संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक वनमाली सप्रे का स्वर्गवास

Continue Readingसंघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक वनमाली सप्रे का स्वर्गवास

जबलपुर के यादव कालोनी निवासी प्रोफे. अखिलेश सप्रे के पिता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक वनमाली सप्रे का ८९ वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया. वे आजीवन संघ की विचारधारा के प्रति समर्पित रहें और अनेकों दायित्वों का उन्होंने निष्ठापूर्वक निर्वहन किया. उनके संघकार्य से प्रेरित होकर हजारों की संख्या में युवा स्वयंसेवक बने और संघकार्य में सहभागी बने. आपातकाल के दौरान उन्होंने कारावास की सजा भी भुगती और इस दौरान उन्हें अनेकों प्रकार की यातनाओं का भी सामना करना पड़ा. आपातकाल की संघर्ष गाथा का उन्होंने अपने द्वारा लिखित ‘आप-बीती’ पुस्तक में बखूबी वर्णन किया है. हिंदी विवेक मासिक पत्रिका द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में उन्होंने आपातकाल के अत्याचार को मार्मिक रूप से चित्रित किया है. उनके अग्रज कृष्ण राव सप्रे संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहें. साथ ही सदानंद सप्रे व प्रसन्न सप्रे वर्तमान में भी संघ कार्य में संलग्न है. वनमाली जी का मृदुल व्यवहार एवं निश्छल स्वभाव के कारण संघ परिवार में वे बहुत ही लोकप्रिय थे.

महावीर ने समाज में संस्कारों का किया बीजारोपण – नम्रमुनि महाराज

Continue Readingमहावीर ने समाज में संस्कारों का किया बीजारोपण – नम्रमुनि महाराज

तीर्थंकर जैसे महापुरुषों और माता-पिता के जो उपकार भूल जाता है उसका पतन होना तय है और जो स्मरण रखता है वह उन्नति के पथ पर आगे बढ़ता है. सम्पत्ति नहीं, अपितु संस्कार श्रेष्ठ है. जब पूरी दुनिया भौतिकता की ओर भाग रही थी तब महावीर ने अपना राजपथ छोड़कर त्याग का महत्व बताया और अपने शुद्ध आचरण एवं आदर्श से समाज में पुन: संस्कारों का बीजारोपण किया. यह उद्बोधन हिंदी विवेक प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक के विमोचन समारोह के दौरान राष्ट्रसंत परम गुरुदेव नम्रमुनि महाराज साहेब ने दिया.

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक का पुणे में विमोचन

Continue Readingहिंदी विवेक प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक का पुणे में विमोचन

भगवान महावीर के २५५० वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में हिंदी विवेक मासिक पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक का पुणे में विमोचन समारोह संपन्न हुआ. जैन तपस्वी उपाध्याय प. पू. प्रवीण ऋषि जी महाराज और रा. स्व. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर जी के करकमलों द्वारा विशेषांक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर, हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर, सुहाना प्रवीण मसालेवाले के डायरेक्टर विशालकुमार राजकुमार चोरडिया, पोपटलाल ओसवाल एवं राजेंद्र बाठिया उपस्थित थे.

‘हिंदू’सूत्र से जुड़ा है हमारा समाज – डॉ. मोहन भागवत

Continue Reading‘हिंदू’सूत्र से जुड़ा है हमारा समाज – डॉ. मोहन भागवत

एक आक्रमण होने के बाद हम सावधान हो गए, ऐसा नहीं हुआ. पिछले २ हजार वर्षों में बारम्बार कोई न कोई आता है और हमें गुलाम बनाता है. हर बार हमने वहीँ गलती की. हर बार कोई घरभेदी (गद्दार) ही धोखा देता आया है, यह रोग हमारे मूल में है. इसका निदान हुए बिना देश सुरक्षित नहीं रह सकता. हम कौन और हमारे कौन? इस सम्बंध में देश में ज्ञान का अभाव है. ‘हिंदू’ सूत्र के आधार पर हम जुड़े हुए है. अपने धर्म-संस्कृति पर अडिग रहकर श्रेष्ठ आचरण करने पर अपनी चुनौतियों से पार पाते हुए हम विश्व को भी मार्ग दिखा सकते है. यह वक्तव्य पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने साप्ताहिक विवेक द्वारा प्रकाशित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – हिंदू राष्ट्र के जीवन उद्देश्य की क्रमबद्ध अभिव्यक्ति’ नामक ग्रंथ के विमोचन समारोह के दौरान दिया.

