सामाजिक शक्ति केन्द्र बनें गोशाला

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विगत 25 वर्षों से गोसेवा का कार्य नियमित रूप से करनेवाले गिरीश भाई शाह ने समस्त महाजन संस्था के माध्यम आदर्श गांव की संकल्पना को न केवल सबके सामने प्रस्तुत किया है वरन वे स्वावलंबी गोशाला और स्वावलंबी गांव बनाने के लिए रोड मैप भी तैयार कर चुके हैं। गोपालन और गोसंरक्षण के संदर्भ में उनके कुछ मौलिक विचार हैं जो उन्होंने इस साक्षात्कार के माध्यम से सभी के समक्ष प्रस्तुत किए हैं।

संघ स्वावलम्बन और रोजगार

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का स्पष्ट मत है कि मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, श्रम प्रधान तथा विकेंद्रीकरण एवं लाभांश का न्यायसंगत वितरण करनेवाले भारतीय आर्थिक प्रतिमान (मॉडल) को महत्त्व दिया जाना चाहिए, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों को संवर्धित करता है।

आयुर्वेद आदर्श चिकित्सा प्रणाली

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विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जब हम अपने देश भारत की स्वास्थ्य से जुड़ी विरासत का चिंतन करते हैं तो हमें स्वास्थ्य की एक समृद्ध चेतना का अतीत का संज्ञान होता है। आरोग्य से संबंधित हमारी प्राचीन विरासत सर्वजन हिताय और सार्वजनिक स्वास्थ्य से अभिप्रेरित है।

वैचारिक पुनर्जागरण

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वामपंथी साहित्यिक पत्रिका हंस के सालाना आयोजन में आमंत्रण पत्र पर विचारक गोविन्दाचार्य, नक्सल समर्थक नेता वरवरा राव और अरूंधती राय का नाम छप चुका था। बावजूद इसके गोविन्दाचार्य के साथ वरवरा राव और अरूंधती राय ने मंच साझा करने से इंकार कर दिया। जबकि राय को हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के साथ मंच साझा करने में कोई आपत्ति नहीं थी।

जागरण सनातनी हिन्दू समाज का

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अपनी धर्म-संस्कृति पर लंबे कालखण्डों से हो रहे आक्रमणों, छल-छद्मों के प्रहारों को अपनी नियति और कमजोरी मानकर पीड़ा का दंश झेल रहा हिन्दू समाज अब ठीक उस तरह से जागृत हुआ प्रतीत होता है, जैसा रामायण काल में जामवंत द्वारा हनुमान जी को उनकी अपार शक्ति की याद दिलाने के बाद उनके द्वारा विशाल समुद्र को पार करने के द्वारा प्रदर्शित किया गया था।

सीयराम मय सब जग जानी

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अयोध्या को आध्यात्मिक नगरी का स्वरूप इसलिए भी मिला कि यहां के अधिसंख्य मंदिरों में राम नाम संकीर्तन की परम्परा अनवरत 24 घंटे चलती रही है। इस कीर्तन की परम्परा से अयोध्या में आने वाले ऐसे लोगों के लिए आवास और खाने पीने की व्यवस्था की जाती थी तथा कुछ राशि उनकी निजी आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति के लिए दी जाती थी। अयोध्या में यह कभी नहीं पूछा जाता था कि कीर्तन करने वाले लोगों की क्या जाति है।

हरल्ला चिन्तन

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जब-जब चुनाव होते हैं, तब एक पार्टी जीतती है। दूसरी तीसरी चौथी पांचवी हारती है। जो हारते हैं, वे मन ही मन जानते हैं कि हार कितनी बुरी होती है पर उसी मन को समझाते हैं कि चुनाव में हार जीत तो चलती ही रहती है क्योंकि विजेता तो एक ही होता है न। जो जीता वही सिकन्दर टाइप से। जीत के हजार बाप हो जाते हैं और हार बिचारी बेबाप सी, अनाथ लावारिस-सी किसी अंधेरे कोने में बिसूरते रहती है

देश की आत्मा को झकझोरती द कश्मीर फाइल्स

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‘द कश्मीर फाइल्स’ वामपंथी एजेंडे पर काम करने वाले बॉलीवुड के मुंह पर करारा तमाचा है। अब दर्शक एक तरफा नैरेटिव बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। ये उन फिल्म निर्माताओं, जो अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर अपना एजेंडा सेट करते हैं, को चेतावनी भी है कि अब बदलते भारत के तेवरों का ध्यान रखें।

काल के गर्भ में पंजाब का भविष्य

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पंजाब चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद खालिस्तानी आतंकवादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक लेटर घोषित मुख्यमंत्री भगवंत मान के नाम जारी किया। पत्र के मुताबिक आम आदमी पार्टी को खलिस्तान समर्थकों का वोट और फंडिंग दोनों मिला है। यह फंडिंग अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के सिखों ने दी है।

गोवंश के प्रति समाज अपना दायित्व समझे!-सुनील मानसिंहका

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पिछले लगभग तीन दशकों से गोसेवा के क्षेत्र में कार्य करनेवाली गो सेवा अनुसंधान केंद्र, देवलापार नामक संस्था अब केवल गो वंश को बचाने वाली गोशाला तक सीमित नहीं रही है, वरन अब वह एक बहुत बड़ा अनुसंधान केंद्र बन गई है, जो कि अन्य गोशालाओं के लिए आदर्श है और मार्गदर्शक भी है। प्रस्तुत हैं पिछले लगभग 25 वर्षों से इस केंद्र को सुनियोजित रूप से चलाने वाले संचालक सुनील मानसिंहका से हुई चर्चा के कुछ प्रमुख अंश-

युद्ध से चुनौतियां बढ़ने के आसार

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भारत द्वारा रूस से सस्ती दर पर कच्चे तेल की खरीद से रूपये को मजबूती मिलेगी और भारतीय विदेशी मुद्रा के भंडार में भी कमी नहीं आएगी। साथ ही, इससे व्यापार घाटे की खाई भी ज्यादा चौड़ी नहीं होगी। भारत की इस कूटनीतिक पहल से अंतरराष्ट्रीय बाजार और दुनिया के देशों में भारत की साख में बढ़ोत्तरी होने की संभावना भी बढ़ी है।

चुनाव परिणामों के निहितार्थ

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पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर केवल उन्हीं लोगों को हैरत हो सकती है, जिन्होंने जमीनी स्थिति का सही आंकलन नहीं किया होगा। राजनीतिक पार्टियों और उनके समर्थकों को भले हैरत में डालने वाले हो लेकिन निष्पक्ष पर्यवेक्षकों के लिए नहीं।

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