होली के रंग बापू के संग
‘मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा कि मैंने गांधीजी को भारत की वास्तविकता बता दी। वे होली के रंग देखना चाहते थे, मैंने बदरंग दिखा दिए परन्तु मैं भी क्या करता?”
‘मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा कि मैंने गांधीजी को भारत की वास्तविकता बता दी। वे होली के रंग देखना चाहते थे, मैंने बदरंग दिखा दिए परन्तु मैं भी क्या करता?”
होली तो नेताओं का प्रिय त्योहार होता है जैसे गब्बर का हुआ करता था। नेताजी बोले, देखिए! हमारी यह पॉलिसी है कि हम किसी बाहरी आदमी के समक्ष अपने सीनियर का नाम अपनी ज़ुबान पर नहीं लाते। अतः गब्बर की बात मत करिए।
ब्रज में होली का रंग बसंत पंचमी से लेकर चैत्र कृष्ण दशमी तक पूरे 50 दिनों तक समूचे ब्रज के कण-कण में छाया रहता है। धुलेंडी के दिन सारे देश में होली समाप्त हो जाती है; परंतु ब्रज में इसके 10 दिन बाद तक भी होली किसी न किसी रूप में निरंतर चलती रहती है।
उत्तराखंड अब पहाड़ी राज्य नहीं बल्कि बांधों का राज्य बन रहा है, और सरकार की अनदेखी केदारनाथ एवं चमोली जैसी आपदाओं का कारण बन रही है। इन योजनाओं का पर्यावरणीय आकलन ठीक से नहीं किया जाता और पारिस्थितिकी से लगातार छेड़छाड़ कर विनाश को बुलावा दे दिया जाता है।
हिंदी सिनेमा के 108 वर्ष के इतिहास में यूं तो सैकड़ों अभिनेता-अभिनेत्रियां हुए हैं जिन्होंने अपने अभिनय से हिंदी फिल्मों में हास्य को जीवित रखा। ये ऐसे लोग थे जिनका चेहरा याद आते ही आदमी मुस्कुरा देता था। हास्य का यह रूप समय के साथ बदलता रहा है।
कसानों के नाम पर चल रहे तथाकथित आंदोलन ने मोदी सरकार और भारत की समस्या तो बढ़ा ही दी है। एक छोटा सा फोड़ा आज नासूर बन गया। लेकिन देरसबेर इसकी शल्यक्रिया तो करनी ही होगी। हम अनवरत काल तक राजधानी दिल्ली की आंशिक ही सही घेरेबंदी को जारी रहने नहीं दे सकते। वैसे इस आंदोलन का भविष्य अब केवल जारी रहने तक ही सीमित है।
महाशिवरात्रि को पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध कुछ ऐसी स्थिति में होता है कि मानव में आध्यात्मिक ऊर्जा सहज ही ऊपर की ओर उठती है इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने पूरी रात जागरण कर उत्सव मनाने की प्रथा-परंपरा स्थापित की।
‘सहज हास्य’ से ‘असहज हास्य’ और वहां से ‘अश्लीलता’ और वहीं से ‘फूहड़ता’ और फिर उसके नीचे ‘असहनीयता’ की ओर ढलान की यात्रा कर रहे हास्य के इस दौर में कोई सोच भी नहीं सकता कि कभी हिंदी सिनेमा में हास्य की सहज-सरस-निर्मल धारा बहा करती थी।
इस वर्ष का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को है। इस वर्ष की थीम है- स्त्री और चुनौतियां। पिछले लगभग सौ सालों में महिलाओं ने संघर्षरत रह कर अपने अधिकार हासिल किए हैं। भारत में ऐसी महिलाएं भी हैं, जिन्होंने लीक से हट कर उपलब्धियां हासिल की हैं।
एक दौर था जब ममता बनर्जी बोलती थीं तो पश्चिम बंगाल के लोग गंभीरता से उनकी बातों को सुनते थे पर अब ममता के संबोधन पर हंसी - मजाक करते हैं। ...तो क्या ममता के व्यंग्य भरे सुर राज्य में भाजपा की बढ़ती ताकत का परिणाम है या हार का भय? कारण अपनी रैलियों में ममता बनर्जी कभी ‘हम्बा-हम्बा’ करती नजर आती हैं तो कभी ‘छी-छी..’ करतीं।
नए केंद्रीय बजट में ऐसे अनुकूल प्रावधान हैं, जिनसे कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभावों से बैंकिंग क्षेत्र और भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत जल्द उबारने में मदद मिलेगी। स्टार्टअप, उद्यमिता, कृषि, रोजगार और बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती के लिए उठाए जा रहे कदमों से अर्थव्यवस्था और अधिक गतिशील होगी।
माइक्रो ब्लॉगिंग सोशल मीडिया साइट्स ने संवाद के स्थान पर अफवाह के तंत्र को मजबूत करने का काम किया है। देश को आर्थिक और सामाजिक तौर पर कमजोर बनाने वाले षड्यंत्रों का हिस्सा बनने का काम किया है। यह अच्छा हुआ कि हमारा देश समय रहते चेत गया है।