मातृत्व की महिमा
‘जीवन में तीन चीज कभी नहीं हो-1.छोटे बच्चों की मां कभी न मरे। 2. जवानी में पति कभी नहीं मरे। और 3. बुढापे में पत्नी न मरे। ये तीनों आर्य सत्य हैं जिन्हें नकारना असम्भव है।’
‘जीवन में तीन चीज कभी नहीं हो-1.छोटे बच्चों की मां कभी न मरे। 2. जवानी में पति कभी नहीं मरे। और 3. बुढापे में पत्नी न मरे। ये तीनों आर्य सत्य हैं जिन्हें नकारना असम्भव है।’
“सुमी, लौट आओ! अब मैं तुम्हें पलकों पर बिठा कर रखूंगा। पुलक, मेरे लाल- तुम दोनों के बिना मैं अधूरा हूं। ...समय के ताल में यादों के पत्थर डूब रहे हैं- गुड़ुप्, गुड़ुप् ...”
प्राचीन काल में मारीच और सुबाहू नाम के दैत्य सरदार अपनी राक्षसी सेना और महारानी ताड़का के साथ जंगल में रहते थे। जब कोई ऋषि मुनि, सन्यासी या कहें सनातन, वैदिक आर्य तप करता था, वे उसे तंग करते थे। कुछ सेक्युलर राजा, महाराजा उनके भी सहायक रहे होंगे, इसीलिए वे हिंदुत्व के पर्याय आर्य धर्म के सर्वनाश के लिए जंग करते थे।
‘निरीह’ मानवीय भावों के कुशल चितेरे, शब्दशिल्पी डॉ.दिनेश पाठक‘शशि’ का नव प्रकाशित कहानी संग्रह है। इस संग्रह में कुल बाईस कहानियां संग्रहीत हैं। ये सभी कहानियाँ आकाशवाणी से प्रसारण को ध्यान में रखते हुए रची गई हैं इसलिए इनका आकार, समय सीमा के अनुरूप है। इन कहानियों में ‘निरीह’ शीर्षित कहानी का क्रमांक दस है परन्तु कथा कृति की सभी कहानियों में कहीं न कहीं पात्र निरीहता की स्थिति में अवश्य द़ृष्टिगोचर होते हैं।
आईपीएल 2020 के सेशन में कई नए बल्लेबाज और गेंदबाज देश को मिलने की उम्मीद है; हालांकि कोरोना वायरस के चलते मैच अब 15 अप्रैल से प्रस्तावित हैं।
12हवीं शताब्दी में कर्नाटक में महात्मा बसवेश्वर हुए, जो एक क्रांतिकारी विचारों वाले संत, कवि एवं समाज सुधारक के रूप में विख्यात हुए। अक्षय तृतीया का दिवस, उनका जयंती दिवस है। इस अवसर पर प्रस्तुत है संत बसवेश्वर द्वारा किए गए सुधार कार्यों का पुण्यस्मरण...
बालासाहेब ठाकरे के विचारों एवं नीतियों को तिलांजलि देकर जिस तरह से उद्धव ठाकरे ने अपनी कट्टर विरोधी पार्टियों कांग्रेस-राकांपा से हाथ मिलाया है, वही उनको धूल में मिला सकते हैं। कांग्रेस-राकांपा उद्धव ठाकरे के समक्ष आए दिन चुनौतियां पेश कर रहे हैं। यह बात उन्हें जितनी जल्दी समझ में आ जाये यह उनके लिए अच्छा है। बहरहाल वह इससे कैसे निपटते हैं यह उनके राजनीतिक अनुभव व रणकौशल पर निर्भर है।
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के इस्तीफे से ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान और भाजपा की बल्ले-बल्ले है। अब वहां कमल खिलने के आसार हैं। इसका प्रभाव कांग्रेस शासित अन्य राज्यों पर भी पड़ सकता है।
जोगेंद्रनाथ मंडल की दलित-मुस्लिम राजनीतिक एकता के असफल प्रयोग व उनके द्वारा खुद को कसूरवार समझे जाने और स्वयं को गहरे संताप व गुमनामी के आलम में झोंक देने के परिदृश्य को बाबासाहेब ने संपूर्णतः जान लिया था और यही अध्याय उनके जीवन भर की राजनैतिक यात्रा में झलकता रहा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा से भारत अमेरिका संबंधों में कई नए आयाम जुड़े हैं जिन्हें हम आने वाले समय में सम्पूर्ण रूप से फलीभूत होते हुए देखेंगे। इससे भारत अमेरिका के बीच संबंध ठोस बहुआयामी धरातल पर खड़े हो चुके हैं।
दिल्ली तप ही रही थी शाहीन बाग से, विधान सभा चुनावों से, जेएनयू से, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से, निर्भया के न्याय से और कोरोना से। ...ये तपिश धीरे-धीरे बढ़ती गई और पहुंचती गई दिल्ली से देश की हर गली तक।
यह जीत एक उम्मीद जगाती है कि एक मां की जिद, एक पिता का हौसला और सीमा कुशवाहा जैसे वकीलों का जूनून जब एक साथ मिलता है, तो निर्भया की तरह देश की हर बेटी को न्याय मिल सकता है।