कर्तव्य पथ के कर्मठ यात्री… रामभाऊ नाईक

Continue Readingकर्तव्य पथ के कर्मठ यात्री… रामभाऊ नाईक

 यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के प्रति किन्ही नेताओं की अटल निष्ठा का दावा करना हो तो आप बेशक राम नाईक को शामिल कर सकते हैं। वे न सिर्फ संगठन के प्रति निष्ठावान रहें हैं बल्कि अपने दायित्वों और नीति नियमों के प्रति भी उनका विश्वास अपूर्व रहा है। पता नहीं कैसे पर दिन ब दिन गंदी होती जा रही राजनीति में भी रामभाऊ बेदाग रहे हैं। तीन बार विधायक और पांच बार सांसद रहे वे, वह भी मुंबई ‌शहर की घनी आबादीवाले उत्तर मुंबई जैसी सीट से! इतने बड़े क्षेत्र का मानस संभालकर भी रामभाऊ ने वैधानिक दायित्व की बारीकियों का लगातार अध्ययन और प्रयोग किया। वैधानिक बारिकियां समझने-समझाने में वे माहिर है। समस्याएं हल होने तक धैर्य से लगे रहने, कामकाज, प्रशासकीय और जीवन में अनुशासन का अनुपालन करने, विषयों का अध्ययन करके उन्हें उठाने... आदि विविधांगी आयामों का ताना-बाना साधे रहने का कमाल रामभाऊ ने कर दिखाया है। श्री अटलबिहारी बाजपे‌यी ने एक बार कहा ‌था कि ‘सही समय पर कुशलता से विषय उठाने का गुण, समयसूचकता और नियमों का उपयोग करने की जो सिध्दता राम नाईक में है, वह सब में नहीं होती।’

दिव्यांग कल्याणकारी संस्था का पुरस्कार समारोह सम्पन्न

Continue Readingदिव्यांग कल्याणकारी संस्था का पुरस्कार समारोह सम्पन्न

हाल ही में दिव्यांग कल्याणकारी संस्था द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य माननीय श्री सुहासराव हिरेमथ, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रदीप दादाराव, मुख्य अतिथि सांसद डॉ. मेधा ताई कुलकर्णी, पुणे विश्वविद्यालय सीनेट की सदस्य और एमएनजीएल की प्रबंध निदेशक श्रीमती बागेश्री ताई मंठाळकर उपस्थित थीं।

सामाजिक परिवर्तन में संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है – डॉ. मोहन भागवत जी

Continue Readingसामाजिक परिवर्तन में संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है – डॉ. मोहन भागवत जी

सरसंघचालक जी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम हर काम आउटसोर्स करते हैं, ठेका निकालते हैं. जो काम हमें स्वयं करना चाहिए उसकी अपेक्षा हम ठेका देकर अन्य लोगों से करते हैं. घर के सामने कूड़ा उठाने के लिए लोगों को रखते हैं, जो अपना काम है उसके लिए व्यवस्था निर्माण करते हैं. उसी प्रकार देश का कार्य करने के लिए भी नेताओं को ठेका देते हैं और अपेक्षा करते हैं कि उन्हें सभी काम करने चाहिए, यह व्यवस्था ठीक नहीं है.

