व्यवस्था परिवर्तन जरूरी

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विजयादशमी विजय का पर्व है। संपूर्ण देश में इस पर्व को दानवता पर मानवता की, दुष्टता पर सज्जनता की विजय के रूप में मनाया जाता है। विजय का संकल्प लेकर, स्वयं के ही मन से निर्मित दुर्बल कल्पनाओं द्वारा खींची हुई अपनी क्षमता और पुरुषार्थ की सीमाओं को लांघ कर पराक्रम का प्रारंभ करने के लिए यह दिन उपयुक्त माना जाता है।

मखमली शाल

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बहुत दिनों के बाद मेरा गांव जाना हुआ। वहां जाने पर मुझे पता चला कि मेरा लंगोटिया यार पीताम्बर भी आया हुआ है। उसके चाचा का तीन-चार दिन पहले ही देहांत हुआ है।

केजरीवाल का ‘उत्फात मूल्य’

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‘बनाना रिफब्लिक’ इन दिनों चर्चा का विषय है। राबर्ट वाड्रा के मुंह से यह मुहावरा निकला। जो वाड्रा से उम्र में बड़े हैं वे उन्हें ‘देश का दामाद’ कह सकते हैं। जो छोटे हैं वे उन्हें ‘देश के जीजाजी’ कहे तो हर्ज नहीं।

आंतकी का अन्त

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आखिरकर महाराष्ट्र शासनने, बडी गोपनीयता रखते हुये 26/11 का नृशंस आतंकी अजमल आमिर कसाब को सुबह 7.30 बजे येवरडा जेल मे दि. 21/11 को फांसी पे लटका दिया।

छठ पर्व का महत्व

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‘छठ पर्व’ सूर्य आराधना का पर्व है। इस संसार मे सूर्य ही प्रत्यक्ष देवता हैं। सूर्य से ही इस पृथ्वी लोक में प्राणियों का अस्तित्व है। सूर्य अगर दीर्घकाल तक अस्त रहें तो यह संसार प्राणी विहीन हो जायेगा, क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही ‘आक्सीजन’ बनता है, जो कि जीवन का आधार है।

प्रेम की ‘यश’ गाथा

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यश चोपड़ा अर्थात हिंदी फिल्म जगत की वैभवशाली और अष्टपहलू यात्रा के एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व। 1958 में प्रदर्शित ‘धूल का फूल’ से लेकर ‘जब तक है जान’ (2012) तक यश चोपडा द्वारा 22 फिल्मों का निर्देशन किया गया। इस संख्या को नजरअंदाज करके उनके कार्यों का मूल्यांकन करना अधिक श्रेयसकर होगा।

बैंक-सहकारिता के पुरोधा ‘भालचन्द्र भांगे’

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आज दुनिया में जहां लोग एक छोटा-सा काम करके भी नाम पाने की इच्छा रखते हैं, वहीं अपने कामों का कही भी प्रचार किये बिना कामों को निरंतर आगे बढ़ाने वाले लोग विरले ही होते हैं। भालचंद्र श्रीनिवास भांगे ऐसे ही विरले लोगों में से एक हैं।

बाला साहेब ठाकरे दूरदर्शी, संघर्षशील नेता

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नयी और पुरानी पीढ़ी में अन्तर हमेशा रहता आया है। किन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सदैव युवा बने रहते हैं। उनकी बढ़ती आयु उन्हें वृद्ध नहीं बना सकती। उन्हें उम्र छिपाने के लिए झूठ नहीं बोलना पड़ता। ऐसे व्यक्ति इतिहास में सबके स्नेही बनें रहते हैं।

अभूतपूर्व, अद्वितीय अटल

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आज जब देश भर में विश्वास का संकट हो और नेतृत्व की प्रामाणिकता खतरे में फड़ी हो, तब एक ऐसा व्यक्ति जो, विगत कुछ वर्षों से घर के बाहर न निकला हो और सार्वजनिक तौर फर उसकी कोई उफस्थिति कहीं दर्ज न हो, यदि अभी भी लोकप्रियता और जनता के विश्वास की कसौटी फर खरा उतरता हो, तो फिर यह मानना ही फड़ेगा कि वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं हो सकता।

संवेदनशील देशप्रेमी अटल जी

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भारतीय राजनीति के आकाश पर राज करने वाले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे राजनेता हैं, जिनके प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने से प्रधानमंत्री की कुर्सी की शोभा बढ़ गई।

बहुरंगी व्यक्तित्व

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भाजपा-शिवसेना गठबन्धन की महाराष्ट्र में सरकार बनी और कार्यकाल पूरा किया। केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार में भी शिवसेना शामिल थी। भाजपा के प्राय: बड़े नेता समय-समय पर बाला साहब से भेंट करने मुंबई आते रहते थे। लगभग दस वर्ष पूर्व अरूण जेटली ने यह लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव के अनुरूप बाला साहब के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है।

अकबर बीरबल की नई कहानी

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शाहंशाह, जिल्ले सुभानी, बादशाह अकबर छोटे दरबार में बिराजे थे। वहां एक समस्या पर विचार चल रहा था। बात स्वयं बादशाह ने ही आरंभ की थी। उस दरबार-कक्ष के बीच पानी से कुछ भरी बाल्टी और लोटा रखा था।

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