खिताब पाने का उद्देश्य समाजसेवा – पिंकी राजगडिया

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परम्परागत मारवाड़ी परिवार से आई पिंकी राजगडिया का मिसेज इंडिया व मिसेज यूनिवर्स तक का सफर रोमांचक और कड़े परिश्रमों से भरा सफर है। प्रस्तुत है इस सफर के विभिन्न पहलुओं पर हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश, जो इंगित करते हैं कि भारतीय महिलाएं ठान लें तो हर क्षेत्र में सफलता के झंड़े गाड़ सकती हैं।

घरेलू सौंदर्य प्रसाधनों से लेकर मेकअप तक…

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अगर आप स्वस्थ हैं, आपकी काया कोमल और कांतिमय है, तो आपको अधिक मेकअप की जरूरत नहीं, क्योंकि यह मेकअप स्थायी नहीं होता। अतः अधिक मेकअप से परहेज करें। घरेलू प्रसाधनों का अधिक उपयोग कर अपने आप को सदाबहार बनाए रखें।

जादू… कजरारे नैनों का

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किसी भी नवयौवना का श्रृंगार काजल के बिना अधूरा होता है। बिना काजल लगाए अगर वह आइने के सामने भी खड़ी हो जाती है तो आईना ही उससे पूछता है “आज आंखें बीमार सी क्यों हैं?” और यह वैश्विक सत्य है कि कोई भी नवयौवना आइने की बात नहीं टालती।

हेयर स्टाइल

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नई-नई हेयर स्टाइल हमारे मूड को काफी बदल देती है। इसलिए हमें समय-समय पर अपने हेयर स्टाइल को लेकर प्रयोग करते रहना चाहिए, जो कि अधिकतर महिलाएं और पुरुष करते ही हैं, एकदम अलग और आकषर्क दिखने के लिए...

आईना झूठ न बोले

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मैं आईना...वैसे मेरा और आपका रिश्ता तो सदियों पुराना है। मुझे देखे बिना आपका एक दिन भी गुजरता नहीं, और मुझ से बातें किए बिना आपको चैन भी नहीं पड़ता। तो अगर कभी श्रृंगार में कोई कमीं रह जाए तो खरी-खोटी मुझे ही सुननी पड़ती है, और कभी आप अति सुंदर लगें तो डिठूला कभी-कभी आपके साथ मुझे भी लग जाता है। तो ऐसा है हमारा रिश्ता सदियों पुराना। आज इसी रिश्ते की एक कहानी सुनाने जा रहा हूं... मेरी और उसकी कहानी...

रतजगे की रात दीवाली

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व्रत-पर्व त्योहारों की बात करना भारतीय लोकमन की, लोक जीवन की बात करना है। भारतवर्ष ऊपर से भले ही गरीब दिखे पर भीतर से इसका मन बहुत सम्र्फेन है। गरीब से गरीब आदमी भी खुशी मनाना चाहता है, इसलिए कि इस खुशी की हिलोर समूची जिन्दगी को छुए। भारत में…

भारतीय सौंदर्य का दर्शन कराने वाली फैशन

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भारतीय सौंदर्य किसी प्रदर्शन का मोहताज नहीं है यह हमारे भीतर से ही उत्पन्न होता है, हमारी संस्कृति योग, ध्यान और अध्यात्म की है जिसका प्रभाव एक सच्चे भारतीय के चेहरे पर स्पष्ट झलकता है।

अंधेरे पर उजाले की जीत

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देश भर मे केरल ही ऐसा प्रदेश था, जहां पहले दिवाली नहीं मनाई जाती थी, क्योंकि मान्यता है कि बलि राजा केरल का था और विष्णु ने वामन अवतार लेकर उसका नाश किया था। लेकिन अब सबकुछ बदल चुका है। वहां भी घर-आंगन दीयों से सजे दिखाई देते हैं।

पैठणी के नए अवतार

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महाराष्ट्र की पैठणी साड़ी रंग, बेलबूटे और कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है। पैठण के अलावा येवला भी इसका मुख्य केंद्र है। यह साड़ी महिलाओं को मोहक तो बना ही देती है, पुरानी होने पर बच्चियों के ड्रेस सिलवाने के काम भी आती है। फैशन और उपयोग दोनों साथ-साथ...

फैशन और सौंदर्य

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फैशन और सौंदर्य को जुदा नहीं किया जा सकता। जब दुनिया बर्बर अवस्था में थी तब प्राचीन भारत में एक समृद्ध संस्कृति थी। परिधानों, अलंकारों, सौंदर्य प्रसाधनों में हमारा कोई मुकाबला नहीं था। प्रस्तुत है फैशन शो के वैश्विक संदर्भ के साथ भारत में वस्त्रालंकारों, सौंदर्य के पैमाने एवं सौंदर्य-प्रसाधनों की एक झलक।

कुछेक गज की साड़ी

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“कुछेक गज की साड़ी में कितना कुछ समाया  होता है! बचपन में मां का आंचल, बड़े होने पर मां की साड़ियां पहनकर एक सौंदर्य रमणा स्त्री दिखने की इच्छा, और वक्त के बीतते, किसी के नाम की साड़ी पहनना, सजना- संवरना, और फिर जीवन का सबसे खूबसूरत पल- किसी नन्हीं सी जान को अपनी इसी साड़ी के आंचल से सुरक्षित रखना, बिल्कुल जैसे मां किया करती थीं...”

फैशन मतलब कुछ हट के…

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लम्बे समय तक एक ही तरीके से चलने वाले घटनाक्रम के कारण उत्पन्न होने वाली बोरियत को दूर करने के लिए जो कुछ भी नया किया गया वह फैशन हो गया। फिर चाहे वह साड़ी की जगह सलवार कमीज पहनना हो, धोती की जगह पैंट पहनना हो, प्लेन कपड़ों की जगह चेस्ट प्रिंट कपडे पहनना हो, आंखों पर गॉगल लगाना हो, हाई हील के सैंडल पहनना हो, पर्स में 4-5 बैंकों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड रखना हो, साल में एक बार परिवार के साथ विदेश का दौरा करना हो, हफ्ते में एक बार होटल में जाना हो या फिर स्मार्ट फोन के लेटेस्ट वर्जन यूज करना हो।

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