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन

Continue Readingहिंदी विवेक प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन

डॉ. मदन गोपाल वार्ष्णेय जी द्वारा लिखित और हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘रजनीगंधा’ पुस्तक का विमोचन समारोह पुणे में संपन्न हुआ. रा. स्व. संघ के अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया. इस दौरान मंच पर पूर्व वाइस चांसलर जीबी यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ. आदित्य कुमार मिश्रा, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक प्राध्यापक नाना साहेब जाधव, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमोल पेडणेकर और डॉ. प्रवीण दबडघाव आदि उपस्थित थे।

स्वामी गोविंददेव गिरी द्वारा रविंद्र घाटपांडे सम्मानित

Continue Readingस्वामी गोविंददेव गिरी द्वारा रविंद्र घाटपांडे सम्मानित

महाराष्ट्र के पुणे में गीताभक्ति अमृत महोत्सव का भव्य-दिव्य आयोजन किया गया है, जिसमें राष्ट्र-धर्म के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले ७५ गणमान्य जनों का सम्मान किया गया. इनमें स्नेहल प्रकाशन के संस्थापक रवीन्द्र घाटपांडे का नाम भी शामिल है, जिन्हें राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव गिरी जी महाराज के करकमलों द्वारा गौरव पत्र और रामलला की प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया. इस शुभ अवसर पर रवीन्द्र घाटपांडे ने अपने मनोभाव व्यक्त करते हुए कहा कि ‘यह मेरे जीवन का सबसे भाग्यशाली पल है और आलंदी में लगभग ५० हजार लोगों की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में सम्मानित होना मेरे लिए गौरवशाली क्षण है. इसे मैं अपने जीवन की सार्थकता मानता हूं. 

संघ के वैचारिक आधार श्री गुरुजी

Continue Readingसंघ के वैचारिक आधार श्री गुरुजी

राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु श्री गुरुजी के दूरगामी प्रखर विचार आज भी प्रासंगिक हैं। जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय तथा गोवा को मुक्त कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहीं। श्री गुरुजी के वैचारिक शस्त्र से शत्रुओं को सबक सिखाया जाना चाहिए।

वरिष्ठ प्रचारक श्री रामभाऊ बोंडाले का स्वर्गवास

Continue Readingवरिष्ठ प्रचारक श्री रामभाऊ बोंडाले का स्वर्गवास

अपने स्कूली जीवन के दौरान अमलनेर में वे रा. स्व. संघ से जुड़े। 1939 में प्रथम वर्ष पुणे में, द्वितीय वर्ष विदर्भ में, तृतीय वर्ष 1948 में उन्होंने पूर्ण किया। संघ प्रतिबंध के बाद चंद्रपुर जिला प्रचारक के रूप में उन्हें दायित्व मिला। पुणे के प्रथम वर्ष में पू. डॉ. हेडगेवार की बौद्धिक कक्षाओं को सुनने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ। रामभाऊ एक वरिष्ठ व्यक्तित्व रहे हैं जिन्हें संघ के छह सरसंघचालकों को सुनने, देखने, बोलने और उनके साथ संघकार्य करने का अवसर मिला है। एक मजेदार किस्सा है, संघ मुख्यालय से रेशम उद्यान तक कार्यक्रम के लिए कार में यात्रा करते समय वह गुरुजी की गोद में बैठे हुए थे।1948 से 1982 तक उनका मुख्यालय चंद्रपुर में था। जब वे जिला प्रचारक, विभाग प्रचारक थे तो वे डॉ. भागवत के साथ ही रहते थे। वर्तमान पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी ने रामभाऊ को बचपन से ही देखा है। उनसे जुड़ी यादों का भण्डार मोहनजी के पास भरा पड़ा हैं।

लालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न पुरस्कार से होंगे सम्मानित

Continue Readingलालकृष्ण आडवाणी भारतरत्न पुरस्कार से होंगे सम्मानित

जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के मजबूत आधार स्तम्भ रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित करने की घोषणा मोदी सरकार ने की है. भारत रत्न की घोषण पर देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि ‘अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ मैं भारत रत्न स्वीकार करता हूं जो आज मुझे प्रदान किया गया। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान की बात है जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा की है।’

End of content

No more pages to load