योग और ज्ञानाधारित अर्थनीति
मानसिक स्वास्थ्यसामाजिक स्वास्थ्य और सुरक्षा ये तीनों मानवीय जीवन में एक दूसरे से जुडी हुई अवस्थाएं हैं। इनका अलग-अलग विचार नहीं किया जा सकता। जब व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है तो वह अच्छी घटनाओं में से
मानसिक स्वास्थ्यसामाजिक स्वास्थ्य और सुरक्षा ये तीनों मानवीय जीवन में एक दूसरे से जुडी हुई अवस्थाएं हैं। इनका अलग-अलग विचार नहीं किया जा सकता। जब व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है तो वह अच्छी घटनाओं में से
यह शेर हरिवंश राय बच्चन जी की बहुत प्रसिद्ध कविता का है। बच्चन जी ने बहुत बारीकी और मार्मिकता से वर्णन किया है कि आज इंसान प्रकृति के द्वारा प्रदत्त हवा और पानी जैसी वस्तुओं को बेचने में भी संकोच नहीं करता तो उसके द्वारा आविष्कारित ज्ञान को बेचने में वह क्यों संकोच करेगा।
प्राचीन ग्रंथ खंगालकर प्रेक्षाध्यान को खोज लाकर, उसका पुनरुद्धार कर, उसमें नए प्रयोग जोड़कर उसे वर्तमान युगानुकूल बनाकर आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने संपूर्ण मानव समाज का जो हित किया है, वह अनन्य है, अतुलनीय है। ध्यान की इस विशिष्ट पद्धति के अनंत लाभ हैं। शर्त सिर्फ यह है कि इसे उचित पद्धति से साधा जाए।
विपश्यना साधना स्वयं के चित्त की शुद्धि साधने की विद्या है। यह सजगता की पराकाष्ठा है- अर्थात शरीर और चित्त के प्रपंच का उसके सही गुणधर्म स्वभाव के स्तर पर पूर्ण परिज्ञान प्राप्त कर लेना। यह संकल्प-विकल्परहित यथाभूत ज्ञान दर्शन की साधना है
नेपाल में अप्रैल में आए विनाशकारी महाभूकम्प से पूरा देश तो दहल ही गया, राहत और निर्माण कार्य का विशाल कार्य अब मुंह बाए खड़ा है। इस त्रासदी से उबरने और पुनर्निर्माण में प्रदीर्घ समय लगने वाला है।
सन १९९५ मैं अपने जीवन के अत्यंत कठिन दौर से गुजर रहा था। मेरी इंजनियरिंग की डिग्री, पारिवारिक पृष्ठभूमि, २० वर्ष की भ्रष्टाचारमुक्त नौकरी इत्यादि कुछ भी मेरे काम का नहीं था। इस निराशा और अंधकारयुक्त जीवन के बीच मुझे मेरी बहिन ने आशा की किरण दिखाई। उसने मुझे इगतपुरी स्थित विपश्यना केन्द्र में जाने का सुझाव दिया। उसने वहां के कुछ लोगों के अनुभव बताये, जिन्हें सुनकर मैंने वहां जाने का निश्चय किया।
वन का राजा सिंह अत्यंत ही बलशाली, क्षिप्र और भयानक होता है। वन का विशालतम प्राणी हाथी भी अतुल बलशाली होता है। किंतु हम आश्चर्य से अवाक् होकर देखते हैं, यही दोनों प्राणी सर्कस में रिंगमास्टर के इशारों पर नाचते हैं, जबकि रिंगमास्टर एक मनुष्य होने के नाते शक्ति के संदर्भ में इनकी तुलना में नगण्य होता है।
सूर्य नमस्कार एक गतिशील व्यायाम प्रकार है। अगर एक एक स्थिति में कुछ देर तक याने ३ श्वास प्रश्वास या एक ओंकार बोलते तक रुके तो वे १२ योगासन होते हैं। व्यक्ति का स्वास्थ्य देख कर उन्हें कैसे सूर्य नमस्कार करना चाहिए यह शिक्षक ही बता सकता है।
यह भी सच है कि केवल मांस पेशियों को सशक्त करने, शक्ति संपन्न होने जैसे एकांगी विचार भी शरीर-विकास की दृष्टि से योग्य नहीं हैं। शरीर के साथ साथ मन को भी समर्थ बनाने वाली पद्धति का अवलंबन करना होगा और ऐसी पद्धति योग ही है।
पुरातन काल में मानव का रहन-सहन प्रकृति के अनुसार होता था। जीवन सुचारू रुप से चलता था। मन शांत होता था, सेहत भी तंदुरुस्त रहती थी। तकनीकी प्रगति के कारण सबका जीवन जीने का तरीका बदल गया। इससे अनेकों तनाव, रोग बढ़ने लगे। मन:शांति नहीं रही। शारीरिक, सामाजिक, मानसिक स्तर पर मानव को अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ने लगा। उन परेशानियों को दूर करने में उसकी शक्ति खर्च होने लगी।
अति प्राचीन काल से भारत में ज्ञान के छह दर्शन माने गए हैं। ये हैं सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा। परंपरा इसका उल्लेख ‘षट्दर्शन’ शब्द से करती है। भारत में हजारों वर्षों से योग दर्शन प्रचलित है। वर्तमान काल में योग का जो ज्ञान उपलब्ध है वह पतंजलि ऋषि द्वारा प्रवर्तित किया गया है।
ध्यानयोग के बारे में चर्चाएं तो बहुत हैं , लेकिन इसके बारे में विस्तार से समझने का अवसर बहुत कम ही मिलता है। फिर अनेक भ्रांतियां भी फ़ैली हुई हैं। महान योगी सद्गुरु गोरखनाथ द्वारा रचित विज्ञान भैरव तंत्र हमें वास्तविक ध्यान में उतरने के लिए पूरा आकाश उपलब्ध करवाता है। इसका विस्तार ही ध्यान सम्बंधित अनेक भ्रांतियों को दूर कर देता है। विज्ञान भैरव तंत्र के रहस्य में प्रवेश करवाता यह लेख पाठकों के लिए प्रस्तुत है।