नमामि नर्मदे

Continue Readingनमामि नर्मदे

 रामघाट के प्रपातों को देखकर सहस्रधारा का स्मरण हो आया। अंतर यह है कि सहस्रधारा के प्रपात दूर-दूर तक बगरे हैं, जबकि यहां के प्रपातों का रेवड़ एक ही जगह इकट्ठा हो गया है। घोड़े के टाप के आकार की एक विस्तृत सपाट चट्टान से असंख्य जलधाराएं गिरती हैं। मोर जैसे पंख फैलाकर नाचता है, उसी तरह नर्मदा ने यहां अपनी जलधाराएं फैला दी हैं।

‘गुलाबी गैंग’ की मर्दानगी

Continue Reading‘गुलाबी गैंग’ की मर्दानगी

अंधकार मानव के जीवन में कई रूपों में आता है। कभी-कभी यह अंधेरा इतना घना होता है कि इसे मिटाने के लिये दीप नहीं मशाल की आवश्यकता महसूस होने लगती है। बुंदेलखंड में सन 1962 की दीपावली को जन्मीं संपत पाल ने अपने जीवन को एक ऐसी ही मशाल बनाया। इस मशाल ने न सिर्फ अपने बल्कि अन्य कई महिलाओं के जीवन का अंधेरा दूर किया।

ज्योतिषां ज्योति :

Continue Readingज्योतिषां ज्योति :

दीपमालिका प्रकाश का पर्व है। घर-आंगन, गली और चौबारा-सर्वत्र दिये जलाकर आलोक के प्रति आस्था व्यक्त करने का यह पावन प्रसंग प्रतिवर्ष हमारे सम्मुख आता है और ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ (हे प्रभु! हमें अन्धकार से उजाले की ओर ले चलो -) की प्रार्थना अनायास मुखरित कर जाता है।

तेल युद्ध

Continue Readingतेल युद्ध

सारी दुनिया इस समय तेल के पीछे दीवानी है। तेल के लिए चल रहा यह युद्ध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह का है। यह इसलिए है क्योंकि सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था तेल पर ही निर्भर है।

माउंट एवरेस्ट- बेस कैम्प ट्रेक

Continue Readingमाउंट एवरेस्ट- बेस कैम्प ट्रेक

मनोरम निसर्ग के बीच पगडंडी से चलना आरंभ हुआ। आगे क्या होगा, कैसे होगा, चढ़ाई के कितने कष्ट होंगे आदि शंकाएं थीं ही। कुछ देर चलने पर बाईं ओर कलकल बहती दूधकोसी नदी दिखाई दी।

दर्द-ए-मलिका मीना कुमारी

Continue Readingदर्द-ए-मलिका मीना कुमारी

पाकीजा फिल्म में राजकुमार का यह संवाद याद आता है? पाकीजा याने शुद्ध, पवित्र! एक नर्तकी के जीवन में एक ऐसा गबरू जवान आता है, जो उससे ‘रूहानी’ मुहब्बत करता है।

अध्यात्मिक आनंद की यात्रा- मानसरोवर

Continue Readingअध्यात्मिक आनंद की यात्रा- मानसरोवर

हिमालय के बर्फाच्छादित शिखर मुझे हमेशा निमंत्रण देते रहे हैं। फिर भी, कैलास मानसरोवर जाऊंगा यह कभी सोचा ही नहीं था। लेकिन, अचानक कैलास मानसरोवर जाने का संयोग जुड़ गया। इज्मीर आर्ट फेस्टिवल, तुर्कस्तान के लिए मेरा चयन हुआ। इस प्रदर्शनी के लिए मेरा मौसेरा भाई सतीश याज्ञिक भी साथ था।

चुनाव और मतदाता

Continue Readingचुनाव और मतदाता

सन 2014 में, याने अब से 6-7 महीनों के बाद लोकसभा का चुनाव होगा। लोकसभा का चुनाव इस वर्ष के अन्त में होने वाले विधान सभाओं के चुनाव के साथ ही हो, यह मांग भारतीय जनता पार्टी ने की है।

संगीतमय सड़कें

Continue Readingसंगीतमय सड़कें

कोई माने या न माने, पर मुझे संजय की तरह दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गयी है और मैं भली भांति देख पा रहा हूं कि निकट भविष्य में क्या होने वाला है।

सत्यं, शिवं, सुंदरम्

Continue Readingसत्यं, शिवं, सुंदरम्

ब्रह्म सत्य है, पवित्र है, सुंदर है। ब्रह्म का ही दूसरा रूप है यह सृष्टि। इसलिए सृष्टि का हर रूप भी उतना ही सत्य, पवित्र और सुंदर है। इस सृष्टि के पांच तत्व हैं। हमारे मनीषियों ने इन्हें पृथ्वी, आप, तेज, वायु और आकाश के रूप में परिभाषित किया है।

फिल्म जगत में रोज ही दिवाली

Continue Readingफिल्म जगत में रोज ही दिवाली

दिवाली और फिल्म जगत का नाता बहुत ही घनिष्ठ, बहुरंगी और पुराना है जो कि पर्दे पर अर्थात ऑनस्क्रीन तथा पर्दे के बाहर अर्थात ऑफस्क्रीन दोनों ओर देखने को मिलता है।

लोकतंत्र, राजनीति और संघ

Continue Readingलोकतंत्र, राजनीति और संघ

भारतीय लोकतंत्र इस समय अत्यंत नाजुक दौर से गुजर रहा है। भारत को धार्मिक आधार पर विभाजन स्वीकार कर ही स्वतंत्रता लेनी पड़ी। सम्राट अशोक का साम्राज्य वर्तमान भारत से अधिक विस्तीर्ण था। लेकिन इसके बाद भारत में इतने विस्तीर्ण और एकीकृत भूप्रदेश पर राज करने वाली अन्य राजसत्ता नहीं आई।

End of content

No more pages to load