के ही शिष्य आचार्य महाप्रज्ञ।

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